Johnny Lever’s Birthday :धारावी की गलियों से बॉलीवुड के हंसी के बादशाह तक की जिंदगी की अनकही कहानी

जॉनी लीवर, हिंदी सिनेमा के हंसी के बादशाह, जिन्होंने 350+ फिल्मों में अभिनय किया, ने धारावी की गलियों से बॉलीवुड तक का प्रेरणादायक सफर तय किया।

Aug 14, 2025 - 14:41
Johnny Lever’s Birthday :धारावी की गलियों से बॉलीवुड के हंसी के बादशाह तक की जिंदगी की अनकही कहानी

आज 14 अगस्त 2025 को हिंदी सिनेमा के लीजेंडरी कॉमेडियन जॉनी लीवर का जन्मदिन है। 350 से ज्यादा फिल्मों में अपने हास्य के जादू से दर्शकों को हंसाने वाले जॉनी लीवर न सिर्फ एक अभिनेता हैं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी जिंदगी संघर्ष, हिम्मत और प्रेरणा से भरी है। उनके जन्मदिन के इस खास मौके पर आइए, उनकी जिंदगी की कहानी को करीब से जानते हैं, जो मुश्किलों से भरे बचपन से लेकर बॉलीवुड के सुनहरे पर्दे तक का सफर बयां करती है।

मुश्किलों भरा बचपन और धारावी की गलियां

जॉनी लीवर का जन्म मुंबई में एक तेलुगू क्रिश्चियन परिवार में हुआ। उनके पिता हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी में ऑपरेटर थे, लेकिन शराबखोरी और गलत संगत के चलते परिवार को आर्थिक और भावनात्मक तंगी का सामना करना पड़ा। जॉनी के परिवार में उनकी तीन बहनें और दो भाई थे। उनका बचपन मुंबई की माटुंगा और धारावी की तंग गलियों में गुजरा, जहां हत्या और अपराध आम बात थी।

जॉनी ने रणवीर अलाहबादिया के पॉडकास्ट में बताया था कि सात साल की उम्र में उन्होंने पहली बार एक शख्स की लाश देखी थी। आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने छठी-सातवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और छोटे-मोटे काम शुरू किए। सड़कों पर पेन बेचने से लेकर ट्रेन में संतरे बेचने और शराब के अड्डे पर काम करने तक, जॉनी ने जिंदगी की कठिनाइयों को करीब से देखा।

एक समय ऐसा भी आया जब पिता की शराबखोरी और मारपीट से तंग आकर 13 साल की उम्र में जॉनी ने आत्महत्या करने का विचार किया। वे रेलवे ट्रैक पर बैठ गए, लेकिन तभी उनकी तीनों बहनों के चेहरे उनकी आंखों के सामने आए, जैसे वे कह रही हों, “हमारा क्या होगा?” इस पल ने उन्हें ट्रैक से हटने और जिंदगी को नई दिशा देने की हिम्मत दी।

धारावी से स्टेज तक: मिमिक्री का जादू

जॉनी की जिंदगी में टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्होंने 12 साल की उम्र में स्टेज पर डांस और मिमिक्री शुरू की। वे महमूद, जॉनी वॉकर और किशोर कुमार जैसे दिग्गजों की नकल उतारते थे। सड़क पर पेन बेचते समय भी उनका अंदाज अनोखा था। वे अशोक कुमार की आवाज में कहते, “बेटा, पैसे नहीं हैं तो पिताजी की जेब से निकालो, ये पेन खरीदो, बड़े आदमी बनोगे।” कभी शत्रुघ्न सिन्हा की आवाज में कहते, “ये पेन कमाल का है।” इस अंदाज ने लोगों का दिल जीत लिया।

18 साल की उम्र में जॉनी ने हिंदुस्तान यूनिलीवर में नौकरी शुरू की, जहां उनकी तनख्वाह मात्र 600 रुपये थी। दिन में नौकरी और रात में स्टेज शो, जॉनी ने मेहनत से अपने टैलेंट को निखारा। एक बार यूनिलीवर के फंक्शन में उन्होंने अफसरों की मिमिक्री की, जिसके बाद लोग उन्हें “जॉनी” कहने लगे। यही नाम बाद में उनकी पहचान बना।

बॉलीवुड में एंट्री: 'दर्द का रिश्ता' से 'बाजीगर' तक

1981 में जॉनी ने यूनिलीवर की नौकरी छोड़कर स्टेज शो पर पूरा ध्यान दिया। संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के साथ उनके शो में शामिल होने के बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ी। 1982 में वे अमिताभ बच्चन के साथ वर्ल्ड टूर पर गए। एक शो में सुनील दत्त ने उनकी परफॉर्मेंस देखी और उन्हें फिल्म ‘दर्द का रिश्ता’ में रोल दिया। इसके बाद जॉनी ने ‘हंसी के हंगामे’ नाम से एक ऑडियो कैसेट निकाली, जिसने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया।

1986 में ‘होप 86’ चैरिटी शो में उनकी परफॉर्मेंस देखकर प्रोड्यूसर गुल आनंद ने उन्हें फिल्म ‘जलवा’ ऑफर की। इसके बाद ‘तेजाब’, ‘कसम’, ‘खतरनाक’, और ‘किशन कन्हैया’ जैसी फिल्मों में काम किया। लेकिन असली पहचान 1993 में आई फिल्म ‘बाजीगर’ से मिली, जहां उनके किरदार छोटा छत्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद असलम भाई और बबलू जैसे किरदारों ने उन्हें कॉमेडी का बादशाह बना दिया।

जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर: बेटे का ट्यूमर

जॉनी की जिंदगी में सबसे मुश्किल समय तब आया जब उनके बेटे जेसी को 10 साल की उम्र में गले में ट्यूमर हुआ। डॉक्टरों ने ऑपरेशन से मना कर दिया था, क्योंकि ट्यूमर नसों में उलझा था और सर्जरी से जेसी के अंधे या लकवाग्रस्त होने का खतरा था। जेसी को रोज 40-50 गोलियां खानी पड़ती थीं।

इस दौरान जॉनी अमेरिका में एक चर्च में पादरी से मिले, जिन्होंने उन्हें न्यूयॉर्क के स्लोन केटरिंग हॉस्पिटल में इलाज कराने की सलाह दी। भारत के डॉक्टरों के मना करने के बावजूद जॉनी ने हिम्मत दिखाई और ऑपरेशन करवाया, जो सफल रहा। इस घटना ने जॉनी की जिंदगी बदल दी। उन्होंने शराब और बुरी आदतें छोड़ दीं और आध्यात्मिक रास्ता अपनाया।

आध्यात्मिक यात्रा और प्रीचर का रोल

बेटे के ठीक होने के बाद जॉनी चर्चों में प्रीचर बनकर सेवा करने लगे। उन्होंने बताया कि कई बार उनकी प्रार्थना से लोग ठीक हो जाते थे। 13 साल तक उन्होंने दुनिया भर में प्रीचर के तौर पर सेवा की, जिस दौरान फिल्मों में उनका काम कम हो गया। जॉनी ने बताया कि फ्लाइट में मेडिकल इमरजेंसी के दौरान भी उनकी प्रार्थना से लोगों की हालत सुधरी।

स्ट्रीट फाइटर से हंसी के बादशाह तक

जॉनी की जिंदगी स्ट्रीट फाइटर से लेकर हंसी के बादशाह तक का सफर है। वे बताते हैं कि धारावी में गैंगस्टर हाजी मस्तान और वरदराजन को वे बचपन से जानते थे। एक बार उन्होंने कहा था, “अगर मैं आर्टिस्ट न होता, तो शायद गुंडा होता।” लेकिन उनके टैलेंट और मेहनत ने उन्हें बॉलीवुड का चमकता सितारा बनाया।

जॉनी ने एक शूटिंग के दौरान रिक्शा वाले की बदतमीजी पर गुस्सा होने की घटना भी साझा की थी। वे कहते हैं, “हम स्ट्रीट फाइटर टाइप के थे, लेकिन समय के साथ मैंने खुद को कंट्रोल करना सीखा।”

पारिवारिक जिंदगी और हालिया प्रोजेक्ट्स

जॉनी ने 1984 में सुजाता लीवर से शादी की। उनके दो बच्चे, जेमी और जेसी, दोनों ही एक्टिंग और कॉमेडी में सक्रिय हैं। उनकी बहन के निधन के बावजूद जॉनी ने उसी दिन स्टेज शो किया, जो उनकी प्रोफेशनल कमिटमेंट को दर्शाता है।

पिछले कुछ सालों में जॉनी ‘गोलमाल 3’, ‘हाउसफुल 2’, ‘दिलवाले’, ‘टोटल धमाल’, और ‘हाउसफुल 4’ जैसी फिल्मों में नजर आए। 2025 में वे ‘बैडएस रवि कुमार’, ‘बी हैप्पी’, और ‘हाउसफुल 5’ में दिखे। अब दर्शक उन्हें ‘वेलकम टु द जंगल’ में देखने के लिए बेताब हैं, जो दिसंबर 2025 में रिलीज होगी।

जॉनी लीवर की जिंदगी एक ऐसी किताब है, जिसमें हर पन्ना प्रेरणा से भरा है। गरीबी, संघर्ष, और पारिवारिक मुश्किलों से जूझते हुए उन्होंने न सिर्फ हंसी बिखेरी, बल्कि लाखों लोगों को जिंदगी जीने का हौसला भी दिया। उनके जन्मदिन पर हम यही कामना करते हैं कि उनकी हंसी और जज्बा हमेशा बरकरार रहे।

Yashaswani Journalist at The Khatak .