ट्रंप का तूफानी दांव: स्टील-एल्युमिनियम पर 50% टैरिफ, ग्लोबल ट्रेड वॉर में नया मोड़
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्युमिनियम पर आयात टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया, जो 4 जून 2025 से लागू होगा। यह कदम अमेरिकी स्टील उद्योग को मजबूत करने और चीन पर व्यापार समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाने के बाद उठाया गया है। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध तेज हो सकता है, जिसका असर भारत, कनाडा, मेक्सिको और यूरोपीय संघ जैसे देशों पर पड़ सकता है। टैरिफ वृद्धि से अमेरिकी उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतें झेलनी पड़ सकती हैं, और भारत जैसे निर्यातक देशों को नुकसान हो सकता है। जापान की निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील के बीच समझौता इस नीति का हिस्सा हो सकता है, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं और अर्थव्यवस्थाएं अस्थिर हो सकती हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार को हिलाने वाला कदम उठाया है। उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है, जो बुधवार, 4 जून 2025 से लागू होगा। यह घोषणा पेनसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग में एक रैली के दौरान की गई, जहां ट्रंप ने इसे अमेरिकी स्टील उद्योग को मजबूत करने और विदेशी प्रभाव, खासकर चीन, से बचाने का मास्टरस्ट्रोक बताया। लेकिन यह कदम वैश्विक व्यापार युद्ध को और भड़काने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि ट्रंप ने चीन पर हाल ही में हुए व्यापार समझौते का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया है। आइए, इस खबर के हर पहलू को सरल और सटीक शब्दों में समझते हैं।
टैरिफ बढ़ाने का फैसला: क्यों और कैसे?
ट्रंप ने शुक्रवार को पेनसिल्वेनिया में एक रैली में कहा कि यह टैरिफ वृद्धि अमेरिकी स्टील और एल्युमिनियम उद्योग को "और मजबूत" करेगी। अमेरिका में इस्तेमाल होने वाला लगभग 25% स्टील आयातित है, और ट्रंप को मेक्सिको और कनाडा जैसे देशों से आयात पर निर्भरता कम करने की चिंता है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता से जोड़ा है। इस कदम के पीछे जापान की निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील के बीच एक "ब्लॉकबस्टर समझौते" का जिक्र भी किया गया, जिसमें निप्पॉन स्टील ने यूएस स्टील के भविष्य में 14 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। हालांकि, इस साझेदारी की बारीकियां अभी स्पष्ट नहीं हैं।
चीन पर उल्लंघन का आरोप: क्या है विवाद?
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर चीन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि चीन ने मई 2025 में जिनेवा में हुए व्यापार समझौते का "पूरी तरह उल्लंघन" किया है। इस समझौते में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ को 115% तक कम करने और 90 दिनों के लिए व्यापार युद्ध को ठंडे बस्ते में डालने पर सहमति जताई थी। लेकिन ट्रंप के व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा कि चीन ने गैर-टैरिफ अवरोधों को हटाने में ढिलाई बरती, जो समझौते का हिस्सा था।
चीन ने इन आरोपों पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन उसने पहले अमेरिकी प्रतिबंधों, जैसे चीनी सेमीकंडक्टर और स्टूडेंट वीजा पर पाबंदियों को "भेदभावपूर्ण" बताया था। यह तनाव न केवल अमेरिका-चीन संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और अर्थव्यवस्थाओं पर भी असर डाल सकता है।
वैश्विक व्यापार पर असर: क्या होगा अब?
- अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ: अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ सकता है। स्टील और एल्युमिनियम का उपयोग ऑटोमोबाइल, निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कई उद्योगों में होता है। इससे उत्पादों की लागत बढ़ सकती है, जो अंततः आम लोगों की जेब पर असर डालेगी।
- भारत और अन्य देशों पर प्रभाव: भारत, जो अमेरिका को स्टील और एल्युमिनियम निर्यात करता है, को इस फैसले से नुकसान हो सकता है। पहले से ही 25% टैरिफ का असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ रहा था, और अब 50% टैरिफ इसे और चुनौतीपूर्ण बना सकता है। भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत में सतर्क रहना चाहिए, खासकर जब ट्रंप की नीतियां विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अमेरिकी कानूनों के खिलाफ मानी जा रही हैं।
- वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा: यह टैरिफ न केवल चीन, बल्कि कनाडा, मेक्सिको, यूरोपीय संघ और अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ तनाव बढ़ा सकता है। हाल ही में, एक अमेरिकी व्यापार अदालत ने ट्रंप के कुछ टैरिफ को गैरकानूनी ठहराया था, लेकिन स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ को बरकरार रखा गया। इससे ट्रंप की नीतियों पर कानूनी और आर्थिक सवाल उठ रहे हैं।
- जापान के साथ साझेदारी का असर: निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील का समझौता अमेरिकी स्टील उद्योग को मजबूत करने की दिशा में एक कदम हो सकता है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह साझेदारी टैरिफ के प्रभाव को कैसे संतुलित करेगी, खासकर जब वैश्विक स्टील उत्पादन में चीन, भारत और जापान जैसे देश पहले ही अमेरिका से आगे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम अल्पकालिक रूप से अमेरिकी स्टील उद्योग को फायदा पहुंचा सकता है, लेकिन लंबे समय में यह वैश्विक व्यापार को अस्थिर कर सकता है। पहले ही अप्रैल 2025 में ट्रंप द्वारा लगाए गए 10% आधारभूत टैरिफ और कुछ देशों पर 145% तक के टैरिफ ने शेयर बाजारों में उथल-पुथल मचाई थी। अब यह नया कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को और प्रभावित कर सकता है।
ट्रंप का यह फैसला वैश्विक व्यापार में एक नया तूफान ला सकता है। जहां एक तरफ अमेरिका अपने उद्योगों को बचाने की कोशिश कर रहा है, वहीं यह कदम भारत, चीन और अन्य देशों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है। भारत को अब अपनी व्यापार नीतियों को सावधानी से तैयार करना होगा, ताकि वह इस टैरिफ युद्ध में अपनी अर्थव्यवस्था को बचा सके। साथ ही, वैश्विक स्तर पर व्यापारिक वार्ताओं और कानूनी लड़ाइयों का दौर तेज होने की संभावना है। क्या यह ट्रंप का "अमेरिका फर्स्ट" का मास्टर प्लान है या वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक जोखिम भरा दांव? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।