भारत में फिर से बेकाबू हो रहा है कोविड-19: एक हफ्ते में 1200% की उछाल, 28 की मौत, नए ओमिक्रॉन वेरिएंट्स ने बढ़ाई चिंता
भारत में कोविड-19 मामलों में एक हफ्ते में 1200% की वृद्धि हुई, सक्रिय मामले 3,395 तक पहुंचे। केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली सबसे अधिक प्रभावित। ओमिक्रॉन के उप-वेरिएंट्स LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 इसके पीछे मुख्य कारण। 1 जनवरी 2025 से अब तक 28 मौतें, जिनमें हाल की 4 मौतें शामिल। सरकार टेस्टिंग और निगरानी बढ़ा रही है, मास्क और बूस्टर डोज की सलाह दी गई।

भारत में कोविड-19 की नई लहर ने एक बार फिर स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम जनता की चिंताओं को बढ़ा दिया है। पिछले एक हफ्ते में देश में कोरोना के मामलों में 1200% की भारी वृद्धि दर्ज की गई है, जो एक चेतावनी भरा संकेत है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 31 मई 2025 तक देश में सक्रिय कोविड-19 मामले 3,395 तक पहुंच गए हैं, जो 22 मई को 257 थे। इस तेजी से बढ़ते आंकड़े ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला है कि यह नई लहर ओमिक्रॉन के उप-वेरिएंट्स LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 के कारण है, जो 2022 में भारत में आई बड़ी कोविड लहर के स्ट्रेन से संबंधित हैं।
सबसे अधिक प्रभावित राज्य
कोविड-19 की इस नई लहर का सबसे ज्यादा असर केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में देखा जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, केरल में शुक्रवार को 189 नए मामले सामने आए और अब वहां 1,336 सक्रिय मामले हैं। महाराष्ट्र में 467, दिल्ली में 375, गुजरात में 265, कर्नाटक में 234, पश्चिम बंगाल में 205, तमिलनाडु में 185 और उत्तर प्रदेश में 117 सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा राजस्थान (60), पुडुचेरी (41), हरियाणा (26), आंध्र प्रदेश (17) और मध्य प्रदेश (16) जैसे राज्यों में भी मामले बढ़ रहे हैं।
मौतों का आंकड़ा और चिंता
ICMR के प्रमुख डॉ. राजीव बहल ने बताया कि 1 जनवरी 2025 से अब तक कोविड-19 के कारण 28 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से हाल ही में चार मौतें (केरल में 1, कर्नाटक में 1, और पश्चिम बंगाल में 2) दर्ज की गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नए वेरिएंट्स, खासकर JN.1, जो इम्युनिटी को चकमा देने में सक्षम है, इस तेजी के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि ज्यादातर मामलों में लक्षण हल्के हैं, जैसे बुखार, खांसी, गले में खराश, थकान और नाक बहना। गंभीर लक्षण, जैसे सांस लेने में तकलीफ या निमोनिया, अब कम देखे जा रहे हैं, खासकर उन लोगों में जो वैक्सीनेटेड हैं या पहले संक्रमित हो चुके हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस नई लहर के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- नए वेरिएंट्स की संक्रामकता: ओमिक्रॉन के उप-वेरिएंट्स, विशेष रूप से JN.1, LF.7 और NB.1.8.1, तेजी से फैलने की क्षमता रखते हैं। ये वेरिएंट्स वैक्सीन या प्राकृतिक इम्युनिटी को आंशिक रूप से चकमा दे सकते हैं।
- वैक्सीन की प्रभावशीलता में कमी: समय के साथ वैक्सीन से मिली इम्युनिटी कमजोर पड़ती है, जिसके कारण बूस्टर डोज की जरूरत बढ़ रही है।
- मौसमी बदलाव: मौसम में बदलाव और ठंड का बढ़ना वायरल संक्रमणों को बढ़ावा दे सकता है।
- सावधानी में कमी: मास्क पहनने और सामाजिक दूरी जैसे कोविड-उपयुक्त व्यवहारों में ढील ने भी मामलों को बढ़ाने में योगदान दिया है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
केंद्र और राज्य सरकारें स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को टेस्टिंग, जीनोम सीक्वेंसिंग और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। केरल में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है, और अस्पतालों को ऑक्सीजन, बेड और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है। ICMR और INSACOG के माध्यम से नए वेरिएंट्स पर नजर रखी जा रही है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि कोविड अब उतना खतरनाक नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।
बचाव के उपाय
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और ICMR ने लोगों से निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी है:
- मास्क का उपयोग: भीड़-भाड़ वाली जगहों, जैसे बाजार, बस या मेट्रो में मास्क पहनें।
- हाथ की स्वच्छता: बार-बार हाथ धोएं और सैनिटाइजर का उपयोग करें।
- भीड़ से बचें: जहां तक संभव हो, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- बूस्टर डोज: अगर आपने लंबे समय से बूस्टर डोज नहीं ली है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- लक्षणों पर नजर: बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट कराएं और डॉक्टर से संपर्क करें।
- कमजोर इम्युनिटी वालों के लिए विशेष सावधानी: बुजुर्गों, बच्चों और डायबिटीज, हृदय रोग जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए।
दिल्ली AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, “नए वेरिएंट्स हल्के लक्षणों वाले हैं और ज्यादातर लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं। घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।” ICMR के डॉ. राजीव बहल ने भी आश्वासन दिया कि स्थिति नियंत्रण में है और सरकार सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 और LF.7 को “वेरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग” की श्रेणी में रखा है, जिसका मतलब है कि ये अभी चिंताजनक नहीं हैं, लेकिन इन पर नजर रखना जरूरी है।
भारत में कोविड-19 की नई लहर ने एक बार फिर सतर्कता की घंटी बजा दी है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह लहर 2020-21 की तरह गंभीर नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। आम जनता को घबराने के बजाय मास्क, सामाजिक दूरी और वैक्सीनेशन जैसे उपायों पर ध्यान देना चाहिए। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता और जीनोम सीक्वेंसिंग जैसे कदम यह सुनिश्चित करने में मदद करेंगे कि स्थिति नियंत्रण में रहे।