"राजवीर सिंह की तेरहवीं पर मां ने भी छोड़ा साथ: केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश ने तोड़ा जयपुर का परिवार"
जयपुर के शास्त्री नगर निवासी पायलट राजवीर सिंह चौहान की 15 जून 2025 को केदारनाथ हेलीकॉप्टर क्रैश में मृत्यु के बाद, उनकी मां विजय लक्ष्मी चौहान अपने बेटे की तेरहवीं (28 जून 2025) के दिन दिल का दौरा पड़ने से चल बसीं।

जयपुर, 30 जून 2025: राजस्थान की राजधानी जयपुर के शास्त्री नगर में रहने वाले चौहान परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के पास 15 जून 2025 को हुए एक दर्दनाक हेलीकॉप्टर क्रैश में अपने होनहार बेटे, पायलट राजवीर सिंह चौहान को खोने का गम परिवार अभी सहन कर ही रहा था कि ठीक 13 दिन बाद, बेटे की तेरहवीं के दिन, उनकी मां विजय लक्ष्मी चौहान ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यह हृदयविदारक घटना न केवल परिवार, बल्कि पूरे शहर को गमगीन कर गई।
हेलीकॉप्टर क्रैश और राजवीर सिंह की शहादत
15 जून 2025 को सुबह करीब 5:20 बजे, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड के पास आर्यन एविएशन कंपनी का एक बेल 407 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। यह हेलीकॉप्टर केदारनाथ धाम से श्रद्धालुओं को लेकर गुप्तकाशी जा रहा था। प्रारंभिक जांच के अनुसार, घाटी में खराब मौसम और कम विजिबिलिटी के कारण यह हादसा हुआ। हेलीकॉप्टर में सवार पायलट राजवीर सिंह चौहान सहित सात लोगों की जान चली गई, जिनमें एक दो साल का बच्चा भी शामिल था।
राजवीर सिंह चौहान, जो जयपुर के शास्त्री नगर के नाहरी का नाका क्षेत्र के निवासी थे, भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए थे। उन्होंने 15 साल तक सेना में देश की सेवा की और विभिन्न भूभागों में उड़ान मिशनों का व्यापक अनुभव हासिल किया। अक्टूबर 2024 में उन्होंने आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड में बतौर पायलट जॉइन किया था। उनके पास 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव था, और वे इंडियन एयरफोर्स में कैप्टन के पद पर भी रह चुके थे।
राजवीर की पत्नी दीपिका चौहान, जो वर्तमान में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर तैनात हैं, और उनके चार महीने पहले जन्मे जुड़वां बच्चों के लिए यह हादसा एक बड़ा आघात था। हादसे की खबर सुनते ही परिवार में मातम छा गया, और उनके पिता गोविंद सिंह चौहान को सुबह 7:30 बजे उनके सहयोगी ने इस दुखद घटना की जानकारी दी।
मां का टूटा दिल, तेरहवीं पर ली अंतिम सांस
राजवीर की मौत के बाद उनका परिवार किसी तरह इस सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा था। 28 जून 2025 को, राजवीर की तेरहवीं की रस्में निभाई जा रही थीं। विजय लक्ष्मी चौहान, जो अपने बेटे के जाने के गम में पूरी तरह टूट चुकी थीं, ने उस दिन सुबह ब्राह्मण भोज के लिए अपने हाथों से खाना तैयार किया। बीकानेर से आए कुछ रिश्तेदारों के सामने वे भावुक हो गईं और जोर-जोर से रोने लगीं। तभी अचानक उनके सीने में तेज दर्द उठा।
परिवार और पड़ोसियों ने तुरंत उन्हें जयपुर के कांवटिया अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया गया कि 58 वर्षीय विजय लक्ष्मी को दिल का दौरा पड़ा था, और वे अपने इकलौते बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाईं। उनकी तबीयत राजवीर की मौत के बाद से लगातार खराब थी, और वे मानसिक व भावनात्मक रूप से पूरी तरह टूट चुकी थीं। उसी दिन देर शाम उनका अंतिम संस्कार जयपुर के चांदपोल श्मशान घाट में किया गया।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
राजवीर सिंह चौहान की मौत ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया था। उनके बड़े भाई चंद्रवीर सिंह ने 16 जून को उत्तराखंड जाकर राजवीर के शव की पहचान उनकी घड़ी और अंगूठी के आधार पर की। पुलिस ने डीएनए जांच के लिए सैंपल भी लिया था। राजवीर का पार्थिव शरीर 17 जून को जयपुर लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
राजवीर की पत्नी दीपिका, जो 2011 में उनसे शादी के बाद 14 साल बाद मां बनी थीं, अपने जुड़वां बच्चों के साथ इस दुख को सह रही हैं। राजवीर के पिता गोविंद सिंह ने बताया कि हादसे से पहले राजवीर ने लैंडिंग के लिए लेफ्ट टर्न लेने का अंतिम मैसेज भेजा था, जिसके बाद हादसा हो गया। यह भी दुखद संयोग था कि हादसा फादर्स डे के दिन हुआ, जब राजवीर अपने चार महीने के बच्चों के साथ समय बिताने की योजना बना रहे थे।
नेताओं ने जताया शोक
इस दुखद घटना पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने गहरी संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे के बाद केदारनाथ में हेलीकॉप्टर सेवाओं पर रोक लगा दी और जांच के आदेश दिए।
सामाजिक संवेदना और रद्द हुए कार्यक्रम
राजवीर की तेरहवीं के लिए आयोजित सभी श्रद्धांजलि कार्यक्रम और सामूहिक आयोजन विजय लक्ष्मी के निधन के बाद रद्द कर दिए गए। शास्त्री नगर राणा कॉलोनी में रहने वाले पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने इस दोहरे दुख में परिवार का साथ दिया, लेकिन यह हादसा पूरे समुदाय के लिए एक गहरा आघात बन गया।