"बेटी को 10 हजार में बेचने वाली मां को 10 साल की सजा: अलवर कोर्ट ने दी कड़ी चेतावनी, 'नरमी बर्दाश्त नहीं'"
अलवर की पॉक्सो कोर्ट ने 11 वर्षीय बेटी को 10 हजार रुपये में बेचने वाली मां को 10 साल की कठोर कारावास और 5.5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधों में नरमी से समाज में गलत संदेश जाएगा। बच्ची को कोलकाता से लाकर गाजूकी गांव में बिल्लो नाम की महिला ने 6 महीने तक देह व्यापार में धकेला।

अलवर, राजस्थान: एक दिल दहलाने वाले मामले में, अलवर की पॉक्सो कोर्ट ने अपनी 11 वर्षीय नाबालिग बेटी को मात्र 10 हजार रुपये में बेचने वाली मां को 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश शिल्पा समीर ने इस जघन्य अपराध के लिए मां पर 5.5 लाख रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि ऐसे अपराधों में नरमी बरतने से समाज में गलत संदेश जाएगा, इसलिए कठोर सजा जरूरी है। इस मामले ने न केवल मानवता को शर्मसार किया है, बल्कि माता-पिता और बच्चे के रिश्ते पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।
मामले की पृष्ठभूमि: मासूम की तस्करी और देह व्यापार
यह मामला 2016 का है, जब पश्चिम बंगाल की रहने वाली एक मां ने अपनी 11 साल की बेटी को 10 हजार रुपये में बेच दिया था। बच्ची को कोलकाता से अलवर के गाजूकी गांव लाया गया, जहां उसे बिल्लो नाम की एक महिला ने बंधक बनाकर देह व्यापार के लिए मजबूर किया। करीब छह महीने तक मासूम बच्ची को इस अमानवीय कृत्य का शिकार बनाया गया। बच्ची की जिंदगी नर्क बन चुकी थी, जब तक पुलिस ने इस घिनौने अपराध का खुलासा नहीं किया।
पुलिस को मिली गुप्त सूचना, बच्ची को बचाया गया
7 अगस्त 2016 को तत्कालीन सदर थाना प्रभारी कैलाश चौधरी को गाजूकी गांव में देह व्यापार की सूचना मिली। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए छापेमारी की और 11 वर्षीय बच्ची को बिल्लो के घर से बरामद किया। बच्ची ने पूछताछ में बताया कि उसे कोलकाता से लाकर बिल्लो द्वारा जबरन देह व्यापार में धकेला गया था। उसने अपनी मां द्वारा उसे बेचे जाने की दर्दनाक कहानी भी सुनाई। इस बयान ने पुलिस और जांच अधिकारियों को झकझोर दिया।
मां की गिरफ्तारी: पश्चिम बंगाल से पकड़ा गया
पुलिस ने फरार आरोपियों की तलाश जारी रखी। गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद 14 अगस्त 2023 को बच्ची की मां को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया। जांच में यह साफ हो गया कि मां ने ही अपनी बेटी को 10 हजार रुपये में बेचकर इस अपराध की शुरुआत की थी। सहयोगी अभी भी फरार है, और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: कठोर सजा, समाज को संदेश
2 अगस्त 2025 को पॉक्सो कोर्ट की विशेष न्यायाधीश शिल्पा समीर ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी मां को 10 साल की कठोर कारावास की सजा दी। कोर्ट ने 5.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। सरकारी वकील पंकज यादव ने बताया कि कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि इस तरह के अपराधों में किसी भी तरह की नरमी समाज में गलत संदेश देगी। इसलिए, अपराध की गंभीरता को देखते हुए कठोर से कठोर सजा दी गई।
समाज के लिए सबक: कोर्ट की सख्त टिप्पणी
न्यायाधीश शिल्पा समीर ने अपने फैसले में कहा, "माता-पिता का कर्तव्य अपने बच्चों की रक्षा करना है, न कि उन्हें बेचना। इस तरह के अपराध न केवल कानून का उल्लंघन हैं, बल्कि मानवता के खिलाफ भी हैं। अगर ऐसे मामलों में नरमी बरती गई, तो यह समाज में गलत संदेश देगा और अपराधियों का हौसला बढ़ेगा।" कोर्ट का यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने वाला है, बल्कि समाज को यह चेतावनी भी देता है कि बच्चों के खिलाफ अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पीड़िता की स्थिति और भविष्य
इस मामले में पीड़िता को छह महीने तक असहनीय यातना झेलनी पड़ी। पुलिस ने उसे सुरक्षित बरामद कर लिया, लेकिन इस घटना ने उसके मन पर गहरे जख्म छोड़े होंगे। कोर्ट ने पीड़िता के पुनर्वास और सुरक्षा के लिए भी निर्देश दिए हैं। यह फैसला न केवल अपराधियों को सजा देता है, बल्कि समाज को यह भी बताता है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पूरी तरह सख्त है।
एक मिसाल कायम
अलवर पॉक्सो कोर्ट का यह फैसला बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति को दर्शाता है। यह समाज को यह संदेश देता है कि माता-पिता का रिश्ता पवित्र है, और इसे धन के लिए कलंकित करने वालों को कठोर सजा मिलेगी। पुलिस और कोर्ट की इस त्वरित और सख्त कार्रवाई ने न केवल पीड़िता को इंसाफ दिलाया, बल्कि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए भी एक मिसाल कायम की है।