दिल्ली के बाल सुधार गृह में हिंसा का खौफनाक चेहरा: नहाने के विवाद में किशोर की हत्या, क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?

दिल्ली के मजनू का टीला बाल सुधार गृह में 17 वर्षीय किशोर करण की नहाने के विवाद में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मामूली बहस हिंसक झड़प में बदली, जिसमें एक किशोर ने करण पर हमला किया। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी को हिरासत में लिया और सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू की। यह घटना सुधार गृहों में सुरक्षा और अनुशासन की खामियों को उजागर करती है।

Jun 18, 2025 - 14:55
दिल्ली के बाल सुधार गृह में हिंसा का खौफनाक चेहरा: नहाने के विवाद में किशोर की हत्या, क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?

दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में स्थित बाल सुधार गृह में एक दिल दहलाने वाली घटना ने सुधार गृहों की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 17 वर्षीय किशोर करण की नहाने के मामूली विवाद में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। यह घटना मंगलवार, 18 जून 2025 को उस वक्त हुई, जब बाथरूम में नहाने की बारी को लेकर दो किशोरों के बीच बहस शुरू हुई। यह छोटा-सा विवाद देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गया, जिसमें एक तीसरे किशोर ने बीच-बचाव के नाम पर करण पर क्रूर हमला कर दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, करण को बेरहमी से लातों और मुक्कों से पीटा गया, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई। सुधार गृह के कर्मचारियों ने उसे तुरंत हिंदू राव अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सिविल लाइंस थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी किशोर को हिरासत में ले लिया। पुलिस सीसीटीवी फुटेज और अन्य किशोरों के बयानों के आधार पर घटना की वजह और क्रम की जांच कर रही है।

बाल सुधार गृहों में हिंसा का बढ़ता साया:

यह घटना कोई पहला मामला नहीं है। दिल्ली के बाल सुधार गृहों में पहले भी हिंसा, अनुशासनहीनता और लापरवाही की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं के पीछे कई कारण हैं:

अनुशासन और निगरानी की कमी: बाल सुधार गृहों में कर्मचारियों की कमी और अपर्याप्त प्रशिक्षण के चलते किशोरों के बीच होने वाले विवादों को समय रहते नियंत्रित नहीं किया जाता। मजनू का टीला सुधार गृह में भी सीसीटीवी फुटेज की जांच से पता चलेगा कि कर्मचारियों की सतर्कता कितनी थी।

मनोवैज्ञानिक समस्याएं: सुधार गृह में रहने वाले अधिकांश किशोर अपराधी पृष्ठभूमि या कठिन परिस्थितियों से आते हैं। इनमें कई किशोरों में गुस्सा, आक्रामकता और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं होती हैं, जिनके लिए पर्याप्त काउंसलिंग या मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध नहीं होती।

सुविधाओं का अभाव: कई सुधार गृहों में बुनियादी सुविधाएं, जैसे पर्याप्त बाथरूम, पानी या रहने की जगह, की कमी होती है। नहाने जैसे छोटे-मोटे मुद्दों पर विवाद इसका परिणाम हैं।

सुधार की बजाय सजा का माहौल: बाल सुधार गृहों का उद्देश्य किशोरों का सुधार और पुनर्वास है, लेकिन कई बार वहां का माहौल जेल जैसा हो जाता है, जो किशोरों में आक्रोश बढ़ाता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

समाजशास्त्रियों और बाल कल्याण विशेषज्ञों का कहना है कि सुधार गृहों में हिंसा की घटनाएं रोकने के लिए व्यापक सुधारों की जरूरत है। इनमें कर्मचारियों की संख्या और प्रशिक्षण बढ़ाना, किशोरों के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना, और सुधार गृहों को शिक्षा व कौशल विकास का केंद्र बनाने जैसे कदम शामिल हैं।

पुलिस और प्रशासन का रुख:

पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से करण की मौत के सटीक कारणों का पता चलेगा। साथ ही, सुधार गृह की कार्यप्रणाली की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की मांग भी उठ रही है। 

मजनू का टीला बाल सुधार गृह की यह घटना एक चेतावनी है कि सुधार गृहों को सिर्फ हिरासत केंद्र नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास के लिए सुरक्षित स्थान बनाना होगा। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। अन्यथा, ये सुधार गृह सुधार की बजाय हिंसा और अपराध का नया अड्डा बन सकते हैं।