जोधपुर में औषधीय पौधों पर वैश्विक शोध की नई शुरुआत: भारत-स्विट्जरलैंड साझेदारी से 'वन हेल्थ' को बढ़ावा

जोधपुर में पश्चिमी राजस्थान के औषधीय पौधों पर पहली बार संयुक्त शोध शुरू होने जा रहा है। कृषि विश्वविद्यालय, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय और स्विट्जरलैंड की संस्था 'एपीएन' इस परियोजना में साझेदार हैं। स्विट्जरलैंड, मिस्र और युगांडा के प्रतिनिधियों ने जोधपुर में पांच दिन का दौरा किया, जिसमें शोध सुविधाओं का अवलोकन और 'वन हेल्थ' अवधारणा पर आधारित प्राकृतिक खेती पर चर्चा हुई। कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अरुण कुमार ने बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें औषधीय पौधों की खेती और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया।

Jul 3, 2025 - 17:39
जोधपुर में औषधीय पौधों पर वैश्विक शोध की नई शुरुआत: भारत-स्विट्जरलैंड साझेदारी से 'वन हेल्थ' को बढ़ावा

जोधपुर, राजस्थान: पश्चिमी राजस्थान के औषधीय पौधों पर पहली बार एक अभूतपूर्व संयुक्त शोध की शुरुआत होने जा रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय और राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने स्विट्जरलैंड की संस्था 'एपीएन' (APN) के साथ मिलकर कदम उठाया है। इस शोध का उद्देश्य प्राकृतिक खेती और 'वन हेल्थ' की अवधारणा को बढ़ावा देना है, जो मानव, पशु और पर्यावरण के स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने पर केंद्रित है। इस परियोजना को गति देने के लिए स्विट्जरलैंड, मिस्र (इजिप्ट) और युगांडा से आए विदेशी प्रतिनिधियों ने जोधपुर में पांच दिवसीय दौरा किया, जिसमें दोनों विश्वविद्यालयों की सुविधाओं का अवलोकन और परियोजना से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

इस संयुक्त शोध का मुख्य लक्ष्य पश्चिमी राजस्थान की मरुस्थलीय जलवायु में पाए जाने वाले औषधीय पौधों की क्षमता को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझना और उनके उपयोग को बढ़ावा देना है। यह परियोजना न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी, बल्कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास में भी योगदान देगी। 'वन हेल्थ' अवधारणा के तहत यह शोध मानव स्वास्थ्य, पशु कल्याण और पर्यावरण संतुलन को एकीकृत करने का प्रयास करेगा।

विदेशी प्रतिनिधियों का दौरा

स्विट्जरलैंड, मिस्र और युगांडा से आए विशेषज्ञों ने जोधपुर के कृषि विश्वविद्यालय और आयुर्वेद विश्वविद्यालय का दौरा किया। इस पांच दिवसीय दौरे के दौरान, प्रतिनिधियों ने विश्वविद्यालयों में उपलब्ध अनुसंधान सुविधाओं, प्रयोगशालाओं और औषधीय पौधों के संरक्षण से संबंधित कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने स्थानीय स्तर पर उगाए जाने वाले औषधीय पौधों, जैसे कि गुग्गल, अश्वगंधा, और सतावरी, के साथ-साथ उनके औषधीय गुणों और खेती की तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया।

बैठक और चर्चा:

इस दौरे के दौरान, परियोजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अरुण कुमार ने की। बैठक में शोध की दिशा, तकनीकी सहयोग, और संसाधनों के उपयोग पर विस्तृत चर्चा हुई। डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि यह परियोजना 'वन हेल्थ' के सिद्धांतों पर आधारित होगी, जिसमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता को कम किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पहल न केवल स्थानीय किसानों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर औषधीय पौधों के संरक्षण और उपयोग में भी मील का पत्थर साबित होगी।

'वन हेल्थ' और प्राकृतिक खेती:

'वन हेल्थ' अवधारणा के तहत, यह परियोजना मानव स्वास्थ्य, पशु कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करने पर केंद्रित है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से, रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण की गुणवत्ता को बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा। यह परियोजना स्थानीय किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित करेगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और साथ ही जैव-विविधता को बढ़ावा मिलेगा।

वैश्विक साझेदारी का महत्व:

स्विट्जरलैंड की संस्था 'एपीएन' के साथ यह साझेदारी तकनीकी और वैज्ञानिक विशेषज्ञता के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी। मिस्र और युगांडा जैसे देशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी से इस परियोजना को वैश्विक परिप्रेक्ष्य मिलेगा, जिससे विभिन्न जलवायु और मिट्टी की परिस्थितियों में औषधीय पौधों की खेती की संभावनाओं का अध्ययन किया जा सकेगा। यह सहयोग न केवल शोध के क्षेत्र में बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास के अवसर भी पैदा करेगा। 

जोधपुर का योगदान :

जोधपुर, जो थार रेगिस्तान के मध्य में स्थित है, अपनी अनूठी जलवायु और मिट्टी के कारण औषधीय पौधों की खेती के लिए उपयुक्त है। इस क्षेत्र में पहले से ही खजूर की खेती और अन्य नवाचारों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जैसा कि केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) द्वारा किया गया है। इस नई परियोजना के साथ, जोधपुर अब औषधीय पौधों के अनुसंधान और प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। 

भविष्य की योजनाएं :

इस परियोजना के तहत, शोधकर्ता औषधीय पौधों की नई प्रजातियों की खोज, उनके औषधीय गुणों का विश्लेषण, और उनकी खेती के लिए टिकाऊ तकनीकों का विकास करेंगे। इसके अलावा, स्थानीय किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे इन पौधों की खेती को व्यावसायिक स्तर पर अपना सकें। यह परियोजना न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर औषधीय पौधों के संरक्षण और उपयोग में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

जोधपुर में शुरू होने वाला यह संयुक्त शोध न केवल पश्चिमी राजस्थान के औषधीय पौधों की क्षमता को उजागर करेगा, बल्कि 'वन हेल्थ' और प्राकृतिक खेती के माध्यम से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए एक नया रास्ता भी खोलेगा। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच यह सहयोग वैश्विक स्तर पर शोध और नवाचार के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।