हॉस्टल से चार बच्चे भागे, ग्रामीणों ने पकड़ा: वॉट्सऐप से सूचना, वार्डन आए, लापरवाही पर सवाल

बाड़मेर के सरकारी हॉस्टल से चार बच्चे दीवार फांदकर भागे, ग्रामीणों ने 5 किमी दूर गेहूं रोड पर उन्हें पकड़कर हॉस्टल स्टाफ को सौंपा। हॉस्टल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठे

Sep 8, 2025 - 12:17
हॉस्टल से चार बच्चे भागे, ग्रामीणों ने पकड़ा: वॉट्सऐप से सूचना, वार्डन आए, लापरवाही पर सवाल

बाड़मेर जिले के एक सरकारी हॉस्टल से रविवार देर शाम चार बच्चे दीवार फांदकर भाग गए। करीब 5 किलोमीटर दूर गेहूं रोड पर ग्रामीणों ने बच्चों को देखा और उन्हें रोक लिया। हालांकि, एक बच्चा झाड़ियों में भाग गया, लेकिन ग्रामीणों ने पीछा कर उसे भी पकड़ लिया। ये बच्चे बोलने और सुनने में असमर्थ थे। ग्रामीणों ने तुरंत गांव के वॉट्सऐप ग्रुप में इसकी जानकारी साझा की, जिसके बाद हॉस्टल का स्टाफ मौके पर पहुंचा और बच्चों को वापस हॉस्टल ले गया। यह घटना बाड़मेर जिले के ग्रामीण थाना क्षेत्र में हुई।

हॉस्टल वार्डन का बयान: लापरवाही या आदत?

हॉस्टल वार्डन ने बताया कि रविवार शाम 4 बजे बच्चों को चाय-नाश्ता करवाने के बाद स्टाफ पेड़-पौधों की देखरेख में व्यस्त हो गया। इसी दौरान चार बच्चे दीवार फांदकर भाग निकले। शाम को खाना खाने के समय बच्चों की गिनती की गई, तब पता चला कि चार बच्चे गायब हैं। उसी समय गांव के वॉट्सऐप ग्रुप से सूचना मिली कि बच्चे गेहूं गांव में देखे गए हैं। वार्डन और स्टाफ तुरंत मौके पर पहुंचे और बच्चों को वापस हॉस्टल लाए। वार्डन ने बताया कि भागने वालों में से एक बच्चा पहले भी तीन-चार बार भाग चुका है और वह हॉस्टल में रहना नहीं चाहता। चार में से तीन बच्चे लावारिस हैं।

ग्रामीणों की सतर्कता ने बचाई जान

गेहूं गांव के निवासी नरपत सिंह ने बताया कि बच्चों को पावर हाउस के पास भटसिंह पुत्र राणसिंह की ढाणी के आसपास देखा गया। बच्चे स्कूल से निकलकर रास्ता भटक गए थे और तारबंदी के पास पहुंच गए। शाम साढ़े सात बजे जब नरपत सिंह ने उन्हें देखा, तो उन्होंने बच्चों को रोका। एक बच्चा भागकर झाड़ियों में छिप गया, लेकिन ग्रामीणों ने उसे भी पकड़ लिया। नरपत सिंह ने बताया कि गांव के वॉट्सऐप ग्रुप में बच्चों की जानकारी साझा की गई और हॉस्टल स्टाफ से संपर्क करने को कहा गया। इसके बाद हॉस्टल का स्टाफ मौके पर पहुंचा। नरपत सिंह ने हॉस्टल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि जंगली जानवर या सुअर बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते थे। उन्होंने बच्चों को खाना भी खिलाया।

Yashaswani Journalist at The Khatak .