हिंसक प्रदर्शन में चार की मौत, सोनम वांगचुक NSA के तहत गिरफ्तार
लद्दाख में पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची की मांग को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन हिंसक हो गया, जिसमें 4 लोगों की मौत और 45 घायल हुए। सोनम वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा, जबकि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत शुरू हो चुकी है।

लद्दाख, अपनी शांत वादियों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाने वाला क्षेत्र, हाल ही में हिंसक प्रदर्शनों की चपेट में आ गया। 24 सितंबर 2025 को लेह में हुए हिंसक आंदोलन में चार लोगों की मौत और 90 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। यह आंदोलन लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर था। इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे, जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक को 26 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। केंद्र सरकार ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है, जबकि उन्होंने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे "बलि का बकरा" बनाने की साजिश बताया। लेह में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं, और कर्फ्यू लागू है। आइए, ताजा अपडेट्स के साथ इस मामले को विस्तार से समझें।
धारा 370 से बदला लद्दाख का परिदृश्य
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित कर दिया गया। लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। शुरू में लेह में इस फैसले का स्वागत हुआ, क्योंकि स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक और क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करने के अवसर के रूप में देख रहे थे। हालांकि, जल्द ही यह उत्साह मांगों में बदल गया। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत विशेष संवैधानिक सुरक्षा देने की मांग शुरू की। छठी अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों को स्वशासन, भूमि और संसाधनों पर नियंत्रण प्रदान करती है, जिसे लद्दाख के लोग अपनी संस्कृति और नाजुक पर्यावरण की रक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं।
आंदोलन से हिंसा तक: क्या हुआ 24 सितंबर को?
1 सितंबर 2024 से सोनम वांगचुक और उनके संगठन, स्टूडेंट्स एजुकेशन एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL), के नेतृत्व में एक शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू हुआ। 10 सितंबर से लेह में भूख हड़ताल और अनशन शुरू हुआ, जिसमें स्थानीय युवा, मॉन्क्स, और बुजुर्ग शामिल थे। वांगचुक ने अपनी मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए दिल्ली तक पैदल मार्च की भी घोषणा की थी। 23 सितंबर को 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे दो कार्यकर्ताओं—त्सेरिंग अंगचुक (72) और ताशी दोलमा (60)—की तबीयत बिगड़ने से स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इससे नाराज युवाओं ने 24 सितंबर को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, जो हिंसक हो गया।
प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और हिल काउंसिल मुख्यालय पर हमला किया, सरकारी वाहनों और संपत्तियों में आग लगाई, और पत्थरबाजी की। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और कथित तौर पर फायरिंग का सहारा लिया। इस हिंसा में चार लोगों—त्सेवांग थारचिन (46), स्टानजिन नामग्याल (24), जिगमेत दोरजय (25), और रिनचेन ददुल (21)—की मौत हो गई। 90 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें 30 पुलिसकर्मी शामिल हैं। कई घायलों की हालत गंभीर है, और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और इंटरनेट निलंबन
26 सितंबर 2025 को लद्दाख पुलिस ने सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब वांगचुक 2:30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने वाले थे। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जिसमें उनके कथित "भड़काऊ बयानों" का हवाला दिया गया, जैसे अरब स्प्रिंग और नेपाल के Gen Z प्रदर्शनों का जिक्र। सूत्रों के अनुसार, वांगचुक को जल्द ही लद्दाख से बाहर ले जाया जा सकता है।
25 सितंबर को केंद्र सरकार ने वांगचुक के NGO, SECMOL, का FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) लाइसेंस रद्द कर दिया, जिसके तहत संगठन को विदेशी फंडिंग मिलती थी। गृह मंत्रालय ने दावा किया कि SECMOL ने FCRA नियमों का उल्लंघन किया, जिसमें स्थानीय फंड को FCRA खाते में जमा करना और गैर-अनुमति प्राप्त गतिविधियों के लिए फंड का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, वांगचुक के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) को भी बिना FCRA पंजीकरण के 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी राशि प्राप्त करने का आरोप है।
वांगचुक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "यह सरकार की ओर से मुझे बलि का बकरा बनाने की कोशिश है। यह न तो स्थिति को सुधारेगा और न ही लद्दाख के युवाओं की नाराजगी को कम करेगा।" उन्होंने हिंसा की निंदा करते हुए 24 सितंबर को अपनी 15 दिन की भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी और शांति की अपील की थी। वांगचुक ने चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगों को अनसुना करती रही, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर हो सकती हैं।
26 सितंबर को वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लेह में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं। कर्फ्यू लागू है, और पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक है। स्कूल और कॉलेज 27 सितंबर तक बंद हैं।
सरकार का रुख और बातचीत की शुरुआत
25 सितंबर को गृह मंत्रालय ने एक विशेष दूत को लेह भेजा, और लेह एपेक्स बॉडी (LAB) व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के साथ बातचीत शुरू की। सरकार ने दावा किया कि वह लद्दाख की मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और हाई-पावर्ड कमेटी के माध्यम से पहले ही कई मांगों पर प्रगति हुई है। लद्दाख के उप-राज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने 25 सितंबर को एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की, जिसमें सेना और ITBP के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने शांति बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस हिंसा ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने हिंसा को जम्मू-कश्मीर के "विखंडन और डाउनग्रेडिंग" का परिणाम बताया। कांग्रेस ने बीजेपी पर लद्दाख की मांगों को अनसुना करने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने दावा किया कि कांग्रेस ने हिंसा को भड़काने में भूमिका निभाई। AAP नेता अरविंद केजरीवाल ने वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा की और इसे "तानाशाही" करार दिया। AAP ने वांगचुक की गिरफ्तारी के विरोध में 26 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर कैंडललाइट विगिल का आयोजन किया।
फिल्म 3 इडियट्स के किरदार "फुंसुक वांगडू" से भी जोड़ा जाता है
सोनम वांगचुक, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और SECMOL के संस्थापक, लद्दाख में शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए जाने जाते हैं। उनकी छवि को आमिर खान की फिल्म 3 इडियट्स के किरदार "फुंसुक वांगडू" से भी जोड़ा जाता है। वांगचुक पिछले छह वर्षों से लद्दाख की मांगों के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी और FCRA लाइसेंस रद्द होने से उनकी छवि विवादों में घिर गई है, लेकिन उनके समर्थक उन्हें लद्दाख की आवाज के रूप में देखते हैं।