बाड़मेर-जैसलमेर: सोलर हब के नाम पर जनता का संघर्ष, विकास की आड़ में लूट का खेल
बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में सोलर हब के नाम पर चल रहे विकास कार्यों के खिलाफ जनता का विरोध तेज हो गया है। मनिहारी गांव में हाई टेंशन तार घरों के ऊपर से निकाले जाने का ग्रामीणों, खासकर महिलाओं ने विरोध किया। इस दौरान पुलिस और महिलाओं के बीच झड़प हुई, और पुलिस ने कुछ महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए मौके पर पहुंचकर पुलिस थाना शिव का घेराव करने की बात कही है। यह मामला सोलर प्रोजेक्ट्स के नाम पर स्थानीय लोगों के अधिकारों और पर्यावरणीय चिंताओं को लेकर चल रहे संघर्ष का हिस्सा है।

बाड़मेर: राजस्थान का बाड़मेर और जैसलमेर, जो कभी अपनी सांस्कृतिक विरासत, लोक लाज और मर्यादा के लिए विश्व पटल पर जाना जाता था, आज सोलर ऊर्जा के हब बनने की होड़ में एक अनचाहे संघर्ष का गवाह बन रहा है। इन रेगिस्तानी इलाकों में सौर ऊर्जा के नाम पर विकास की जो बयार बह रही है, उसने स्थानीय जनता को सड़कों पर उतरने और अपने हक के लिए लड़ने को मजबूर कर दिया है। बाड़मेर के मनिहारी गांव का हालिया वीडियो इस दर्दनाक हकीकत को बयां करता है, जहां महिलाएं अपनी जमीन, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए सलाखों का सामना कर रही हैं।
बाड़मेर और जैसलमेर, जहां सूरज की किरणें प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, को भारत का सोलर हब बनाने की महत्वाकांक्षी योजना ने पिछले कुछ वर्षों में जोर पकड़ा है। बड़े-बड़े सोलर प्लांट्स लगाए जा रहे हैं, और निजी कंपनियां, जिनमें अडानी जैसे नाम शामिल हैं, स्थानीय जमीनों पर कब्जा करने में लगी हैं। लेकिन इस विकास की कीमत चुका रही है वह जनता, जिनके लिए यह जमीन न सिर्फ आजीविका का साधन है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का हिस्सा भी है।
मनिहारी जैसे कई और गांवों में स्थानीय लोग सोलर कंपनियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग साफ है उनकी जमीनों को बिना उचित मुआवजे और सहमति के न लिया जाए और उनके घरों के ऊपर से गुजर रही है हाई टेंशन विद्युत तारों को हटाया जाए ।
सोलर ऊर्जा को पर्यावरण के लिए लाभकारी माना जाता है, लेकिन बाड़मेर-जैसलमेर में इसका दूसरा चेहरा सामने आ रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सोलर कंपनियों ने लाखों खेजड़ी और रोहिड़ा जैसे पेड़ों को बिना अनुमति के काट डाला, जो इस रेगिस्तानी क्षेत्र में पशुपालकों और पर्यावरण के लिए जीवन रेखा हैं। खेजड़ी, जिसे राजस्थान का राज्य वृक्ष होने का गौरव प्राप्त है, न केवल छाया और चारा प्रदान करता है, बल्कि मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने में भी मदद करता है। इन पेड़ों के कटने से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय पशुपालकों की आजीविका भी खतरे में पड़ गई है।
यह विडंबना है कि एक तरफ जनता अपनी जमीन और सम्मान के लिए सड़कों पर है, तो दूसरी तरफ कुछ लोग इस संकट को अवसर में बदल रहे हैं। कुछ अधिकारी और नेता कंपनियों के आकाओं से मिलकर मोटी रकम छाप रहे हैं उसमें जनता का चाहे नुकसान हो जाए।
बाड़मेर-जैसलमेर की महिलाएं, जो अपनी मर्यादा और साहस के लिए जानी जाती हैं, आज अपने हक के लिए मैदान में हैं। मनिहारी गांव का वीडियो इस बात का जीवंत प्रमाण है कि ये महिलाएं न केवल अपनी जमीन, बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए हर हद तक जाने को तैयार हैं। लेकिन उनका यह संघर्ष आसान नहीं है। पुलिस हिरासत, दमन और सामाजिक दबाव उनके रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं। फिर भी, ये महिलाएं हार नहीं मान रही हैं।
विकास जरूरी है, लेकिन किस कीमत पर? सोलर ऊर्जा जैसे पर्यावरण हितैषी कदमों का स्वागत होना चाहिए, लेकिन जब यह स्थानीय समुदायों की कीमत पर हो, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए, और केवल कुछ लोगों की जेबें भरे, तो इसका औचित्य सवालों के घेरे में आ जाता है। विकास तभी सार्थक है जब वह समावेशी हो, पर्यावरण के अनुकूल हो, और स्थानीय लोगों के हितों को प्राथमिकता दे।
इस पूरे मामले में जो जानकारी सामने आई है वह इस प्रकार है कि मनिहारी गांव में घरों के ऊपर से हाई टेंशन तार को निकाला जा रहा था तो गांव के लोगों और महिलाओं ने विरोध किया इस पर पुलिस और महिलाओं के बीच झड़प हो गई और पुलिस ने गांव की कुछ महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया है फिलहाल इस मामले को लेकर शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी मौके पर पहुंचे है और पुलिस थाना शिव में घेराव की बात कर रहे हैं।