"जयपुर सेंट्रल जेल : कैदियों की मौज-मस्ती और पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत का चौंकाने वाला खुलासा"

जयपुर सेंट्रल जेल में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां चार कैदियों (रफीक उर्फ बकरी, भंवरलाल यादव, अंकित बंसल, करण गुप्ता) ने बीमारी का बहाना बनाकर जेल से बाहर निकलकर होटलों में ऐय्याशी की। कैदियों ने जेल डॉक्टर से फर्जी मेडिकल रेफरल प्राप्त किया और पुलिसकर्मियों को रिश्वत (लगभग ₹25,000) देकर अस्पताल के बजाय होटलों में गए, जहां वे अपनी प्रेमिकाओं या पत्नियों से मिले और नशीले पदार्थों का सेवन किया। इस घोटाले में जेल प्रशासन, पुलिसकर्मियों और कैदियों के सहयोगियों की मिलीभगत सामने आई है। पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें 5 पुलिसकर्मी, 4 कैदी और 4 रिश्तेदार शामिल हैं। पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, और जेल में अवैध फोन उपयोग और 200 से अधिक कॉल्स की जांच चल रही है। इस घटना ने जेल की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

May 27, 2025 - 17:28
"जयपुर सेंट्रल जेल : कैदियों की मौज-मस्ती और पुलिस-प्रशासन की  मिलीभगत  का चौंकाने वाला खुलासा"

जयपुर सेंट्रल जेल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें कैदियों को इलाज के बहाने जेल से बाहर निकालकर होटलों में ऐय्याशी करने का अवसर दिया गया। इस घोटाले में पुलिसकर्मियों, जेल प्रशासन और कैदियों के सहयोगियों की मिलीभगत का गंभीर खुलासा हुआ है, जिसने जेल की सुरक्षा और व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल जेल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सजा के लिए बनाई गई जेलें अपराधियों के लिए ऐय्याशी का अड्डा बन रही हैं।

जयपुर सेंट्रल जेल में चार कैदियों—रफीक बकरी, भंवर लाल, अंकित बंसल और करण गुप्ता—को कथित तौर पर इलाज के लिए सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल ले जाया गया। लेकिन अस्पताल में इलाज कराने के बजाय, ये कैदी होटलों में पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी प्रेमिकाओं, पत्नियों या परिचितों से मुलाकात की, खाना खाया और नशीले पदार्थों का सेवन किया। इस पूरी साजिश में जेल गार्ड, पुलिसकर्मी और कुछ बाहरी लोग शामिल थे।

पुलिस ने इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें शामिल हैं:

  • पांच पुलिसकर्मी: सुरेश कुमार, मनोज कुमार, दिनेश, अमित और विकास।
  • चार कैदी: रफीक बकरी, भंवर लाल, अंकित बंसल और करण गुप्ता।
  • चार सहयोगी: हीना, रमजान, आकाश और राहुल।
  • रिश्वत का खेल: कैदियों ने पुलिसकर्मियों को लगभग ₹25,000 की रिश्वत दी, जिसके बदले उन्हें फर्जी मेडिकल रेफरल के आधार पर जेल से बाहर निकाला गया।
  • अवैध फोन का इस्तेमाल: जेल में मौजूद STD सुविधा और अवैध फोन के जरिए कैदियों ने अपने परिचितों और परिवार वालों से संपर्क कर इस साजिश को अंजाम दिया। जांच में पाया गया कि कैदियों ने 200 से अधिक कॉल्स कीं।
  • होटलों में ऐय्याशी: SMS अस्पताल में पर्ची कटवाने के बाद, कैदी जोधपुर जेल के एक कैदी जोगेंद्र को छोड़कर, बाकी को दो अलग-अलग होटलों में ले जाया गया, जहां उन्होंने ऐय्याशी की।
  • पुलिस और गार्ड की मिलीभगत: जेल गार्ड और पुलिसकर्मियों ने इस पूरी योजना में सक्रिय भूमिका निभाई। एक हेड कांस्टेबल और सिपाही ने जोगेंद्र को वापस जेल ले गए, जबकि बाकी कैदियों को होटलों में छोड़ दिया गया।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

मामला सामने आने के बाद जयपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की:

  • गिरफ्तारियां: 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें पुलिसकर्मी और कैदियों के सहयोगी शामिल हैं।
  • जांच शुरू: जेल के डॉक्टरों और अन्य अधिकारियों से पूछताछ शुरू की गई है। जेल अधीक्षक को इसकी सूचना दी गई थी, लेकिन समय रहते कार्रवाई नहीं हुई।
  • सुरक्षा पर सवाल: इस घटना ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है। यह सवाल उठ रहा है कि अगर जेलें अपराधियों को सजा देने के बजाय ऐय्याशी का मौका देंगी, तो अपराध को बढ़ावा मिलेगा।

क्या हैं इसके निहितार्थ?

  • जेल व्यवस्था पर सवाल: यह घटना जेलों में सुरक्षा और अनुशासन की कमी को दर्शाती है। अगर कैदी रिश्वत देकर बाहर निकल सकते हैं, तो यह अपराधियों को और गुनाह करने का मौका दे सकता है।
  • पुलिस प्रशासन की जवाबदेही: पुलिसकर्मियों की संलिप्तता ने प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
  • सुधार की जरूरत: इस घटना ने जेल सुधारों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है, जिसमें निगरानी बढ़ाना, अवैध फोन का उपयोग रोकना और रिश्वतखोरी पर लगाम लगाना शामिल है।

जयपुर सेंट्रल जेल का यह कांड न केवल एक शर्मनाक घटना है, बल्कि यह जेल प्रशासन और पुलिस व्यवस्था की विफलता का प्रतीक है। यह मामला समाज में यह सवाल छोड़ता है कि क्या हमारी जेलें अपराधियों को सुधारने के लिए हैं या उन्हें और अपराध करने की छूट देने के लिए? पुलिस ने जांच तेज कर दी है और इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ