पहलगाम हमले पर बीजेपी की सस्ती राजनीति, हरीश चौधरी ने मदन राठौड़ के बयान की कड़ी निंदा की
हरीश चौधरी ने पहलगाम हमले पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें राठौड़ ने कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल को आतंकवादियों से जोड़ा। चौधरी ने इसे सस्ती राजनीति और ध्यान भटकाने की कोशिश बताया, देश से एकजुटता और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।

जयपुर, 14 मई 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान गई और कई घायल हुए। इस दुखद घटना के बाद जहां देश एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की बात कर रहा है, वहीं राजस्थान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। राठौड़ ने बाड़मेर के कांग्रेस सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल को आतंकवादियों से जोड़कर अनर्गल टिप्पणी की, जिसकी कांग्रेस नेता और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने कड़ी निंदा की है।
हरीश चौधरी का बीजेपी पर तीखा हमला
भारतीय कांग्रेस कमेटी के मध्यप्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राठौड़ के बयान को "बेहद निंदनीय" और "सस्ती लोकप्रियता" हासिल करने की कोशिश बताया। चौधरी ने कहा, "पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई, उसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। यह समय देश को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ कड़े फैसले लेने का है, न कि राजनीतिकरण करने का। राठौड़ का बेनीवाल को आतंकवादियों से जोड़ना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह देश का ध्यान मुख्य मुद्दे से भटकाने की साजिश है।"
चौधरी ने आगे कहा कि बीजेपी इस संकट के समय भी राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने राठौड़ से उनके बयान के लिए देश से माफी मांगने की मांग की। "शहीदों के परिवारों के दर्द को नजरअंदाज कर, बीजेपी नेता ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। यह समय सीमा पर खड़े हमारे जवानों का हौसला बढ़ाने और दुश्मनों को करारा जवाब देने का है," चौधरी ने जोड़ा।
पहलगाम हमला: देश में गुस्सा, बीजेपी पर सवाल
पहलगाम हमले को 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी का सबसे घातक हमला माना जा रहा है। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने ली थी। इस हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तान से आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। देशभर में गुस्से का माहौल है, और लोग सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस बीच, कांग्रेस नेताओं ने केंद्र सरकार पर सुरक्षा चूक का आरोप लगाया है। कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठाए, जबकि राहुल गांधी ने अमेरिका दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाई। कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ सरकार के हर कदम का समर्थन करेगी, लेकिन बीजेपी की "विभाजनकारी राजनीति" को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राठौड़ का बयान: क्यों मचा बवाल?
मदन राठौड़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेनीवाल पर निशाना साधते हुए उनके आतंकवादियों से कथित संबंधों का जिक्र किया, जिसे कांग्रेस ने "निराधार" और "ध्यान भटकाने की चाल" करार दिया। बेनीवाल, जो बाड़मेर से कांग्रेस सांसद हैं, राजस्थान की जाट राजनीति में एक प्रमुख चेहरा हैं। राठौड़ का यह बयान न केवल बेनीवाल, बल्कि पूरे कांग्रेस संगठन के खिलाफ बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
चौधरी ने अपने बयान में कहा, "राठौड़ के शब्द बेनीवाल के लिए नहीं, बल्कि देश की एकजुटता को तोड़ने और सस्ती राजनीति के लिए बोले गए हैं। बीजेपी को समझना चाहिए कि देश की सुरक्षा और अस्मिता राजनीति से ऊपर है।"
हरीश चौधरी ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह ऐसी कार्रवाई करे जो भविष्य में किसी भी देश को भारत की ओर आंख उठाने से रोके। उन्होंने कहा, "यह समय दल, क्षेत्र या राजनीति का नहीं, बल्कि देश की अस्मिता और सुरक्षा का है। हमें एक ऐसी मिसाल कायम करनी चाहिए कि दुनिया में कोई भारत के खिलाफ साजिश करने की हिम्मत न करे।"
चौधरी ने देशवासियों से भी अपील की कि वे इस मुश्किल घड़ी में एकजुट रहें और शहीदों के परिवारों के साथ खड़े हों। उन्होंने कहा, "हमारा देश हमेशा से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहा है। यह समय भी हमें एक होकर दुनिया को हमारी ताकत दिखाने का है।"
बीजेपी की प्रतिक्रिया का इंतजार
राठौड़ के बयान पर बीजेपी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद राजस्थान की सियासत को और गर्मा सकता है, खासकर तब जब जाट वोट बैंक दोनों पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण है।
पहलगाम हमले के बाद देश जिस दुख और गुस्से से गुजर रहा है, उसमें नेताओं की ऐसी बयानबाजी न केवल अनुचित है, बल्कि यह देश की एकता को कमजोर करने की कोशिश भी मानी जा रही है। अब देखना यह है कि बीजेपी इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या राठौड़ अपने बयान पर माफी मांगते हैं।