साइक्लोनर का तूफानी प्रहार: नशे और हथियारों के तीन सौदागर जेल की सलाखों के पीछे!
जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने ऑपरेशन कॉकटेल, पयोमुखं, और सीतोर्मिला के तहत एक ही दिन में तीन कुख्यात तस्करों—सुरेश, लक्ष्मणराम, और सुभाष—को गिरफ्तार किया। ये तस्कर नशे और अवैध हथियारों की तस्करी के सरगना थे, जिन पर 60 हजार रुपये का इनाम था। तीन राज्यों (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान) में चले ऑपरेशन में सुरेश को भोपाल में शौच के दौरान, लक्ष्मणराम को भोजासर में भागते हुए, और सुभाष को बारात में ड्राइवर बनकर पकड़ा गया। साइक्लोनर की इस कार्रवाई से तस्करी के नेटवर्क का खुलासा होने की उम्मीद है।

जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने एक ही दिन में ऑपरेशन कॉकटेल, पयोमुखं, और सीतोर्मिला के तहत तीन कुख्यात तस्करों को धर दबोचकर अपराध की दुनिया में तहलका मचा दिया। ये तीनों नशे और अवैध हथियारों का खतरनाक कॉकटेल चलाने वाले सरगना थे, जिन पर 60 हजार रुपये का इनाम था। पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार की अगुवाई में साइक्लोनर ने तीन राज्यों में अपनी धमक दिखाई और इन बदमाशों को जेल की हवा खिला दी।
ऑपरेशन कॉकटेल:
सुरेश पुत्र रूपाराम (कुड़ी पचपदरा, बालोतरा) नशे और हथियारों का खतरनाक मिक्सर था। 14 आपराधिक मामले (8 नशा तस्करी, 4 हथियार तस्करी, 4 मारपीट) में वांछित यह सरगना लंबे समय से फरार था। साइक्लोनर टीम ने छत्तीसगढ़ में उसके रिश्तेदार के होटल में छिपने की खबर पकड़ी।
सुरेश हथियारों की खेप लेने मध्य प्रदेश के रतलाम पहुंचा। साइक्लोनर टीम चुहा-बिल्ली के खेल में उसके पीछे पड़ी रही। रतलाम में हथियारों की डिलीवरी फेल हुई तो सुरेश भोपाल की ओर भागा। लेकिन उसकी एक गलती ने उसे जेल पहुंचा दिया। हाईवे पर खुले में शौच करने रुका सुरेश और बस—साइक्लोनर ने उसे दबोच लिया! अब यह तस्कर जेल में "स्वच्छता अभियान" चला रहा है।
खुलासे की उम्मीद:
सुरेश से पूछताछ में उसके नेटवर्क का बड़ा खुलासा होने की संभावना है। पहले उसके गिरोह से 10 अवैध पिस्टल और कारतूस बरामद हो चुके हैं।
ऑपरेशन सीतोर्मिला: किसान के भेष में भेड़िया
लक्ष्मणराम पुत्र बाबुराम (जैसला, फलोदी) बांसवाड़ा से दो साल से फरार था। दिन में खेतों में कुदाल चलाने वाला यह "भोला किसान" रात में नशे का कुख्यात तस्कर बन जाता था। महाराष्ट्र और गुजरात में उसका कारोबार चलता था, लेकिन मारवाड़ में उसने कभी पांव नहीं मारे ताकि पकड़ा न जाए।
पकड़े जाने का ड्रामा:
मुंबई के कुख्यात संपर्क सूत्र ने उसकी पोल खोली। साइक्लोनर टीम भोजासर पहुंची तो लक्ष्मणराम छत से पाइप के सहारे कूदकर भागने लगा। लेकिन साइक्लोनर की आंखों में धूल झोंकना आसान नहीं था। वह पकड़ा गया और अब जेल में "खेती" कर रहा है।
ऑपरेशन पयोमुखं: चूल्हा ठीक करता था, जिंदगी बिगाड़ता था
सुभाष पुत्र बचनाराम (नोखड़ा भाटीयान, फलोदी) मुंबई में गैस चूल्हा ठीक करने का काम करता था। अपने मीठे बोल से सबको लुभाने वाला यह शख्स बांसवाड़ा में नशे का बड़ा तस्कर था।
बारात में पकड़ा गया:
सुभाष चुपके से गांव में एक समारोह में पहुंचा। वहां वह दूल्हे का ड्राइवर बनकर गाड़ी चला रहा था। तभी साइक्लोनर ने उसकी गर्दन पकड़ ली। लक्ष्मणराम और सुभाष एक ही मुंबई के संपर्क सूत्र से जुड़े थे। साइक्लोनर ने दोनों को जेल में "मिलन समारोह" करवाने का इंतजाम कर दिया।
सुभाष का मीठा व्यवहार और जहरीला धंधा विषकुम्भं पयोमुखं (मीठा बोल, जहरीला काम) की कहावत को चरितार्थ करता था। इसलिए ऑपरेशन का नाम पयोमुखं रखा गया।
साइक्लोनर की तूफानी रणनीति
तीन राज्यों में धमक: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में साइक्लोनर ने तकनीकी और खुफिया जानकारी के दम पर इन तस्करों को दबोचा।
87वीं कामयाबी: साइक्लोनर ने 87वीं बार सफल ऑपरेशन चलाकर अपराधियों के होश उड़ा दिए।
टीम के जांबाज: कन्हैयालाल, देवाराम, महेंद्र कुमार, महिपाल सिंह, मनीष परमार, राकेश, रोहिताश, घासीलाल, राजुनाथ, जोगाराम, झुमरराम और शेखरचंद ने इस मिशन को अंजाम दिया।
महानिरीक्षक विकास कुमार ने ऐलान किया कि इन बहादुरों को जोधपुर रेंज कार्यालय में विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा।पुलिस की अपील:
विकास कुमार ने कहा, "अपराधी या संदिग्ध गतिविधियों की सूचना 0291-2650811 या वाट्सएप 9530441828 पर दें। आपकी पहचान गुप्त रखी जाएगी।
साइक्लोनर ने नशे और हथियारों के इस खतरनाक खेल को तहस-नहस कर दिया। सुरेश, लक्ष्मणराम और सुभाष अब जेल में अपनी करतूतों का हिसाब दे रहे हैं। जोधपुर पुलिस का यह तूफानी ऑपरेशन अपराधियों के लिए साफ संदेश है—साइक्लोनर की नजर से कोई नहीं बच सकता!