पशुपालकों को मिलेगी बेहतर नस्ल की मादा बछिया : बस्सी में शुरू होगा देश का पहला सेक्स सोर्टेड सीमेन बैंक
राजस्थान का पहला सेक्स सोर्टेड सीमेन बैंक शुरू होगा, जो बेहतर नस्ल की मादा बछिया पैदा करने, दूध उत्पादन बढ़ाने और नर पशुओं की संख्या नियंत्रित करने में मदद करेगा। यह सुविधा एनडीडीबी और आरसीडीएफ के सहयोग से सोमवार को शुरू होगी।

राजस्थान के पशुपालकों के लिए एक नई सुबह की शुरुआत होने जा रही है। सोमवार को जयपुर जिले के बस्सी में देश का पहला सेक्स सोर्टेड सीमेन बैंक शुरू होने जा रहा है, जो पशुपालन क्षेत्र में क्रांति लाने का वादा करता है। इस अत्याधुनिक सुविधा के जरिए बेहतर नस्ल की मादा बछड़ों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे दूध उत्पादन और पशुपालकों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। साथ ही, यह तकनीक नर पशुओं की संख्या को नियंत्रित करने और आवारा पशुओं की समस्या को कम करने में भी कारगर साबित होगी।
बस्सी में स्थापित हुई मॉडर्न लैब
बस्सी में 1977 से संचालित फ्रोजन सीमेन बैंक को अब और आधुनिक बनाया गया है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) और राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (आरसीडीएफ) के सहयोग से स्थापित इस लैब में अमेरिका से आयातित दो अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। इन मशीनों का ट्रायल आज रविवार को किया जाएगा, और सोमवार को पशुपालन, गोपालन, डेयरी व देवस्थान विभाग के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत इस लैब का उद्घाटन करेंगे।
पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया, "यह लैब राजस्थान के पशुपालन क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी। इससे न केवल राज्य की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि अन्य राज्यों को भी सेक्स सोर्टेड सीमेन डोज उपलब्ध कराए जा सकेंगे।"
सेक्स सोर्टेड सीमेन: क्या है यह तकनीक?
सेक्स सोर्टेड सीमेन एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें वीर्य से नर (Y क्रोमोसोम) और मादा (X क्रोमोसोम) शुक्राणुओं को डीएनए की मात्रा के आधार पर अलग किया जाता है। इसके बाद केवल मादा शुक्राणुओं वाले सीमेन को कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) के लिए उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से मादा बछिया पैदा होने की संभावना 90% से अधिक हो जाती है, जबकि पारंपरिक सीमेन में यह संभावना केवल 50% होती है।
इस तकनीक के जरिए नर पशुओं की संख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा, जो आवारा पशुओं की समस्या को कम करने में मददगार होगा। पशुपालक अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या सीमेन स्टेशन से ये डोज प्राप्त कर सकेंगे।
बेहतर नस्ल, अधिक दूध, बढ़ती आय
इस लैब में भैंस की मुर्रा नस्ल, गाय की विदेशी नस्ल हॉलस्टियन फ्रोजियन (एचएफ), क्रॉसब्रिड हॉलस्टियन फ्रोजियन (सीबीएचएफ), और देशी नस्लें जैसे गिर, साहीवाल, थारपारकर व राठी के सेक्स सोर्टेड डोज तैयार किए जाएंगे। ये नस्लें अपनी उच्च दूध उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती हैं।
कुमावत ने कहा, "इस तकनीक से पशुपालकों को बेहतर नस्ल की मादा बछिया मिलेंगी, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी। यह न केवल उनकी आय बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा।"
राजस्थान में पशुपालन का महत्व
राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का योगदान लगभग 10% है, जबकि कृषि और पशुपालन मिलकर राज्य की जीडीपी में 22% की हिस्सेदारी रखते हैं। दूध उत्पादन के मामले में राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है। बस्सी में स्थापित यह सेक्स सोर्टेड सीमेन लैब राज्य के नस्ल सुधार कार्यक्रमों को और मजबूत करेगी।
वर्तमान में बस्सी में 123 सांडों से कन्वेंशनल सीमेन डोज तैयार किए जाते हैं, जबकि जोधपुर में स्थित प्रदेश का दूसरा सीमेन बैंक सालाना करीब 12 लाख कन्वेंशनल डोज तैयार करता है। नई तकनीक के साथ अब राजस्थान न केवल अपनी मांग पूरी करेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बनेगा।
पशुपालकों के लिए नई उम्मीद
यह पहल पशुपालकों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पशुपालन आजीविका का प्रमुख स्रोत है, वहां यह तकनीक न केवल उत्पादकता बढ़ाएगी, बल्कि पशुपालकों के जीवन स्तर को भी ऊपर उठाएगी। आवारा पशुओं की समस्या से जूझ रहे राजस्थान में यह तकनीक एक दीर्घकालिक समाधान के रूप में उभर सकती है।
बस्सी की यह नई लैब राजस्थान के पशुपालन क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है, जो न केवल तकनीकी नवाचार का प्रतीक है, बल्कि ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण का भी एक मजबूत कदम है।