छात्र नेता शुभम रेवाड़ की भूख हड़ताल पर पुलिस का बल प्रयोग

छात्रसंघ चुनाव की बहाली की मांग को लेकर छात्र नेता शुभम रेवाड़ की भूख हड़ताल पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भारी पुलिस जाब्ते के साथ शुभम को जबरन अस्पताल में भर्ती कराया, जिसके खिलाफ छात्रों ने विरोध किया। शुभम का कहना है कि वह तब तक अनशन जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। यह आंदोलन अब पूरे राजस्थान में फैल रहा है।

Aug 14, 2025 - 15:39
छात्र नेता शुभम रेवाड़ की भूख हड़ताल पर पुलिस का बल प्रयोग

राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की बहाली की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन अब और उग्र हो गया है। छात्र नेता शुभम रेवाड़, जो पिछले चार दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे थे, को पुलिस ने जबरन उठाकर एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया। इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में भारी पुलिस बल तैनात रहा, और छात्रों के विरोध के बीच पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया। यह घटना न केवल छात्रों के बीच आक्रोश को बढ़ा रही है, बल्कि राजस्थान की शिक्षा और राजनीति में एक बड़े बदलाव की मांग को भी उजागर कर रही है।

भूख हड़ताल और छात्रों का जुनून

शुभम रेवाड़, राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघ के एक प्रमुख छात्र नेता, ने छात्रसंघ चुनाव की बहाली के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। उनकी मांग थी कि विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य सरकार छात्रसंघ चुनाव को तुरंत बहाल करे, जो 2023-24 शैक्षणिक सत्र से रुके हुए हैं। शुभम का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का मौका देते हैं और इससे निकले नेता समाज की आवाज को संसद और विधानसभा तक पहुंचाते हैं।

उन्होंने कहा, "छात्रसंघ चुनाव ने कई ऐसे नेता दिए हैं जो आज विधानसभा और संसद में जनता की आवाज उठाते हैं। अगर सरकार को लगता है कि इसमें खामियां हैं, तो उन्हें सुधारें, लेकिन इसे पूरी तरह बंद करना लोकतंत्र पर चोट है।"

शुभम ने चार दिनों तक भूख हड़ताल जारी रखी, जिसके कारण उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। उनके कीटोन लेवल बढ़ने और ब्लड प्रेशर कम होने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कई बार उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील की, लेकिन शुभम ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वह पीछे नहीं हटेंगे।

पुलिस का हस्तक्षेप और टकराव

14 अगस्त 2025 को विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल का सहारा लिया। भारी पुलिस जाब्ते ने शुभम रेवाड़ को जबरन उठाकर एक एंबुलेंस में बिठाया और उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। इस दौरान वहां मौजूद अन्य छात्रों ने इसका जमकर विरोध किया। कुछ छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने हल्का लाठी चार्ज किया और उन्हें खदेड़ने की कोशिश की।

शुभम ने अस्पताल से एक पत्र लिखकर अपनी बात दोहराई, जिसमें उन्होंने कहा, "पुलिस और प्रशासन का यह व्यवहार निंदनीय है। हमें शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रखने का भी हक नहीं है? मैं कोई इलाज नहीं लूंगा और न ही यह अनशन खत्म करूंगा, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं।"

छात्रसंघ चुनाव का मुद्दा: क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव 2023 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा रद्द कर दिए गए थे। इसके पीछे लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों का उल्लंघन, अत्यधिक खर्च, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत संसाधनों की कमी जैसे कारण बताए गए थे। हालांकि, छात्रों का कहना है कि यह निर्णय राजनीतिक कारणों से लिया गया था, ताकि सत्ताधारी दल को विधानसभा चुनावों में किसी तरह की शर्मिंदगी न झेलनी पड़े।

शुभम रेवाड़ ने अपने अनोखे प्रदर्शनों के जरिए इस मुद्दे को बार-बार उठाया है। उन्होंने पूर्व छात्र नेताओं, जैसे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल के कटआउट्स का इस्तेमाल कर यह दिखाने की कोशिश की कि छात्रसंघ चुनाव ने कई बड़े नेताओं को जन्म दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "छात्रसंघ चुनाव युवाओं को लोकतंत्र की पहली पाठशाला प्रदान करते हैं। यह न केवल उनकी राजनीतिक समझ को बढ़ाते हैं, बल्कि व्यक्तित्व विकास में भी योगदान देते हैं। राजस्थान के युवा लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान बीजेपी सरकार उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही।"

उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल में विधानसभा चुनाव के कारण इसे स्थगित किया गया था, लेकिन अब सरकार को इसमें कोई देरी नहीं करनी चाहिए।

Yashaswani Journalist at The Khatak .