गाजा सिटी पर कब्जे की योजना
नेतन्याहू ने एक साक्षात्कार में कहा कि इजरायल का लक्ष्य पूरे गाजा पर सैन्य नियंत्रण स्थापित करना है, ताकि हमास को खत्म किया जा सके और बंधकों की रिहाई सुनिश्चित हो। हालांकि, मंजूर योजना में फिलहाल गाजा सिटी पर ध्यान केंद्रित किया गया है। नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि सेना गाजा सिटी पर नियंत्रण लेने की तैयारी करेगी, साथ ही गैर-लड़ाकू क्षेत्रों में नागरिकों के लिए मानवीय सहायता सुनिश्चित की जाएगी। इस योजना में हमास को नष्ट करने, बंधकों की रिहाई और गाजा को इजरायल के लिए खतरा न बनने देने जैसे पांच सिद्धांत शामिल हैं।
सैन्य और मानवीय चिंताएं
इजरायल के सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामिर ने इस योजना का विरोध किया, चेतावनी दी कि गाजा पर पूर्ण कब्जा सैन्य बलों पर भारी बोझ डालेगा और बंधकों की जान को खतरे में डाल सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस कदम को “विनाशकारी” करार देते हुए कहा कि इससे लाखों फिलिस्तीनियों का विस्थापन और और अधिक मौतें हो सकती हैं। गाजा में पहले ही 60,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, और भुखमरी का संकट गहरा गया है।
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू विरोध
गाजा में मानवीय संकट को लेकर इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र और कई सहयोगी देशों ने चेतावनी दी है कि गाजा पर कब्जा अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भुखमरी और कुपोषण से 197 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 96 बच्चे शामिल हैं। इजरायल में भी बंधकों के परिवारों ने इस योजना का विरोध किया है, उनका कहना है कि यह बंधकों की जान को और खतरे में डालेगा।
नेतन्याहू की रणनीति
नेतन्याहू ने दावा किया कि गाजा में भुखमरी की खबरें अतिशयोक्तिपूर्ण हैं और हमास बंधकों को भोजन से वंचित कर रहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस से बंधकों के लिए भोजन और दवाइयां पहुंचाने की मांग की है। हमास ने जवाब में कहा कि वह रेड क्रॉस के साथ सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन इजरायल को मानवीय गलियारे खोलने होंगे। नेतन्याहू का कहना है कि गाजा का नियंत्रण अंततः “हमास विरोधी” अरब ताकतों को सौंपा जाएगा, लेकिन विशेषज्ञ इसे अव्यावहारिक मानते हैं।
भविष्य की चुनौतियां
यह निर्णय गाजा में पहले से ही बदतर हालात को और जटिल बना सकता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा की 90% आबादी विस्थापित हो चुकी है, और मानवीय सहायता की आपूर्ति बाधित है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से इजरायल की अंतरराष्ट्रीय अलगाव की स्थिति और गहरा सकती है। साथ ही, सैन्य अभियान का विस्तार हमास के साथ संघर्ष को और लंबा खींच सकता है।