"राणा सांगा पर बयान से राजस्थान में सियासी तूफान: जुबान काटने की धमकी से लेकर अल्पबुद्धि तक, सपा सांसद घिरे"
राज्यसभा सांसद और समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता रामजी लाल सुमन के मेवाड़ के महान राजपूत योद्धा राणा सांगा को "गद्दार" कहने वाले बयान ने राजस्थान में सियासी भूचाल ला दिया है। सुमन के इस बयान के बाद शुरू हुई बयानबाजी और विरोध का सिलसिला अब धमकियों और तीखी आलोचनाओं तक पहुंच गया है। जहां राजपूत करणी सेना ने सांसद की "जुबान काटने" की धमकी दी है, वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें "अल्पबुद्धि" करार दिया। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, बीजेपी और कांग्रेस के प्रमुख राजपूत नेताओं ने भी सुमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद और समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता रामजी लाल सुमन के मेवाड़ के महान राजपूत योद्धा राणा सांगा को "गद्दार" कहने वाले बयान ने राजस्थान में सियासी भूचाल ला दिया है। सुमन के इस बयान के बाद शुरू हुई बयानबाजी और विरोध का सिलसिला अब धमकियों और तीखी आलोचनाओं तक पहुंच गया है। जहां राजपूत करणी सेना ने सांसद की "जुबान काटने" की धमकी दी है, वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें "अल्पबुद्धि" करार दिया। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, बीजेपी और कांग्रेस के प्रमुख राजपूत नेताओं ने भी सुमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यह विवाद अब संसद से सड़कों तक पहुंच चुका है।
बयान से शुरू हुआ विवाद
रामजी लाल सुमन ने 21 मार्च को राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान कहा था, "बीजेपी का तकिया कलाम हो गया है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। मैं जानना चाहता हूं कि बाबर को कौन लाया था? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लाया था। तो अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।" इस बयान में राणा सांगा को "गद्दार" कहे जाने से राजपूत समाज और राजस्थान में आक्रोश फैल गया।
करणी सेना का उग्र रुख
राजपूत करणी सेना ने सुमन के बयान को अपमानजनक बताते हुए कड़ा विरोध जताया। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में करणी सेना के सदस्यों ने सपा के प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और सुमन के खिलाफ नारेबाजी की। संगठन ने सांसद के मुंह पर कालिख पोतने और जूते मारने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की। करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने तो सुमन की "जुबान काटने" की धमकी तक दे डाली। मकराना ने कहा, "जब तक सुमन की राज्यसभा सदस्यता खत्म नहीं होती, हमारा विरोध जारी रहेगा। वे जहां मिलेंगे, उनका मुंह काला किया जाएगा।"
बीजेपी और कांग्रेस का एकजुट विरोध
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सुमन के बयान को "निम्नस्तरीय" करार देते हुए कहा, "शूरवीरों की धरती राजस्थान के लाडले सपूत राणा सांगा के बारे में सपा सांसद का यह बयान न केवल राजस्थान की 8 करोड़ जनता को, बल्कि पूरे देश को आहत करता है।" उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से माफी मांगने और सुमन पर कार्रवाई की मांग की।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सुमन को "तुच्छ बुद्धि और छोटे हृदय वाला" बताया और कहा, "बाबर और राणा सांगा को एक पलड़े में रखने की कोई गुंजाइश नहीं। यह उनकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है।" उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी सुमन से सार्वजनिक माफी की मांग करते हुए कहा, "80 घाव खाकर भी देश के लिए लड़ने वाले राणा सांगा को गद्दार कहना शौर्य और बलिदान का अपमान है।"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी सुमन की निंदा की और सख्त कार्रवाई की मांग उठाई। उन्होंने कहा, "राणा सांगा जैसे योद्धा पर ऐसी टिप्पणी अस्वीकार्य है।"
सड़कों पर उतरा गुस्सा
सुमन के बयान के बाद राजस्थान के जोधपुर, उदयपुर और जयपुर सहित कई शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। मारवाड़ राजपूत समुदाय ने सांसद को निष्कासित करने और माफी मांगने की मांग की। आगरा में भी बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सुमन के खिलाफ प्रदर्शन किया, वहीं अखिल भारत हिंदू महासभा ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी सुमन की टिप्पणी को "शर्मनाक" बताया और माफी की मांग की।
सुमन का बचाव और सपा का रुख
विवाद बढ़ने के बाद रामजी लाल सुमन ने सफाई दी। आगरा में अपने निवास पर उन्होंने कहा, "मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था। मैंने सिर्फ इतिहास का तथ्य रखा कि बाबर को राणा सांगा के निमंत्रण पर भारत लाया गया था। रोज-रोज मुसलमानों को बाबर का डीएनए बताकर गालियां देना ठीक नहीं।" सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने सांसद का बचाव करते हुए कहा, "बीजेपी औरंगजेब पर बहस करना चाहती है, तो रामजी लाल ने भी इतिहास का एक पन्ना पलट दिया। बीजेपी को इतिहास के पन्ने पलटने बंद करने चाहिए।"
इतिहासकारों की राय
राणा सांगा, जिनका पूरा नाम महाराणा संग्राम सिंह था, 1508 से 1528 तक मेवाड़ के शासक रहे। उन्हें दिल्ली सल्तनत और मुगलों के खिलाफ राजपूतों को एकजुट करने के लिए जाना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, राणा सांगा ने बाबर को इब्राहिम लोदी के खिलाफ सहायता के लिए आमंत्रित करने की बात विवादास्पद है और इसकी पुष्टि स्पष्ट रूप से नहीं होती। हालांकि, 1527 में खानवा के युद्ध में राणा सांगा और बाबर आमने-सामने हुए थे, जिसमें राणा सांगा को हार का सामना करना पड़ा था।