₹1.08 करोड़ के पार पहुंची बिटकॉइन की कीमत, 2009 में थी शून्य

बिटकॉइन, एक डिजिटल करेंसी, 2008 के आर्थिक संकट से जन्मी, जिसने सतोशी नाकामोतो के क्रांतिकारी विचार और ब्लॉकचेन तकनीक के दम पर 2009 में लगभग शून्य से 2025 में ₹1.08 करोड़ की कीमत तक की रोमांचक यात्रा तय की। आज यह वैश्विक स्वीकार्यता और विवादों के साथ वित्तीय दुनिया को बदल रहा है।

Aug 16, 2025 - 15:02
₹1.08 करोड़ के पार पहुंची बिटकॉइन की कीमत, 2009 में थी शून्य

बिटकॉइन, एक ऐसी डिजिटल करेंसी जिसने दुनिया को नया सोचने पर मजबूर कर दिया। आज इसकी कीमत पहली बार ₹1.08 करोड़ के पार पहुंच गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 2009 में इसकी वैल्यू लगभग शून्य थी? यह कहानी सिर्फ कीमतों की नहीं, बल्कि एक गुमनाम शख्स, एक क्रांतिकारी आइडिया और कुछ ऐसे किस्सों की है, जो इसे और भी दिलचस्प बनाते हैं। आइए, बिटकॉइन की इस रोमांचक यात्रा को पांच चैप्टर में समझते हैं।

चैप्टर 1: आर्थिक संकट और एक गुमनाम शख्स का सपना

साल 2008, जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट की चपेट में थी। बैंकों की गलत नीतियों और सेंट्रल बैंकों के फैसलों ने लोगों का भरोसा तोड़ दिया था। कई लोग अपनी जमा-पूंजी खो चुके थे। इसी माहौल में एक रहस्यमयी शख्स सामने आया, जिसने खुद को सतोशी नाकामोतो बताया। कोई नहीं जानता कि वह कौन था—एक व्यक्ति, एक समूह, या सिर्फ एक छद्म नाम।

सतोशी ने एक कॉन्सेप्ट पेपर पेश किया, जिसमें उन्होंने एक ऐसी डिजिटल करेंसी का खाका खींचा, जो बिना किसी बैंक या सरकार के नियंत्रण के काम करे। यह थी बिटकॉइन की नींव—एक ऐसी करेंसी, जो ‘डिसेंट्रलाइज्ड’ हो, यानी जिसका नियंत्रण किसी एक संस्था के हाथ में न हो।

चैप्टर 2: जेनिसिस ब्लॉक और बिटकॉइन का जन्म

3 जनवरी 2009 को बिटकॉइन का पहला ब्लॉक, जिसे ‘जेनिसिस ब्लॉक’ कहा जाता है, बनाया गया। यहीं से बिटकॉइन की कहानी शुरू हुई। सतोशी ने इसे ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया, जो एक डिजिटल लेजर है। इस लेजर में हर ट्रांजेक्शन पारदर्शी तरीके से दर्ज होता है, लेकिन इसे कोई बदल नहीं सकता।

बिटकॉइन का मकसद था—लोगों को एक ऐसी करेंसी देना, जो सुरक्षित, पारदर्शी और आजाद हो। शुरुआत में इसे कुछ गिने-चुने टेक उत्साही लोगों ने अपनाया, लेकिन इसकी कीमत तब लगभग शून्य थी।

चैप्टर 3: वो पिज्जा जिसने इतिहास रच दिया

बिटकॉइन की दुनिया का सबसे मशहूर किस्सा है 2010 का वो पिज्जा। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर लास्ज़लो हैन्येज ने 10,000 बिटकॉइन देकर दो पिज्जा खरीदे। यह पहला मौका था, जब बिटकॉइन का इस्तेमाल किसी रियल-वर्ल्ड ट्रांजेक्शन के लिए हुआ। उस वक्त 10,000 बिटकॉइन की कीमत कुछ सेंट थी।

लेकिन अगर लास्ज़लो ने वो बिटकॉइन अपने पास रखे होते, तो आज उनकी कीमत 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होती। अगर दो पिज्जा में 6-6 स्लाइस हों, तो एक स्लाइस की कीमत करीब 833 करोड़ रुपये पड़ती! यह किस्सा आज भी बिटकॉइन की कीमतों की रफ्तार का प्रतीक है।

चैप्टर 4: उतार-चढ़ाव और वैश्विक स्वीकार्यता

बिटकॉइन की कीमत में उतार-चढ़ाव की कहानी किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं। 2011 में इसकी कीमत 1 डॉलर तक पहुंची, फिर 2013 में 1,000 डॉलर। 2017 में यह 20,000 डॉलर के करीब पहुंची, लेकिन 2018 में यह फिर गिरकर 3,000 डॉलर पर आ गई। 2021 में बिटकॉइन ने 69,000 डॉलर का रिकॉर्ड बनाया, और अब 2025 में यह ₹1.08 करोड़ के पार है।

आज बिटकॉइन को कई देशों में कानूनी मान्यता मिल चुकी है। कंपनियां जैसे टेस्ला और माइक्रोसॉफ्ट इसे पेमेंट के लिए स्वीकार करती हैं। लेकिन इसके साथ ही हैकिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और सरकारी प्रतिबंधों जैसे विवाद भी जुड़े हैं।

चैप्टर 5: बिटकॉइन का भविष्य और सतोशी का रहस्य

सतोशी नाकामोतो 2011 में गायब हो गए। उन्होंने बिटकॉइन की बागडोर कम्युनिटी को सौंप दी और खुद पर्दे के पीछे चले गए। आज भी उनकी असल पहचान एक रहस्य है। कुछ का मानना है कि वह एक जापानी प्रोग्रामर थे, तो कुछ कहते हैं कि यह कई लोगों का समूह था।

बिटकॉइन का भविष्य भी उतना ही रोमांचक है। कुछ इसे भविष्य की करेंसी मानते हैं, तो कुछ इसे एक जोखिम भरा निवेश। लेकिन एक बात पक्की है—बिटकॉइन ने दुनिया को दिखा दिया कि तकनीक कैसे वित्तीय व्यवस्था को बदल सकती है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .