4 साल के बेटे को खिलाया ज़हर फिर पति पत्नी ने लगाई फंसी...

शाहजहांपुर में एक दिल दहलाने वाली घटना ने सभी को झकझोर दिया। कर्ज और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैंडलूम कारोबारी सचिन ग्रोवर (30) और उनकी पत्नी शिवानी (28) ने अपने चार साल के मासूम बेटे फतेह को जहर देकर मौत की नींद सुलाया और फिर खुद फांसी लगाकर जीवन खत्म कर लिया। सुसाइड नोट में उन्होंने कर्ज के बोझ और मानसिक पीड़ा का जिक्र किया, जिसमें लिखा, "कोई साथ नहीं दे रहा, कर्ज चुकाने के लिए मकान-कार बेच दो।" इस त्रासदी ने परिवार को तोड़ दिया और समाज के सामने कई सवाल छोड़ दिए।

Aug 28, 2025 - 17:50
4 साल के बेटे को खिलाया ज़हर फिर पति पत्नी ने लगाई फंसी...

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो सुनकर रूह कांप जाए और आंखें नम हो जाएं। रोजा थाना क्षेत्र की दुर्गा एनक्लेव कॉलोनी में रहने वाले एक हैंडलूम कारोबारी दंपति ने आर्थिक तंगी और कर्ज के भारी बोझ से त्रस्त होकर न केवल अपनी जिंदगी खत्म की, बल्कि अपने मासूम चार साल के बेटे को भी मौत की नींद सुला दिया। इस हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है, और एक सुसाइड नोट ने इस त्रासदी के पीछे की दर्दनाक कहानी को उजागर किया है।

क्या है पूरा मामला?

30 वर्षीय सचिन ग्रोवर और उनकी 28 वर्षीय पत्नी शिवांगी ने मंगलवार रात को एक ऐसा कदम उठाया, जिसने उनके परिवार और समाज को गहरे शोक में। पुलिस के अनुसार, दंपति ने पहले अपने चार साल के बेटे फतेह को जहरीला पदार्थ, संभवतः चूहे मारने की दवा, खिलाकर उसकी जान ले ली। इसके बाद, दोनों ने अलग-अलग कमरों में पंखे से फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह दुखद घटना तब सामने आई, जब बुधवार सुबह सचिन की मां दूसरी मंजिल पर बने उनके कमरे में पहुंचीं और वहां का मंजर देखकर चीख उठीं। बच्चे का शव बेड पर पड़ा था, जबकि सचिन और शिवांगी के शव फंदे से लटक रहे थे।

सुसाइड नोट में छिपा दर्द

पुलिस को घटनास्थल से एक 33-35 पन्नों का सुसाइड नोट मिला, जिसे शिवांगी ने अपनी मां को व्हाट्सएप पर भेजा था। इस नोट में दंपति ने अपने दिल का दर्द और मजबूरी बयां की। सचिन ने लिखा, "मैं बहुत परेशान हूं। मुझ पर बहुत कर्ज हो गया है। अलग-अलग लोगों से लिया कर्ज मेरी कमाई से चुकता नहीं हो पा रहा। इस बुरे वक्त में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया।" नोट में यह भी लिखा था कि उन्हें अपने परिजनों से कोई शिकायत नहीं है, और उन्होंने अनुरोध किया कि उनकी कार और मकान बेचकर कर्ज चुकाया जाए, ताकि कोई यह न कहे कि उनका कर्ज बाकी रहा। शिवांगी ने अपनी मां से लिखा, "मेरी वजह से आप लोग परेशान रहते हैं। अब आप लोग आराम से रहिएगा।"

कर्ज और आर्थिक तंगी ने तोड़ा हौसला

जांच में सामने आया कि सचिन हैंडलूम का कारोबार करते थे, लेकिन व्यापार में भारी घाटा होने के कारण वह कर्ज के जाल में फंस गए थे। सूत्रों के अनुसार, सचिन ने जिला उद्योग केंद्र से 50 लाख रुपये का लोन लिया था, जिस पर सब्सिडी मिलनी थी। लेकिन कथित तौर पर अधिकारियों ने सब्सिडी के लिए 50 प्रतिशत रिश्वत मांगी थी, जिसने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया। मंगलवार रात को ही सचिन ने कई दोस्तों से अपनी कार गिरवी रखकर तीन लाख रुपये की मदद मांगी थी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। सचिन की मां ने बताया कि मंगलवार शाम को ही सचिन ने कहा था कि उसे पांच लाख रुपये बैंक में जमा करने हैं, और तीन लाख का इंतजाम हो गया है। लेकिन शायद यह आखिरी उम्मीद भी टूट गई।

परिवार में मचा कोहराम

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर शवों को कब्जे में लिया। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, और पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है। सचिन की भाभी ज्योति ग्रोवर ने बताया कि मंगलवार शाम को सचिन, शिवांगी और फतेह साथ में हंसी-खुशी मस्ती कर रहे थे। किसी को अंदाजा नहीं था कि उनके मन में इतना बड़ा तूफान चल रहा है। सचिन की सास संध्या मिश्रा ने बताया कि शिवांगी ने उन्हें 35 पन्नों का सुसाइड नोट भेजा था, जिसमें मकान और गाड़ी के कर्ज का जिक्र था। इस घटना ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। सचिन के भाई रोहित, मासूम फतेह का शव गोद में लेकर फफक-फफक कर रो रहे थे।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। दंपति के मोबाइल फोन को कब्जे में लिया गया है, और उनकी कॉल डिटेल्स (CDR) निकाली जाएगी। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस आर्थिक तंगी और कर्ज को इस त्रासदी का मुख्य कारण मान रही है। हालांकि, पुलिस हर पहलू की गहराई से जांच कर रही है ताकि कोई और राज सामने आए।

समाज के लिए एक सवाल

यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा सवाल भी खड़ा करती है। आर्थिक तंगी और कर्ज का बोझ इंसान को इतना मजबूर कर सकता है कि वह अपने और अपने मासूम बच्चे की जान ले ले? क्या समय रहते मदद मिलती, तो यह परिवार बच सकता था? इस दुखद घटना ने न केवल शाहजहांपुर, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है।