बड़ी खबर: पाकिस्तान से लौटे बाड़मेर के गेमराराम ने किया सुसाइड, पुलिस जांच शुरू
बाड़मेर के गेमराराम मेघवाल, जो 28 महीने पाकिस्तान की जेल में बिताकर 2023 में भारत लौटा था, जिसने बीती रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने जांच शुरू की है, लेकिन आत्महत्या के कारण अस्पष्ट हैं।

बाड़मेर, राजस्थान: बाड़मेर जिले के एक युवक गेमराराम मेघवाल की फांसी लगाकर आत्महत्या करने की खबर सामने आई है। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल सका है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, गेमराराम मेघवाल ने पाली में अज्ञात परिस्थितियों में फांसी का फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। सूचना मिलने पर गेमराराम के परिजन बाड़मेर से पाली के लिए रवाना हो गए। बताया जा रहा है कि गेमराराम पाली में एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम करता था और कुछ समय से वहीं रह रहा था।
गेमराराम की कहानी अपने आप में एक लंबी और दर्दनाक दास्तान है। बाड़मेर के बिजराड़ पुलिस थाना क्षेत्र के कुम्हारों का टीबा गांव का निवासी गेमराराम 4 नवंबर 2020 की रात को गलती से भारत-पाकिस्तान सीमा पार कर गया था। बताया जाता है कि वह अपनी प्रेमिका के परिवार वालों के दबाव के चलते यह कदम उठाने को मजबूर हुआ था। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे हिरासत में ले लिया और वहां की हैदराबाद जेल में उसे 28 महीने तक कैद में रहना पड़ा। इस दौरान उसे अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा, जिसका जिक्र उसने भारत लौटने के बाद किया था।
लंबे समय तक चली कानूनी प्रक्रिया और भारत सरकार के प्रयासों के बाद गेमराराम को 14 फरवरी 2023 को वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत वापस लाया गया। बाड़मेर पहुंचने पर उसका स्वागत हुआ था।
इस घटना के बाद पुलिस गहन जांच कर रही है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि गेमराराम ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया। प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि वह पाली की एक फैक्ट्री में काम करता था और वहां किराए के मकान में रहता था। पुलिस आसपास के लोगों और फैक्ट्री के सहकर्मियों से पूछताछ कर रही है ताकि यह समझा जा सके कि क्या कोई मानसिक तनाव, आर्थिक परेशानी, या अन्य कोई कारण था।
स्थानीय लोगों के अनुसार, गेमराराम अपनी जिंदगी को सामान्य करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान की जेल में बिताए गए 28 महीनों का मानसिक प्रभाव शायद उस पर गहरा था।
मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक कैद और कठिन परिस्थितियों में रहने वाले लोग अक्सर पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का शिकार हो सकते हैं, जो आत्मघाती विचारों को जन्म दे सकता है। हालांकि, इस मामले में ऐसी कोई पुष्ट जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।
गेमराराम के परिवार वाले इस खबर से सदमे में हैं। उनके लिए यह दोहरा आघात है, क्योंकि पहले उन्होंने अपने बेटे को 28 महीने तक पाकिस्तान की जेल में खोया, और अब उसकी मौत की खबर ने उन्हें तोड़ दिया है। गांव कुम्हारों का टीबा में भी शोक की लहर है। ग्रामीणों का कहना है कि गेमराराम एक मेहनती और शांत स्वभाव का युवक था
इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या गेमराराम को भारत वापसी के बाद उचित मनोवैज्ञानिक सहायता मिली? क्या समाज और प्रशासन ने उसे सामान्य जीवन में वापस लाने के लिए पर्याप्त प्रयास किए? ऐसी घटनाएं यह भी दर्शाती हैं कि सीमा पार करने वाले लोगों की वापसी के बाद उनकी मानसिक और सामाजिक पुनर्वास की जरूरत होती है, जिस पर ध्यान देना जरूरी है।
पुलिस ने इस मामले में आत्महत्या का केस दर्ज कर लिया है और सभी पहलुओं की जांच कर रही है। साथ ही, गेमराराम के परिजनों से भी बातचीत की जा रही है ताकि कोई सुराग मिल सके।
गेमराराम मेघवाल की कहानी एक ऐसी त्रासदी है, जो न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर करती है। पाकिस्तान की जेल से वापसी के बाद नई जिंदगी की उम्मीद के साथ शुरू हुआ उसका सफर इतने दुखद मोड़ पर खत्म होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। इस घटना से यह जरूरत और स्पष्ट होती है कि समाज और सरकार को मिलकर ऐसे लोगों के लिए बेहतर सहायता प्रणाली विकसित करनी होगी, जो कठिन परिस्थितियों से गुजरकर लौटते हैं।
पुलिस जांच पूरी होने के बाद ही इस मामले में और जानकारी सामने आएगी। तब तक, गेमराराम के परिवार और दोस्तों के लिए यह एक असहनीय दुख का समय है।