जालोर रिंग रोड प्रोजेक्ट: 30 जून से टेंडर शुरू, क्या बदलेगी शहर की सूरत?

जालोर में रिंग रोड प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू। 30 जून 2025 से टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी, एक माह में एजेंसी चयन और छह माह में डीपीआर तैयार होगी। 1.10 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली डीपीआर के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है। रिंग रोड का संभावित रूट नेशनल हाईवे 325 से बिशनगढ़ via सांफाड़ा-कोलर फांटा, भागली, गोल निंबड़ी से लेटा तक, लंबाई 30-35 किमी। प्रोजेक्ट से ट्रैफिक सुगमता और ग्रेनाइट उद्योग को लाभ होगा। मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग की पहल पर प्रोजेक्ट को बजट 2025 में शामिल किया गया।

Jun 7, 2025 - 19:27
जालोर रिंग रोड प्रोजेक्ट: 30 जून से टेंडर शुरू, क्या बदलेगी शहर की सूरत?

राजस्थान के जालोर शहर के निकट भविष्य में बड़े शहरों और भारतमाला एक्सप्रेस-वे की तर्ज पर एक आधुनिक रिंग रोड का निर्माण होने जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर लाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य बजट 2025 में इस प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद अब इसे साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

टेंडर प्रक्रिया और डीपीआर की समयसीमा

जालोर रिंग रोड प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर तैयार करने हेतु टेंडर प्रक्रिया 30 जून 2025 से शुरू होगी। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं। टेंडर प्रक्रिया के एक माह के भीतर एजेंसी का चयन कर लिया जाएगा। चयनित एजेंसी को छह माह के भीतर डीपीआर तैयार कर प्रस्तुत करना होगा। डीपीआर के लिए 1 करोड़ 10 लाख रुपये की लागत अनुमानित है, जिसके लिए राज्य सरकार ने सैद्धांतिक और प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान कर दी है।

रूट और अलाइनमेंट की योजना

डीपीआर में रिंग रोड के संभावित रूट, डिजाइन और अलाइनमेंट के विकल्प शामिल होंगे। एजेंसी द्वारा प्रस्तुत विकल्पों में से विभागीय स्तर पर सबसे सुगम और उपयुक्त रूट का चयन किया जाएगा। प्रारंभिक चर्चाओं के अनुसार, रिंग रोड का रूट बिशनगढ़ से नेशनल हाईवे 325 पर शुरू होकर सांफाड़ा-कोलर फांटा, भागली, गोल निंबड़ी होते हुए लेटा के पास नेशनल हाईवे 325 से जुड़ सकता है। इस रिंग रोड की लंबाई लगभग 30 से 35 किलोमीटर होने की संभावना है।

प्रोजेक्ट का महत्व

जालोर जिला मुख्यालय की बढ़ती आबादी और शहर के विस्तार को देखते हुए यह प्रोजेक्ट अत्यंत महत्वपूर्ण है। रिंग रोड के निर्माण से शहर के आसपास ट्रैफिक रिलीफ कॉरिडोर बनेगा, जिससे शहरी यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। विशेष रूप से ग्रेनाइट उद्योग को इससे बड़ा लाभ मिलेगा, क्योंकि भारी वाहनों, जैसे कंटेनर, लोडर और ट्रेलर, को अब आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह प्रोजेक्ट जालोर के यातायात प्रबंधन और औद्योगिक विकास के लिए दूरगामी प्रभाव डालेगा।

प्रोजेक्ट की शुरुआत और प्रेरणा

इस प्रोजेक्ट की मांग मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने व्यक्तिगत स्तर पर राज्य सरकार से की थी, जिसके परिणामस्वरूप इसे स्वीकृति मिली। पीडब्ल्यूडी के कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन) रमेश सिंगारिया ने बताया, "जालोर के निकट रिंग रोड प्रस्तावित है। प्रोजेक्ट के लिए सैद्धांतिक और प्रशासनिक स्वीकृति जारी हो चुकी है। अब डीपीआर के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होने वाली है।"

डीपीआर तैयार होने के बाद प्रोजेक्ट के विभिन्न स्तरों पर क्वेरी और संशोधन की प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद कमियों को दूर करते हुए प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को शुरू किया जाएगा। यह रिंग रोड न केवल जालोर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाएगा, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

Yashaswani Journalist at The Khatak .