"16 साल में पहली बार! केरल में समय से पहले दस्तक देगा मानसून, जानिए क्यों बदला मौसम का मिजाज"

केरल में इस बार मानसून अपने तय समय से एक सप्ताह पहले, यानी 25 मई तक, दस्तक देने वाला है, जो पिछले 16 सालों में पहली बार हो रहा है। अरब सागर में कम दबाव का क्षेत्र, तेज हवाएं और लगातार बादल बनना इसके मुख्य कारण हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अनिश्चितता बढ़ रही है, जिससे बारिश का समय और मात्रा अनुमानित करना मुश्किल हो गया है। इससे कृषि और जनजीवन पर असर पड़ सकता है, साथ ही भविष्य में मौसम और अप्रत्याशित हो सकता है।

May 24, 2025 - 13:46
May 24, 2025 - 13:48
"16 साल में पहली बार! केरल में समय से पहले दस्तक देगा मानसून, जानिए क्यों बदला मौसम का मिजाज"

केरल में मानसून ने इस बार सभी को चौंकाते हुए अपने तय समय से लगभग एक सप्ताह पहले दस्तक देने की तैयारी कर ली है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 25 मई तक केरल में मानसून की एंट्री हो सकती है। यह पिछले 16 सालों में पहला मौका है जब मानसून इतनी जल्दी केरल पहुंच रहा है। सामान्य तौर पर, केरल में मानसून 1 जून के आसपास आता है और 8 जून तक पूरे देश को कवर कर लेता है। इसके बाद, 17 सितंबर से यह उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह वापस चला जाता है। लेकिन इस बार मौसम की कहानी कुछ अलग है। आइए, जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और इसके पीछे के कारण क्या हैं।

मानसून की जल्दी एंट्री के पीछे क्या है कारण?

IMD के मुताबिक, इस बार मानसून के समय से पहले आने के लिए कई मौसमी परिस्थितियां जिम्मेदार हैं। सबसे बड़ा कारण है अरब सागर के ऊपर बना एक कम दबाव वाला क्षेत्र (low-pressure system)। इसके साथ ही, दक्षिण से उत्तर की ओर तेज हवाएं चल रही हैं, जो मानसून को आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं। इसके अलावा, लगातार बन रहे बादलों ने भी मानसून के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है। इन तीनों कारकों ने मिलकर मानसून को समय से पहले केरल की ओर खींच लिया है। पिछले दो दिनों में केरल के कई हिस्सों में भारी बारिश भी देखने को मिली है, जो इन अनुकूल परिस्थितियों का नतीजा है।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के इस असामान्य व्यवहार के पीछे जलवायु परिवर्तन (climate change) का बड़ा हाथ है। मौसम के पैटर्न में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिसके कारण बारिश का समय और मात्रा अनिश्चित होती जा रही है। पहले जहां मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान था, वहीं अब यह तय करना मुश्किल हो गया है कि बारिश कब, कहां और कितनी होगी। यह बदलाव न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में मौसम की अनिश्चितता को दर्शाता है।

  • कृषि पर प्रभाव: केरल में मानसून के जल्दी आने से किसानों को फायदा हो सकता है, क्योंकि समय से पहले बारिश फसलों की बुआई के लिए अनुकूल हो सकती है। हालांकि, भारी बारिश से बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है।
  • आम जनजीवन: भारी बारिश के कारण केरल के निचले इलाकों में जलभराव और यातायात में रुकावट की स्थिति बन सकती है।
  • मौसम की अनिश्चितता: यह घटना इस बात का संकेत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में मौसम के पैटर्न और भी अप्रत्याशित हो सकते हैं।

केरल में मानसून का समय से पहले आना एक ओर जहां राहत की खबर है, वहीं यह जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को भी उजागर करता है। मौसम वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को इस दिशा में और अधिक शोध और तैयारियों की जरूरत है ताकि मौसम की अनिश्चितताओं से निपटा जा सके।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ