साइबर ठगों का नया जाल, ऑनलाइन नौकरी का लालच देकर युवती को फंसाया, लाखों की ठगी
जोधपुर के बोरानाड़ा क्षेत्र में एक युवती को ऑनलाइन नौकरी का लालच देकर साइबर ठगों ने लाखों रुपये की ठगी की। ठगों ने छोटे टास्क और कमीशन का भरोसा दिलाकर युवती से रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर पैसे ऐंठे। युवती की मां की शिकायत पर बोरानाड़ा पुलिस ने अज्ञात ठगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और आईटी एक्ट की धारा 66C के तहत मामला दर्ज किया। साइबर सेल ठगों के बैंक खातों और डिजिटल ट्रेल की जांच कर रही है। यह घटना साइबर फ्रॉड के बढ़ते खतरे को उजागर करती है।

जोधपुर, 14 सितंबर 2025: राजस्थान के जोधपुर शहर में साइबर अपराधियों ने एक बार फिर अपनी काली करतूतों से एक युवती को शिकार बनाया है। ऑनलाइन नौकरी दिलाने के झूठे वादों के जरिए ठगों ने युवती के बैंक खाते से भारी रकम उड़ा ली। यह मामला बोरानाड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां युवती की मां की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की है। धोखाधड़ी की यह घटना न केवल साइबर क्राइम की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है, बल्कि आम लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी भी देती है।
घटना का पूरा विवरण
जानकारी के अनुसार, पीड़ित युवती जोधपुर के बोरानाड़ा इलाके की रहने वाली हैं। वह घर बैठे अतिरिक्त आय कमाने के इच्छुक थे, तभी उनके मोबाइल पर एक संदिग्ध मैसेज या कॉल आया। ठगों ने खुद को किसी प्रतिष्ठित जॉब पोर्टल या कंपनी का प्रतिनिधि बताते हुए युवती को आकर्षक ऑफर दिया। उन्होंने दावा किया कि घर से काम करते हुए आसानी से मासिक 20-30 हजार रुपये तक कमा सकती हैं। शुरुआत में छोटे-छोटे टास्क जैसे फॉर्म भरना, रिव्यू देना या ऐप डाउनलोड करना दिए गए, जिनके बदले मामूली कमीशन का भुगतान भी किया गया। यह सब भरोसा जीतने की चाल थी।धीरे-धीरे ठगों ने जाल कसा और युवती को बड़े टास्क के लिए 'रजिस्ट्रेशन फीस' या 'सिक्योरिटी डिपॉजिट' के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने को कहा। लालच में आकर युवती ने कुल लगभग 2-3 लाख रुपये (सटीक राशि जांच के अधीन) अपने बैंक खाते से विभिन्न UPI आईडी या खातों में भेज दिए।
जब उन्होंने और पैसे मांगे, तो ठगों ने संपर्क तोड़ लिया और युवती का खाता खाली हो गया। यह ठगी का एक क्लासिक मामला है, जहां 'टास्क-बेस्ड फ्रॉड' का इस्तेमाल किया जाता है।युवती को धोखा मिलने के बाद उन्होंने तुरंत अपनी मां को बताया। मां ने बिना देर किए बोरानाड़ा थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने युवती के बैंक स्टेटमेंट, ट्रांजेक्शन डिटेल्स और चैट हिस्ट्री को आधार बनाकर अज्ञात आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया।
पुलिस कार्रवाई और कानूनी धाराएं
बोरानाड़ा थाना प्रभारी ने बताया कि यह साइबर फ्रॉड का स्पष्ट उदाहरण है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) (धोखाधड़ी से संबंधित) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 66C (इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर या आईडी की चोरी) के तहत एफआईआर दर्ज की है। जांच टीम ने ट्रांजेक्शन ट्रेल का पीछा करना शुरू कर दिया है। साइबर सेल की मदद से ठगों के आईपी एड्रेस, मोबाइल नंबर और संभावित लोकेशन का पता लगाया जा रहा है।पुलिस ने पीड़ित परिवार को सलाह दी है कि वे तत्काल राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें, ताकि फ्रोजन अकाउंट के जरिए कुछ राशि वापस मिल सके। अभी तक ठगों की पहचान नहीं हो सकी है, लेकिन ऐसे मामलों में अक्सर आरोपी अन्य राज्यों या विदेशों से ऑपरेट करते हैं।
साइबर फ्रॉड का बढ़ता खतरा: आंकड़े और सलाह
राजस्थान में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राज्य साइबर सेल के अनुसार, 2025 के पहले आठ महीनों में ही 500 से अधिक ऑनलाइन जॉब फ्रॉड के केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें युवाओं को निशाना बनाया गया। राष्ट्रीय स्तर पर, हर साल लाखों लोग ऐसी ठगी के शिकार होते हैं, खासकर बेरोजगारी के दौर में।विशेषज्ञों की सलाह:अनजान कॉल/मैसेज पर भरोसा न करें: कोई भी जॉब फ्री नहीं होती; सत्यापन के लिए आधिकारिक वेबसाइट चेक करें।
पैसे ट्रांसफर से पहले रुकें: छोटे प्रॉफिट दिखाकर बड़ा लालच न पालें।
तुरंत रिपोर्ट करें: फ्रॉड होने पर 1930 डायल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
सुरक्षा उपाय: टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू रखें और संदिग्ध ऐप्स न डाउनलोड करें।
यह घटना सभी युवाओं के लिए एक सबक है कि डिजिटल दुनिया में सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है। पुलिस ने जागरूकता अभियान तेज करने का ऐलान किया है, ताकि ऐसी घटनाएं रुक सकें।