राजस्थान की सियासत में उलटफेर: कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द, अंता में उपचुनाव की तैयारी

राजस्थान की अंता विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी को विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने रद्द कर दिया। यह फैसला 2005 के एक मामले में मीणा को मिली तीन साल की सजा के बाद लिया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। अब अंता सीट पर छह महीने के भीतर उपचुनाव होगा। इस घटना ने राजस्थान की सियासत में हलचल मचा दी है, और विधानसभा में 200 विधायकों के एक साथ न बैठने का रिकॉर्ड फिर चर्चा में है। बीजेपी और कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव एक बड़ा सियासी इम्तिहान होगा।

May 23, 2025 - 14:53
राजस्थान की सियासत में उलटफेर: कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द, अंता में उपचुनाव की तैयारी

राजस्थान की राजनीति में इस वक्त एक बड़ी हलचल मची हुई है। बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी को रद्द कर दिया गया है। यह फैसला राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने लिया है। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी है, बल्कि अंता सीट पर जल्द ही उपचुनाव की तैयारियों को भी हवा दे दी है।

कंवरलाल मीणा, जो अंता से बीजेपी के विधायक थे, को 2005 में एक पुराने मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई थी। यह मामला तब का है जब मीणा ने एक उप-सरपंच चुनाव में दोबारा मतदान की मांग को लेकर तत्कालीन अकलेरा के उप-जिलाधिकारी (एसडीएम) रामनिवास मेहता को रिवॉल्वर दिखाकर धमकाया था। इसके साथ ही उन पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप था। इस मामले में निचली अदालत ने उन्हें 2018 में बरी कर दिया था, लेकिन अपील कोर्ट ने 2020 में उन्हें दोषी ठहराया। राजस्थान हाई कोर्ट ने भी मई 2025 में इस सजा को बरकरार रखा, और सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 मई 2025 को उनकी याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो हफ्तों के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था।

21 मई 2025 को कंवरलाल मीणा ने मानोहर थाना कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद, विपक्षी दल कांग्रेस ने उनकी विधायकी रद्द करने की मांग को और तेज कर दिया। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को पत्र लिखकर, प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(3) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि किसी विधायक को दो साल से अधिक की सजा होने पर उसकी सदस्यता स्वतः रद्द हो जाती है।

वासुदेव देवनानी ने इस मामले में कानूनी राय लेने के बाद आखिरकार कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द करने का फैसला लिया। इस फैसले ने राजस्थान की सियासत में एक नया मोड़ ला दिया है।

अंता में अब होगा उपचुनाव

कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द होने के बाद अंता विधानसभा सीट खाली हो गई है। भारतीय संविधान के अनुसार, किसी भी खाली सीट पर छह महीने के भीतर उपचुनाव कराना अनिवार्य है। यानी, नवंबर 2025 तक अंता में उपचुनाव होने की संभावना है। यह उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के लिए एक बड़ा सियासी इम्तिहान होगा। हाल ही में हुए सात विधानसभा सीटों पर उपचुनावों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिसमें उसने सात में से पांच सीटें जीती थीं। अब अंता सीट पर बीजेपी अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखना चाहेगी, जबकि कांग्रेस इस मौके को भुनाने की कोशिश करेगी।

200 विधायकों का कभी एक साथ न बैठना

राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, लेकिन यह एक अजीब संयोग रहा है कि पिछले 20 सालों से सभी 200 विधायक एक साथ कभी विधानसभा में नहीं बैठ पाए हैं। 2001 में नई विधानसभा भवन में स्थानांतरित होने के बाद से, विभिन्न कारणों जैसे विधायकों का निधन, इस्तीफा, या अयोग्यता के चलते सीटें खाली होती रही हैं। पूर्व बीजेपी विधायक ज्ञानचंद आहूजा ने तो इसे "वास्तु दोष" तक करार दिया था, और हवन-पूजन करवाने की सलाह दी थी।

कंवरलाल मीणा की अयोग्यता के बाद अब विधानसभा में विधायकों की संख्या फिर से 199 हो गई है। इससे पहले, 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 115 सीटें और कांग्रेस ने 69 सीटें जीती थीं। इसके अलावा, भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के 4, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के 2, और आठ निर्दलीय विधायक हैं।

कंवरलाल मीणा का विवादित इतिहास

कंवरलाल मीणा कोई साधारण नेता नहीं हैं। वह एक विवादित और प्रभावशाली नेता रहे हैं, जिनके खिलाफ कुल 27 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 15 मामले 2005 के रिवॉल्वर कांड से पहले के हैं। उनके खिलाफ सार्वजनिक सेवकों पर हमले और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले जैसे गंभीर आरोप हैं। 2016 में, उन्होंने झालावाड़ में मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) के कार्यकर्ताओं पर हमला किया था, जिसमें महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के भी आरोप लगे थे।

मीणा ने 2013 में मानोहर थाना और 2023 में अंता से चुनाव जीता था। वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते थे, लेकिन उनकी छवि एक दबंग नेता की रही है।

क्या होगा राजनीतिक असर?

कंवरलाल मीणा की अयोग्यता और अंता में होने वाला उपचुनाव राजस्थान की सियासत में कई सवाल खड़े कर रहा है। बीजेपी के लिए यह सीट बचाना एक चुनौती होगी, क्योंकि मीणा का स्थानीय स्तर पर अच्छा-खासा प्रभाव था। दूसरी ओर, कांग्रेस इस मौके को भुनाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहेगी। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने राजस्थान में 11 सीटें जीती थीं, जिसने बीजेपी को थोड़ा बैकफुट पर ला दिया था।

वहीं, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की भूमिका भी चर्चा में है। उनकी निष्पक्षता और अनुभव की वजह से उन्हें एक मजबूत नेता के रूप में देखा जाता है। इस मामले में उनका फैसला न केवल कानूनी रूप से सही माना जा रहा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वह संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने में सख्त हैं।

  • उपचुनाव का रास्ता साफ: अंता सीट पर उपचुनाव से राजस्थान की सियासत में नया जोश आएगा। यह बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक और जंग का मैदान बनेगा।
  • संवैधानिक प्रक्रिया: कंवरलाल मीणा की अयोग्यता से यह साफ होता है कि कानून के सामने कोई भी बड़ा नेता नहीं है। यह लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है।
  • 200 विधायकों का रिकॉर्ड: राजस्थान विधानसभा का यह अनोखा रिकॉर्ड एक बार फिर चर्चा में है कि सभी 200 विधायक एक साथ कभी नहीं बैठ पाए।

    कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द होने की खबर ने राजस्थान की सियासत में एक नया रंग भर दिया है। अंता में होने वाला उपचुनाव न केवल पार्टियों के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कानून और संविधान की ताकत कितनी अहम है। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि इस सीट पर अगला विधायक कौन होगा और क्या राजस्थान विधानसभा में कभी 200 विधायक एक साथ बैठ पाएंगे

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ