छपरी का चक्कर: क्यों बनते हैं ये लड़के लड़कियों के दिल की धड़कन?

"छपरी" शब्द सोशल मीडिया पर सतही, बिंदास लोगों के लिए वायरल स्लैंग है, जो मजाकिया या अपमानजनक रूप में इस्तेमाल होता है। इंदौर जैसे केस ने "छपरी" लड़कों के प्रति लड़कियों के आकर्षण पर बहस छेड़ी, जो भावनात्मक संतुष्टि और आजादी का अहसास देते हैं। डंडी यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार, भावनात्मक उपलब्धता लुक से ज्यादा मायने रखती है। इसका इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह क्लास-कास्ट डिवाइड को उजागर करता है।

Jun 13, 2025 - 13:41
छपरी का चक्कर: क्यों बनते हैं ये लड़के लड़कियों के दिल की धड़कन?

"छपरी" शब्द हिंदी में एक स्लैंग के रूप में उभरा है, जो पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बेहद लोकप्रिय हुआ। मूल रूप से, यह शब्द "छप्पर" या "छपरा" से निकला है, जिसका अर्थ है कच्ची झोपड़ी या खपरैल का बरामदा। कुछ स्रोतों के अनुसार, यह पुणे के स्थानीय स्लैंग से भी जुड़ा हो सकता है, जहां इसे उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता था जिनका कोई "स्टैंडर्ड" नहीं होता। 

आज के संदर्भ में, "छपरी" उन लोगों को कहा जाता है जो सतही, दिखावटी, और अक्सर अजीब फैशन सेंस वाले होते हैं। ये लोग रंग-बिरंगे कपड़े, अनोखे हेयरस्टाइल (जैसे रंगीन या असामान्य कट), और बिंदास व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। यह शब्द ज्यादातर मजाकिया या अपमानजनक अंदाज में इस्तेमाल होता है, खासकर सोशल मीडिया पर किसी की टांग खींचने या ट्रोल करने के लिए। हालांकि, कुछ लोग इसे गर्व के साथ अपनाते हैं, जैसे रैपर एमसी स्टैन, जिन्होंने अपने गाने "अस्तगफिरुल्लाह" में इसे अपनी पहचान का हिस्सा बनाया। 

कुछ स्रोतों ने चेतावनी दी है कि इस शब्द का इस्तेमाल जातिवादी गाली के रूप में भी हो सकता है, जो पिछड़ी जातियों या निम्न वर्ग को नीचा दिखाने के लिए किया जाता है। इसलिए, इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह सामाजिक रूप से संवेदनशील हो सकता है। 

सामाजिक प्रभाव
सोशल मीडिया ने "छपरी" शब्द को एक सांस्कृतिक फिनॉमिना बना दिया है। 2022 में यूट्यूबर कैरी मिनाटी के एक वीडियो ने इस शब्द को और लोकप्रिय किया, हालांकि यूट्यूब ने इसे हटा दिया था। फिल्म "आदिपुरुष" (2023) के डायलॉग्स को भी सोशल मीडिया पर "छपरी" कहकर ट्रोल किया गया, जिससे यह शब्द और वायरल हुआ।

इस शब्द का सामाजिक प्रभाव दोधारी है। एक ओर, यह युवाओं के बीच हल्के-फुल्के मजाक का हिस्सा है, लेकिन दूसरी ओर, यह क्लास और कास्ट डिवाइड को बढ़ावा दे सकता है। इसे अक्सर उन लोगों पर थोपा जाता है जो समाज के तयशुदा स्टाइल से अलग दिखते हैं, जैसे अनोखे कपड़े या हेयरस्टाइल वाले। इससे सामाजिक दबाव बढ़ता है, खासकर युवाओं पर, जो अपनी पहचान बनाने की कोशिश में हैं। 

हाल के हत्याकांडों, जैसे इंदौर के राजा रघुवंशी और मेरठ के सौरभ राजपूत केस, ने इस शब्द को नकारात्मक संदर्भ में और चर्चा में ला दिया। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्यों कुछ लड़कियां "छपरी" कहे जाने वाले लड़कों की ओर आकर्षित होती हैं, जबकि उनके पति पढ़े-लिखे और कामयाब थे। यह बहस सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर गहरी हो गई है। 

लड़कियों का छपरी लड़कों की ओर आकर्षण: मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण
इंदौर के मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी और मनोवैज्ञानिक डॉ. विधि एम पिलनिया के अनुसार, कुछ लड़कियां "छपरी" कहे जाने वाले लड़कों की ओर इसलिए आकर्षित होती हैं, क्योंकि वे बिंदास, बेबाक, और भावनात्मक रूप से उपलब्ध होते हैं। ये लड़के समाज के नियमों को तोड़कर "आजादी" का अहसास दिलाते हैं, जो कुछ लड़कियों को आकर्षक लगता है। 

  1. भावनात्मक संतुष्टि: ये लड़के छोटी-छोटी मानवीय भावनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, जैसे दूसरों की मदद करना (उदाहरण: अपनी चप्पल दे देना) या अपनी मां से प्यार जताना। यह व्यवहार लड़कियों को इमोशनल सिक्योरिटी देता है।
  2. मायाजाल और प्रशंसा: ऐसे लड़के लड़कियों को सुपीरियरिटी का अहसास दिलाते हैं, जैसे "तुम इतनी अच्छी होकर मुझे कैसे मिली" कहकर। यह उनकी सेल्फ-एस्टीम को बढ़ाता है।
  3. सोशल मीडिया का प्रभाव: न्यूक्लियर फैमिली और सोशल मीडिया पर स्क्रिप्टेड वीडियोज़ ने लड़कियों की पसंद को प्रभावित किया है। वे ऐसे लड़कों को "राजकुमार" मानने लगती हैं जो बिंदास और दिखावटी हैं।
  4. बगावत और आजादी: कुछ लड़कियां सामाजिक बंधनों से मुक्त होना चाहती हैं। "छपरी" लड़के, जो नियम तोड़ते हैं, उन्हें यह आजादी का अहसास देते हैं।

डंडी यूनिवर्सिटी की 2010 की रिसर्च
स्कॉटलैंड की डंडी यूनिवर्सिटी की 2010 की एक रिसर्च में पाया गया कि महिलाएं उन पुरुषों की ओर ज्यादा आकर्षित होती हैं जो भावनात्मक रूप से हमेशा उपलब्ध रहते हैं, भले ही उनकी सामाजिक स्थिति या लुक औसत हो। यह रिसर्च बताती है कि भावनात्मक जुड़ाव, लुक या आर्थिक स्थिति से ज्यादा मायने रखता है। इस संदर्भ में, "छपरी" कहे जाने वाले लड़के, जो लड़कियों को इमोशनल सिक्योरिटी और प्रशंसा देते हैं, इस रिसर्च के निष्कर्षों से मेल खाते हैं। 

Yashaswani Journalist at The Khatak .