रेगिस्तान की आग में जल गए दो दिल: एक दुखद प्रेम कहानी

जैसलमेर के बिभियान रेगिस्तान में पाकिस्तानी कपल रविकुमार और शांति बाई की डिहाइड्रेशन और गर्मी से मौत हो गई, जो बेहतर जिंदगी के लिए अवैध रूप से भारत-पाकिस्तान सीमा पार कर रहे थे। उनके शवों के पास खाली पानी का कैन और पाकिस्तानी पहचान पत्र मिले, जिससे सुरक्षा जांच तेज हो गई है।

Jul 1, 2025 - 19:21
रेगिस्तान की आग में जल गए दो दिल: एक दुखद प्रेम कहानी

राजस्थान के जैसलमेर जिले के सुनसान बिभियान रेगिस्तान में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। बेहतर जिंदगी की तलाश में भारत-पाकिस्तान सीमा पार करने वाले एक युवा पाकिस्तानी जोड़े, 17 साल के रविकुमार और 15 साल की शांति बाई की तपती गर्मी और डिहाइड्रेशन के कारण मौत हो गई। जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने बताया कि शनिवार को उनके शव रेगिस्तान में बरामद हुए, जिनके पास एक खाली पानी का कैन पड़ा था।

पुलिस के अनुसार, रवि और शांति की शादी चार महीने पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत के घोटकी जिले, मीरपुर मथेलो में हुई थी। यह शादी उनके परिवारों ने तय की थी। भारत में सुरक्षित और बेहतर जिंदगी का सपना देखते हुए दोनों ने वीजा के लिए आवेदन किया था, लेकिन भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों के कारण उनकी अर्जी खारिज हो गई। हार न मानते हुए, दोनों ने अवैध रूप से सीमा पार करने का खतरनाक फैसला लिया।

पिता ने दी थी चेतावनी

पुलिस जांच में सामने आया कि रवि के पिता ने उन्हें सीमा पार करने के खतरों से आगाह किया था। एक हफ्ते पहले इस मुद्दे पर पिता-पुत्र के बीच तीखी बहस भी हुई थी, लेकिन रवि अपने इरादे से नहीं डिगे। एक हफ्ते पहले सीमा पार करने के बाद दोनों रेगिस्तान में भटक गए। उनके पास पानी का कैन था, जो बाद में खाली मिला। यह खाली कैन, जो रवि के चेहरे पर पड़ा था, उनकी आखिरी जद्दोजहद की मूक गवाही देता है।

शवों के पास मिले पाकिस्तानी दस्तावेज

पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने बताया कि शवों के पास से पाकिस्तानी राष्ट्रीय पहचान पत्र बरामद हुए हैं, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इस घटना को सीमा पार से घुसपैठ या अन्य आपराधिक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां गहन जांच में जुटी हैं। चौधरी ने कहा, "सभी कानूनी प्रक्रियाएं नियमानुसार की जा रही हैं।"

शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी

हिंदू पाकिस्तानी विस्थापित यूनियन और बॉर्डर पीपल ऑर्गनाइजेशन के जिला समन्वयक दिलीप सिंह सोढ़ा ने बताया कि अगर भारत सरकार शवों को पाकिस्तान वापस भेजती है, तो जैसलमेर में मौजूद रिश्तेदार उन्हें स्वीकार करने को तैयार हैं। यदि शव वापस नहीं भेजे गए, तो परिजन हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार करने को तैयार हैं।

Yashaswani Journalist at The Khatak .