किराना दुकान पर जांची जा रही थी 10वीं की कॉपियां: दुकानदार ने संस्कृत में भरे नंबर, टीचरों की लापरवाही ने मचाया हंगामा

2025 में कोविड-19 ने भारत में फिर से दस्तक दी है, जिससे स्वास्थ्य विभाग और नागरिकों में सतर्कता बढ़ गई है। पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए, सरकार और विशेषज्ञ दो गज की दूरी, मास्क, सैनिटाइजर, और सामाजिक दूरी जैसे उपायों पर जोर दे रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्पतालों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं, और नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील की है। सामूहिक जिम्मेदारी और नियमों के पालन से इस वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है।

May 27, 2025 - 12:57
May 27, 2025 - 12:57
किराना दुकान पर जांची जा रही थी 10वीं की कॉपियां: दुकानदार ने संस्कृत में भरे नंबर, टीचरों की लापरवाही ने मचाया हंगामा

राजस्थान में 10वीं बोर्ड की कॉपियों की जांच में ऐसी लापरवाही सामने आई है कि सुनकर आपका माथा ठनक जाएगा! चार टीचरों को सस्पेंड कर दिया गया है, क्योंकि इनकी करतूतों ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। शिक्षा निदेशालय बीकानेर के डायरेक्टर आशीष मोदी ने सोमवार देर रात यह सख्त कार्रवाई की। दो टीचर अलवर के हैं और दो डीडवाना-कुचामन के। लेकिन कहानी इतनी सीधी नहीं है—यहां तो कॉपियां किराना दुकान पर जांची गईं, सोशल मीडिया पर फोटो वायरल हुईं, और इंटर्न छात्रों को कॉपियां सौंप दी गईं! आइए, इस रोचक और चौंकाने वाली खबर को विस्तार से जानते हैं, जिसमें आज के समय में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ की हकीकत भी उजागर होगी।


अलवर में कॉपियों की फोटो वायरल, इंटर्न्स के हवाले जांच
अलवर के रेलवे स्टेशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सीनियर टीचर ओमप्रकाश सैनी को 10वीं कक्षा की गणित की कॉपियां जांचने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन सैनी साहब ने इस जिम्मेदारी को इतनी हल्के में लिया कि कॉपियां इंटर्न कर रहे छात्रों के पास खुली छोड़ दीं और खुद कहीं और निकल गए! अब भला इंटर्न्स को क्या पता कि बोर्ड कॉपियों की जांच का गणित कैसे हल होता है? उधर, इसी स्कूल की हिन्दी साहित्य की लेक्चरर मीनाक्षी अरोड़ा ने तो हद ही कर दी। उन्होंने कॉपियों की फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाल दीं, मानो कोई इंस्टाग्राम रील बना रही हों! 
जब यह हरकत शिक्षा निदेशालय तक पहुंची, तो दोनों टीचरों—ओमप्रकाश सैनी और मीनाक्षी अरोड़ा—को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया। निलंबन के दौरान इन्हें अलवर के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (मुख्यालय) से अटैच किया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सस्पेंड करने से बच्चों के भविष्य के साथ हुई यह लापरवाही ठीक हो जाएगी?


किराना दुकान पर संस्कृत की कॉपियां, दुकानदार बने 'परीक्षक'
अब आते हैं डीडवाना-कुचामन की कहानी पर, जहां तो लापरवाही ने सारी हदें पार कर दीं। सीनियर टीचर भवरुद्दीन (राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, बागोट) को 10वीं की संस्कृत की 366 कॉपियां जांचने का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन भवरुद्दीन ने सोचा कि क्यों न दोस्त की मदद ली जाए? उन्होंने अपने दोस्त, टीचर प्रदीप कुमार शर्मा (राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, निम्बड़ी, मकराना) को कॉपियां सौंप दीं, ताकि वह नंबरों की केजिंग (टोटल) कर सकें। लेकिन प्रदीप ने भी गजब ढा दिया! उन्होंने ये कॉपियां अपने पिता को दे दीं, और उनके पिता ने अपनी किराना दुकान पर बैठकर कॉपियों में नंबर भरे। हां, आपने सही पढ़ा—एक किराना दुकानदार संस्कृत के पेपर जांच रहा था! 
26 मई को इस हरकत का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दुकान पर कॉपियों की जांच का नजारा साफ दिख रहा था। इसके बाद भवरुद्दीन और प्रदीप कुमार शर्मा को भी सस्पेंड कर दिया गया। यह खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैली, और लोग हैरान हैं कि आखिर बच्चों का भविष्य इतने हल्के में कैसे लिया जा सकता है?


बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
आज के समय में, जब बोर्ड परीक्षाएं छात्रों के करियर की नींव रखती हैं, ऐसी लापरवाही न केवल चौंकाती है, बल्कि गुस्सा भी दिलाती है। 10वीं की परीक्षा बच्चों के लिए कितनी अहम होती है, यह हर माता-पिता और छात्र अच्छे से जानते हैं। लेकिन जब कॉपियां किराना दुकान पर जांची जाएंगी, इंटर्न्स के हवाले छोड़ दी जाएंगी, और सोशल मीडिया पर उनकी फोटो वायरल होंगी, तो भला बच्चों का भविष्य सुरक्षित कैसे रहेगा? यह लापरवाही न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि उन टीचरों की जिम्मेदारी पर भी उंगली उठाती है, जिन्हें बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी दी जाती है।


क्या है इसका असर?
छात्रों पर प्रभाव: ऐसी लापरवाही से बच्चों के नंबरों में गड़बड़ी हो सकती है, जो उनके करियर को प्रभावित कर सकती है। गलत जांच के कारण मेहनती छात्रों को कम अंक मिलने का डर रहता है।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल: यह घटना राजस्थान बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है। कॉपियों की जांच की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्ती की कमी साफ झलकती है।

सोशल मीडिया की ताकत: वायरल वीडियो और फोटो ने इस गड़बड़ी को उजागर किया, जिसके बाद कार्रवाई हुई। लेकिन अगर यह वीडियो सामने न आता, तो क्या यह लापरवाही चलती रहती?


आगे क्या?
शिक्षा निदेशालय ने सख्ती दिखाते हुए चारों टीचरों को सस्पेंड तो कर दिया, लेकिन यह काफी नहीं है। जरूरत है ऐसी व्यवस्था की, जहां कॉपियों की जांच में पारदर्शिता हो, टीचरों की जिम्मेदारी तय हो, और बच्चों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो। इस घटना ने न केवल शिक्षा विभाग को हिलाकर रख दिया है, बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर हम अपने बच्चों का भविष्य किन हाथों में सौंप रहे हैं।

RAJENDRA SINGH RATHORE Journalist at the khatak