जयपुर के नाहरगढ़ क्षेत्र में घर में घुसा तेंदुआ: मवेशी का शिकार कर कमरे में आराम कर रहा था, ग्रामीणों ने लाठियों से पीटा और कंबल से दबोच लिया

जयपुर के गुर्जर घाटी में घर में घुसा तेंदुआ मवेशी मारकर कमरे में बैठा, ग्रामीणों ने लाठी-डंडों से पीटा और कंबल डालकर पकड़ा, वन विभाग ने रेस्क्यू किया,

Nov 16, 2025 - 13:37
जयपुर के नाहरगढ़ क्षेत्र में घर में घुसा तेंदुआ: मवेशी का शिकार कर कमरे में आराम कर रहा था, ग्रामीणों ने लाठियों से पीटा और कंबल से दबोच लिया

जयपुर, 15 नवंबर 2025 : राजस्थान की राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य से सटे गुर्जर घाटी इलाके में शुक्रवार देर रात एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। यहां एक घर में घुस आए तेंदुए ने एक मवेशी का शिकार कर लिया और आराम से कमरे में बैठ गया। जब ग्रामीणों को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने बहादुरी का परिचय देते हुए लाठियों-डंडों से तेंदुए को पीट-पीटकर बेहोश कर दिया। इसके बाद कंबल ओढ़ाकर उसे दबोच लिया। वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर घायल तेंदुए को रेस्क्यू किया और इलाज के लिए भेज दिया। यह घटना वन्यजीवों के मानव बस्तियों में घुसने की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है, जो ग्रामीणों के लिए खतरा बन रही है।

घटना का पूरा विवरण: रात के सन्नाटे में तेंदुए का धावा गुर्जर घाटी, जो नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है, जंगली जानवरों के लिए एक सुरक्षित आश्रय है। लेकिन मानव विस्तार के कारण यहां तेंदुए अक्सर आसपास के गांवों में घुस आते हैं। शुक्रवार रात करीब 11 बजे, स्थानीय निवासी  गुर्जर के घर में अचानक हड़कंप मच गया। उनके परिवार वाले सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी उन्हें बाहर से मवेशी के चरने की आवाजें सुनाई दीं। बाहर जाकर देखा तो खौफनाक मंजर सामने आ गया—एक वयस्क तेंदुआ उनके घर के आंगन में घुस आया था और एक बकरी या भेड़ (मवेशी) को अपना शिकार बना चुका था।तेंदुआ शिकार को मुंह में दबाए हुए सीधे घर के अंदरूनी कमरे में घुस गया। वहां अंधेरे में शांतिपूर्वक बैठकर अपना भोजन करने लगा। गुर्जर ने तुरंत पड़ोसियों को चिल्लाकर बुलाया। देखते ही देखते 10-12 ग्रामीण लाठियां, डंडे और टॉर्च लेकर मौके पर पहुंच गए। "हमने सोचा कि अगर तेंदुआ भाग गया तो और खतरा बढ़ जाएगा," गुर्जर ने बताया। ग्रामीणों ने साहस दिखाते हुए तेंदुए पर लाठियों से हमला बोल दिया। तेंदुए ने शुरुआत में दहाड़ मारी और हमला करने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों की एकजुटता के आगे वह टिक नहीं पाया। लगभग 15-20 मिनट की मुठभेड़ के बाद तेंदुआ बेहोश हो गया।ग्रामीणों ने चतुराई से एक पुराना कंबल लाकर तेंदुए पर डाल दिया और उसे कसकर बांध लिया। इस दौरान किसी ग्रामीण को कोई गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन दो-तीन लोगों के हाथों पर मामूली खरोंचें आ गईं। पूरा नजारा मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया गया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे ग्रामीण तेंदुए को लाठियों से पीट रहे हैं और फिर कंबल से उसे लपेटते हुए नियंत्रण में ले रहे हैं।

वन विभाग की टीम पहुंची, तेंदुए का रेस्क्यू;  घटना की सूचना मिलते ही जयपुर वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई। टीम में वन अधिकारी, वेटरनरी डॉक्टर और कुछ वॉलंटियर्स शामिल थे। उन्होंने ग्रामीणों का धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी सतर्कता ने बड़ी दुर्घटना टलवा दी। घायल तेंदुए को सावधानीपूर्वक उठाकर नजदीकी वन्यजीव अस्पताल ले जाया गया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि तेंदुआ 4-5 साल का वयस्क नर है, जिसके सिर और शरीर पर कई चोटें हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लाठियों से लगी चोटें गंभीर हैं, लेकिन सर्जरी और दवाओं से वह ठीक हो सकता है। विभाग ने तेंदुए को कुछ दिनों बाद जंगल में छोड़ने की योजना बनाई है।वन विभाग के अधिकारी ने बताया, "नाहरगढ़ क्षेत्र में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आम हो गई हैं। हम ग्रामीणों को जागरूक कर रहे हैं कि ऐसी स्थिति में वन विभाग को तुरंत सूचित करें, न कि खुद हमला करें। तेंदुए की चोटें गंभीर हैं, लेकिन उसकी जान बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।" उन्होंने यह भी कहा कि विभाग ट्रैप कैमरों और पेट्रोलिंग को बढ़ा रहा है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

ग्रामीणों की बहादुरी, लेकिन खतरे की घंटी;  यह घटना ग्रामीणों की बहादुरी का प्रतीक है।

स्थानीय पंचायत सरपंच ने ग्रामीणों को सम्मानित करने की घोषणा की है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी कार्रवाइयां वन्यजीवों के लिए घातक साबित हो सकती हैं। वन्यजीव प्रेमी संगठन 'वाइल्डलाइफ सोसाइटी ऑफ इंडिया' के सदस्य ने कहा, "तेंदुए संरक्षित प्रजाति हैं। ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर शांतिपूर्ण रेस्क्यू सिखाना जरूरी है।"गुर्जर घाटी जैसे क्षेत्रों में पिछले एक साल में ऐसी 5-6 घटनाएं हो चुकी हैं, जहां तेंदुए मवेशियों का शिकार कर ग्रामीण बस्तियों में घुस आते हैं। जलवायु परिवर्तन और जंगलों की कटाई के कारण वन्यजीव भोजन की तलाश में मानव आबादी की ओर रुख कर रहे हैं। जयपुर जिला प्रशासन ने अब इस मुद्दे पर एक जागरूकता अभियान शुरू करने का फैसला लिया है।