कांटों की क्रूरता में फंसा मासूम जन्म के कुछ ही पल बाद झाड़ियों में फेंका गया,अब NICU में ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा.....
भीलवाड़ा के दौलतपुरा गांव के पास कांटेदार झाड़ियों में फेंका गया नवजात शिशु गंभीर रूप से घायल हालत में NICU में ऑक्सीजन सपोर्ट पर जिंदगी की जंग लड़ रहा है। जन्म के कुछ घंटों बाद ही त्यागे गए बच्चे का नाम बाल कल्याण समिति ने सरदार पटेल जयंती पर 'वल्लभ' रखा। ग्रामीणों ने समय पर बचाया, पुलिस मां की तलाश में जुटी है।
भीलवाड़ा, 2 नवंबर 2025: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो इंसानियत को शर्मसार करने वाली है। दौलतपुरा गांव के पास कांटेदार झाड़ियों में फेंके गए एक नवजात शिशु की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। जन्म के महज कुछ घंटों बाद ही इस मासूम को अमानवीय तरीके से त्याग दिया गया, लेकिन ग्रामीणों की तत्परता ने उसकी जान बचाई। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर मिलने के कारण बाल कल्याण समिति ने बच्चे का नाम 'वल्लभ' रखा है। महात्मा गांधी चिकित्सालय के NICU में ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती यह मासूम हर पल जिंदगी से जूझ रहा है।
घटना का दिल दहला देने वाला विवरण
दौलतपुरा गांव के बाहर, खेतों के एक सुनसान रास्ते पर कांटों से भरी झाड़ियों में यह नवजात मिला। ग्रामीणों के अनुसार, सुबह के समय कुछ स्थानीय लोग खेतों की ओर जा रहे थे, जब उन्हें रोने की आवाज सुनाई दी। करीब पहुंचने पर नजारा देखकर सब सिहर उठे—कांटों के बीच फंसा एक नन्हा बच्चा, जिसका पूरा शरीर गहरे घावों और खरोंचों से लहूलुहान था। बच्चे की आंखें बंद थीं, लेकिन दर्द से कराहते हुए वह कमजोर सांसें ले रहा था। ग्रामीणों ने तुरंत उसे गोदी में लिया, जहां बच्चा जोर-जोर से बिलखने लगा। बिना वक्त गंवाए, ग्रामीणों ने उसे नजदीकी महात्मा गांधी चिकित्सालय पहुंचा दिया। डॉक्टरों ने बताया कि अगर थोड़ी देर और हो जाती, तो यह क्रूरता घातक साबित हो जाती।
चिकित्सकीय स्थिति: नाजुक हालात में गहन निगरानी
महात्मा गांधी चिकित्सालय की मातृ एवं शिशु इकाई के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. इंदिरा सिंह चौहान ने बताया कि नवजात की स्थिति बेहद चिंताजनक है। कांटेदार झाड़ियों में फेंके जाने से उसके पूरे शरीर पर गंभीर चोटें लगी हैं—खासकर पीठ, हाथ-पैर और चेहरे पर गहरे घाव हैं। बच्चे को गंभीर शारीरिक आघात लगा है, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। वजन करीब 2 किलोग्राम से अधिक होने के बावजूद, बच्चे को तुरंत NICU में शिफ्ट कर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। शिशु विशेषज्ञों और सर्जनों की एक टीम 24 घंटे निगरानी में उसका इलाज कर रही है। एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक दवाएं और घावों की सफाई के अलावा, बच्चे की सांसों और हृदय गति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। डॉ. चौहान ने कहा, "यह अमानवीय कृत्य है, लेकिन चिकित्सकीय टीम पूरे जोश के साथ लगी है। अभी खतरा टला नहीं है, लेकिन उम्मीद की किरण बाकी है।"बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने बच्चे का नामकरण सरदार पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) के संयोग से किया। उन्होंने कहा कि 'वल्लभ' नाम इस मासूम की मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक बनेगा, जो देश के लौह पुरुष वल्लभभाई पटेल की तरह संघर्ष से जीतेगा। समिति ने बच्चे को गोद लेने या दीर्घकालिक देखभाल के लिए कानूनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
पुलिस जांच: आरोपी मां की तलाश तेज, सख्त कार्रवाई का वादा
दौलतपुरा थाना प्रभारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिले हैं कि बच्चा घर पर ही जन्मा होगा, क्योंकि वजन और शारीरिक स्थिति से लगता है कि प्रसव के 4-6 घंटे बाद ही यह कदम उठाया गया। आसपास के ग्रामीणों से विस्तृत पूछताछ की जा रही है, साथ ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों से पिछले कुछ दिनों की डिलीवरी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। संदिग्ध महिलाओं पर नजर रखी जा रही है, और CCTV फुटेज की भी जांच हो रही है।पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह 'शिशु त्याग' का मामला है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 318 (कुप्रथा द्वारा हत्या का प्रयास) और POCSO एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। आरोपी—जो संभवतः बच्चे की मां या परिवार का कोई सदस्य हो सकता है—की शिनाख्त होते ही सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। "ऐसी क्रूरता बर्दाश्त नहीं होगी। हम जल्द ही अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचाएंगे," एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
सामाजिक प्रतिक्रिया: दुआओं का सैलाब, जागरूकता की अपील
यह घटना सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहां #SaveVallabh और #JusticeForNewborn जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। स्थानीय एनजीओ और महिला संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा की है, साथ ही अविवाहित माताओं के लिए सुरक्षित प्रसव और काउंसलिंग की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यह इलाका अपेक्षाकृत शांत है, लेकिन सामाजिक कलंक और आर्थिक मजबूरियां ऐसी घटनाओं का कारण बन रही हैं। जिला प्रशासन ने भी जांच में सहयोग का भरोसा दिया है।गनीमत रही कि यह सुनसान जगह होने के बावजूद ग्रामीणों ने समय पर बच्चे को बचाया।