पिंटू कंवर की शादी से दो दिन पहले विदाई के आँसू, अकेली को छोड़कर हुए पूरे परिवार को मजबूरन होना पड़ा रवाना
नागौर के पांचौड़ी गांव में पिंटू कंवर की शादी से दो दिन पहले उनके माता-पिता और भाई-बहनों को भारत छोड़ने का आदेश मिला। पहलगाम हमले के बाद आए इस फैसले ने परिवार को भावुक बिछड़न का दर्द दिया। पिंटू अपने परिवार से लिपटकर रोई, और यह मार्मिक कहानी रिश्तों की गर्माहट और सीमाओं की सख्ती को बयां करती है।

नागौर, राजस्थान। एक बेटी की शादी का उल्लास उस वक्त फीका पड़ गया, जब शादी से ठीक दो दिन पहले उसके माता-पिता और छोटे भाई-बहनों को देश छोड़ने का आदेश मिला। यह मार्मिक कहानी है खींवसर तहसील के पांचौड़ी गांव की, जहां पाकिस्तान निवासी स्वरूप सिंह अपनी बड़ी बेटी पिंटू कंवर की शादी के लिए एक महीने पहले भारत आए थे। लेकिन 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद देश भर में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के आदेश ने इस परिवार को ऐसी पीड़ा दी, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
पिंटू कंवर की शादी जोधपुर के टेकरा गांव के एक परिवार में तय हुई थी और यह शादी उनके ननिहाल में 29 अप्रैल को होनी थी, जहां वे बचपन से रहती आई थीं। पिंटू का आधार कार्ड और सारी पहचान भारत की थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वे वीजा पर पाकिस्तान में अपने परिवार के साथ रह रही थीं। सोढ़ा राजपूत समुदाय की परंपरा के अनुसार, जहां सम गोत्र के कारण पाकिस्तान में विवाह संभव नहीं हो पाता, पिंटू की शादी भी भारत में तय की गई थी।
लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। शादी की तैयारियों के बीच स्वरूप सिंह और उनके परिवार को अचानक सूचना मिली कि उन्हें तुरंत भारत छोड़कर पाकिस्तान लौटना होगा। यह खबर उस वक्त आई, जब पिंटू की शादी में महज दो दिन बाकी थे परिवार के लिए यह किसी बड़े दुख से कम नहीं था। जब स्वरूप सिंह अपनी पत्नी और छोटे बच्चों के साथ पिंटू को ननिहाल में छोड़कर जाने लगे, तो वह माहौल हर किसी का दिल छूने वाला था।
पिंटू अपने माता-पिता और भाई-बहनों से लिपटकर इस कदर रो रही थी, मानो उसका पूरा संसार ही बिछड़ रहा हो। पास खड़े लोग भी इस दृश्य को देखकर स्तब्ध थे, उनकी आंखें नम थीं और दिल भारी हो गया था। यह सिर्फ पिंटू के परिवार की कहानी नहीं, बल्कि इस आदेश के बाद कई ऐसे परिवारों के दर्द सामने आए हैं, जो अपनी बेटियों की शादी के लिए भारत आए थे और अब उन्हें अपनों से जुदा होने की पीड़ा सहनी पड़ रही है।
यह घटना न केवल एक परिवार के दुख को दर्शाती है, बल्कि उन परिस्थितियों पर भी सवाल उठाती है, जो सीमाओं और नियमों के बीच इंसानी रिश्तों को प्रभावित करती हैं। पिंटू की शादी भले ही हो जाए, लेकिन उसके मन में अपने परिवार की अनुपस्थिति का दर्द हमेशा रहेगा। यह कहानी हर उस इंसान को झकझोर देती है, जो रिश्तों की गर्माहट और बिछड़ने की पीड़ा को समझता है।