कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं: बकाया भुगतान पर एमपी की बिजली काटने पर राजस्थान के मंत्री
नागौर से बीजेपी सांसद ज्योति मिर्धा और रिछपाल मिर्धा जैसे बेनीवाल के कट्टर विरोधी भी इस मामले में सक्रिय हैं। बीजेपी नेताओं ने नरेटिव बनाना शुरू किया कि बेनीवाल अपात्र होने के बावजूद दो बंगलों और एक फ्लैट पर काबिज हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।

राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल, उनके भाई नारायण बेनीवाल और पूर्व विधायक पुखराज गर्ग को जयपुर में सरकारी बंगले और विधायक आवास खाली करने के नोटिस ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। जिला प्रशासन ने 11 जुलाई 2025 तक इन आवासों को खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। इस कार्रवाई ने न केवल राजनीतिक गलियारों में, बल्कि सोशल मीडिया पर भी तीखी बहस छेड़ दी है।
हनुमान बेनीवाल को 2023 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जयपुर में विधानसभा के सामने एक फ्लैट आवंटित हुआ था। 2024 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनने के बावजूद उन्होंने यह फ्लैट खाली नहीं किया। इसके अलावा, जालूपुरा में उनके भाई नारायण बेनीवाल और पूर्व RLP नेता पुखराज गर्ग को विधायक रहते आवंटित बंगले भी अब तक खाली नहीं किए गए। नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग वर्तमान में विधायक नहीं हैं, और नियमों के अनुसार, गैर-विधायकों को सरकारी आवास में रहने की अनुमति नहीं है।
इसके समानांतर, हनुमान बेनीवाल के नागौर स्थित निवास का बिजली कनेक्शन 2 जुलाई 2025 को 11.61 लाख रुपये के बकाया बिल के कारण काट दिया गया। यह मकान उनके भाई प्रेमसुख बेनीवाल के नाम पर है, जहां RLP का कार्यालय भी संचालित होता है। इस कार्रवाई ने विवाद को और हवा दी।
सरकारी कार्रवाई और नियम
जिला प्रशासन और संपदा विभाग ने इस कार्रवाई को नियमों के तहत बताया है। विधानसभा और PWD विभाग की शिकायतों के आधार पर, ज्योति नगर और जालूपुरा में पूर्व विधायकों द्वारा कब्जाए गए आवासों को खाली कराने की प्रक्रिया शुरू की गई। जयपुर के कलक्टर जितेंद्र सोनी ने स्पष्ट किया कि हनुमान बेनीवाल, नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग को कई बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन जवाब न मिलने पर बेदखली की कार्रवाई शुरू की गई।
राजस्थान के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने बिजली कनेक्शन काटने को सामान्य प्रक्रिया करार दिया। उन्होंने कहा, "चाहे आम नागरिक हो या जनप्रतिनिधि, बकाया बिल पर कनेक्शन काटा जाएगा। जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे समय पर बिल चुकाएं, क्योंकि जनता उनके आचरण का अनुसरण करती है।"
हनुमान बेनीवाल का पक्ष
हनुमान बेनीवाल ने इन कार्रवाइयों को "राजनीतिक साजिश" करार दिया है। उनका कहना है कि जालूपुरा का बंगला उनके भाई नारायण बेनीवाल के नाम पर आवंटित था, जहां RLP का कार्यालय चलता है। उन्होंने दावा किया कि वे किराया और पेनल्टी चुका रहे हैं, और इसे अवैध कब्जा कहना गलत है। बिजली कनेक्शन कटने पर बेनीवाल ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2 लाख रुपये जमा किए थे और मामला समझौता समिति में लंबित था, फिर भी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इशारे पर यह कार्रवाई की गई।
बेनीवाल ने इसे अपनी छवि खराब करने की कोशिश बताया और कहा, "मैं कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया नहीं हूं। नोटिस चोरी-छुपे चिपकाना सांसद का अपमान है।" उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रिविलेज नोटिस लाने की भी धमकी दी।
सियासी हलचल और सोशल मीडिया
इस विवाद ने राजस्थान की सियासत को गरमा दिया है। हनुमान बेनीवाल के समर्थकों ने सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खिलाफ ट्रेंड चलाया, जिसमें उनकी सरकार को हटाने की मांग की गई। जवाब में, भजनलाल समर्थकों ने "राजस्थान विथ भजनलाल शर्मा" ट्रेंड चलाकर पलटवार किया।
बीजेपी और कांग्रेस के बेनीवाल विरोधी नेता इस मौके को भुनाने में जुट गए हैं। बीजेपी नेता बेनीवाल पर बिजली चोरी को बढ़ावा देने और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर ने सोशल मीडिया पर लिखा, "हनुमान बेनीवाल जी, सत्ता के प्रलोभन में जनता के साथ अन्याय और सरकारी संसाधनों का दोहन - यही आपकी विचारधारा है शायद!"
नागौर से बीजेपी सांसद ज्योति मिर्धा और रिछपाल मिर्धा जैसे बेनीवाल के कट्टर विरोधी भी इस मामले में सक्रिय हैं। बीजेपी नेताओं ने नरेटिव बनाना शुरू किया कि बेनीवाल अपात्र होने के बावजूद दो बंगलों और एक फ्लैट पर काबिज हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।
राजनीतिक नरेटिव और भविष्य
इस पूरे प्रकरण को बीजेपी एक मजबूत नरेटिव के तौर पर पेश कर रही है। पार्टी का कहना है कि भजनलाल सरकार ने वह काम कर दिखाया, जो पूर्व की वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत सरकारें नहीं कर पाईं। इससे सरकार की "कानून का राज" वाली छवि को बल मिल सकता है। हालांकि, बेनीवाल इसे "विक्टिम कार्ड" के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, दावा करते हुए कि सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
बेनीवाल की राजनीतिक सक्रियता, खासकर SI भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन, ने सरकार के साथ उनके टकराव को और बढ़ा दिया है। उनके समर्थक मानते हैं कि यह कार्रवाई उनकी मुखरता को दबाने की साजिश है।