किसान आंदोलन का साया,केंद्र की चुप्पी और जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

पंजाब में बाढ़ संकट पर केंद्र सरकार की चुप्पी और जलवायु परिवर्तन के खतरे को लेकर एनएचसीपीएम के सचिव सुखदेव सिंह भूपल ने चिंता जताई। उन्होंने किसान आंदोलन से बदला लेने का आरोप लगाते हुए सामाजिक एकजुटता और पर्यावरण संरक्षण की जरूरत पर बल दिया।

Sep 8, 2025 - 16:12
किसान आंदोलन का साया,केंद्र की चुप्पी और जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

नेचर-ह्यूमन सेंट्रिक पीपुल्स मूवमेंट, इंडिया (एनएचसीपीएम) के सचिव सुखदेव सिंह भूपल ने पंजाब में बाढ़ संकट को लेकर केंद्र सरकार की चुप्पी पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि 12 अगस्त से शुरू हुई बाढ़ ने पंजाब में भारी तबाही मचाई, लेकिन न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी। भूपल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए भूस्खलन के दौरान केंद्र सरकार ने तुरंत संवेदना व्यक्त की थी और राहत पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए ऐसी कोई पहल नहीं दिखी। उन्होंने इसे केंद्र की पंजाब के प्रति उदासीनता और किसान आंदोलन का बदला लेने की मंशा से जोड़ा।

किसान आंदोलन का साया

भूपल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पंजाब के साथ किसान आंदोलन की वजह से भेदभाव कर रही है। पंजाब के नेतृत्व में चले इस आंदोलन ने पूरे देश के किसानों को एकजुट किया था, जिसके दबाव में केंद्र को तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े। भूपल ने कहा, "केंद्र सरकार उस हार को भूल नहीं पाई और पंजाब के साथ हमेशा खुंदक रखती है।"

पड़ोसी राज्यों और जनता का सहयोग

भूपल ने बताया कि हरियाणा और राजस्थान की जनता पंजाब के लिए राहत सामग्री लेकर मदद के लिए आगे आई है। कई सामाजिक संगठन भी इस संकट में पंजाब के साथ खड़े हैं। हालांकि, उन्होंने हरियाणा और राजस्थान सरकारों पर सवाल उठाए, जो पंजाब से पानी तो लेती हैं, लेकिन इस संकट में कोई ठोस मदद नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा, "इन राज्यों को सिर्फ पानी चाहिए, मदद की बारी आने पर ये पीछे हट जाते हैं।"

पाकिस्तान की जनता का मानवीय कदम

भूपल ने एक दिलचस्प उदाहरण देते हुए बताया कि बाढ़ के कारण भारत-पाकिस्तान सीमा की तारबंदी टूट गई, जिससे भारत के कुछ पशु पानी में बहकर पाकिस्तान पहुंच गए। लेकिन, पाकिस्तान की जनता ने इन्हें वापस भारत को सौंप दिया। उन्होंने कहा, "चाहे भारत की जनता हो या पाकिस्तान की, लोग एक-दूसरे के साथ भेदभाव नहीं करते। यह भेदभाव तो सरकारों की नीतियां पैदा करती हैं।"

जलवायु परिवर्तन का खतरा

भूपल ने पंजाब की बाढ़ को जलवायु परिवर्तन से जोड़ते हुए कहा कि यह मानव निर्मित आपदा है। बाढ़ से पंजाब में चार लाख एकड़ फसल बर्बाद हो गई और लाखों लोग बेघर हो गए। पंजाब और हरियाणा देश के 80 करोड़ लोगों के लिए गेहूं, चावल और अन्य अनाज की आपूर्ति करते हैं। ऐसे में, खेती पर जलवायु परिवर्तन का यह प्रभाव चिंताजनक है। उन्होंने चेतावनी दी, "प्रकृति के साथ खिलवाड़ का नतीजा हमें भुगतना पड़ रहा है। अगर हम नहीं सुधरे, तो प्रकृति का रौद्र रूप और भयावह होगा।"

जनआंदोलन विचार-विमर्श का आयोजन

ये बातें सुखदेव सिंह भूपल ने सीकर के महादेव गार्डन में आयोजित तीन दिवसीय जनआंदोलन विचार-विमर्श कार्यक्रम के समापन के दौरान कही। इस कार्यक्रम का आयोजन एनएचसीपीएम ने किया था, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में सीकर सांसद अमराराम, किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट, राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी के अध्यक्ष बलदेवराज, सज्जन कुमार, गिरधारी लाल कूकना, रिद्धकरण मेघवाल, घनश्याम, समिंदर सिंह लोंगोवाल, जयप्रकाश जुपी, बलवान नेहरा, प्रकाश भारती, भूपति आर्य, रामेश्वर लाल ढाका, महेश जाखड़ और राजेंद्र डोरवाल जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए।

एकजुटता की जरूरत

भूपल ने इस अवसर पर सामाजिक एकजुटता और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए समाज और सरकार को मिलकर काम करना होगा। पंजाब की बाढ़ ने न केवल किसानों को, बल्कि पूरे देश के खाद्य सुरक्षा तंत्र को प्रभावित किया है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .