जोधपुर में वर्दी का धोखा: दोस्तों को अगवा कर पुलिस ने की 9.5 लाख की चोरी!

जोधपुर में माता का थान थाने के चार पुलिसकर्मियों ने मॉल में खरीदारी करने आए दो दोस्तों को बंधक बनाकर 9.5 लाख रुपये लूटे। पीड़ितों की शिकायत पर आरोपियों को गिरफ्तार कर निलंबित किया गया, और जांच शुरू हो गई है।

Jul 17, 2025 - 18:31
जोधपुर में वर्दी का धोखा: दोस्तों को अगवा कर पुलिस ने की 9.5 लाख की चोरी!

राजस्थान के जोधपुर शहर में एक चौंकाने वाली घटना ने पुलिस महकमे की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। माता का थान थाने के चार पुलिसकर्मियों ने मॉल में खरीदारी करने आए दो दोस्तों को बंधक बनाकर उनसे 9 लाख 50 हजार रुपये लूट लिए। इस सनसनीखेज वारदात में आरोपियों ने न सिर्फ नकदी वसूली, बल्कि क्रिप्टो करेंसी भी ट्रांसफर करवा ली। पीड़ितों को झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर डराया-धमकाया गया। मामले की शिकायत के बाद चारों आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है।

मॉल के बाहर से अपहरण

घटना 14 जुलाई की शाम की है। रामदेव नगर निवासी दिलीप गौड़ और सुभाष चौक निवासी रमेश अपनी कार से मानजी का हत्था स्थित मॉल में खरीदारी करने पहुंचे। जैसे ही वे कार पार्क कर रहे थे, एक सफेद ब्रेजा कार में सवार पुलिस वर्दीधारी सिपाही जगमाल और सादे कपड़ों में तीन अन्य पुलिसकर्मी वहां पहुंचे। आरोपियों ने दोनों को डराना-धमकाना शुरू कर दिया। जगमाल ने दिलीप को कार से उतारकर खुद ड्राइविंग सीट संभाल ली, जबकि बाकी सिपाही पीछे बैठकर "तुम्हारा अपहरण हो गया है" जैसी धमकियां देने लगे। मौके पर ही दोनों से 50-50 हजार रुपये नकद वसूल लिए गए।

थाने में बंधक बनाकर लूट

आरोपियों ने दोनों दोस्तों को कार सहित माता का थान थाने ले जाया, जहां सिपाही राकेश भी शामिल हो गया। वहां पीड़ितों को बंधक बनाकर उनकी और उनके परिवार की बैंक जानकारी हासिल की गई। झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर दिलीप से उनकी पत्नी का एटीएम कार्ड और पासवर्ड छीन लिया गया। रमेश को बैंक से एक लाख रुपये एटीएम के जरिए निकलवाकर आरोपियों ने अपने पास रख लिए। इतना ही नहीं, दिलीप का आईफोन-14 छीनकर उसमें मौजूद 7.5 लाख रुपये की क्रिप्टो करेंसी (TETHER 8683.18) को किसी अन्य खाते में ट्रांसफर करवा लिया।

"किसी को बताया तो फंसा देंगे"

पुलिसकर्मियों ने पीड़ितों से कुछ दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर करवाए और धमकी दी कि अगर उन्होंने किसी को इस घटना के बारे में बताया तो उन्हें झूठे केस में फंसाया जाएगा। रात करीब साढ़े आठ बजे दोनों को डराकर उनका मोबाइल लौटाकर छोड़ दिया गया।

पीड़ितों की शिकायत पर कार्रवाई

घटना के दो दोस्तों ने हिम्मत जुटाकर 16 जुलाई को डीसीपी (पूर्व) आलोक श्रीवास्तव से संपर्क किया और लिखित शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की गई। महामंदिर पुलिस ने चारों आरोपी पुलिसकर्मियों को देर रात गिरफ्तार कर लिया और उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें दो-दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। डीसीपी ने चारों पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई।

जांच के लिए आईपीएस अधिकारी नियुक्त

मामले की जांच आईपीएस अधिकारी हेमंत कलाल को सौंपी गई है, जो इस घटनाक्रम की गहन तहकीकात करेंगे। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह वारदात सुनियोजित थी, और आरोपियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर पीड़ितों को डराने और लूटने की साजिश रची।

जनता में आक्रोश, पुलिस की साख पर सवाल

इस घटना ने जोधपुर में पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। लोग यह पूछ रहे हैं कि जब खाकी वर्दी वाले ही लूटपाट पर उतर आएंगे, तो आम जनता अपनी सुरक्षा के लिए किस पर भरोसा करे? इस मामले ने न केवल स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है, बल्कि पुलिस महकमे की विश्वसनीयता पर भी गहरा आघात पहुंचाया है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .