अशोक गहलोत की सरकार से चेतावनी- जर्जर स्कूल भवनों का सर्वे नहीं हुआ तो हो सकता है बड़ा हादसा....
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में जर्जर स्कूल भवनों के त्वरित सर्वे की मांग की है, चेतावनी दी कि देरी से बड़ा हादसा हो सकता है। झालावाड़ और जैसलमेर में स्कूल भवन ढहने की घटनाओं के बाद, उन्होंने जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा के जर्जर स्कूलों की सूची कलेक्टर को सौंपी। गहलोत ने सरकार से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और 150 करोड़ की योजना के तहत सर्वे व मरम्मत की मांग की।

जोधपुर: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने राज्य में जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से तत्काल सर्वे करवाने की मांग की है। झालावाड़ और जैसलमेर में हाल ही में स्कूल भवनों के ढहने की घटनाओं का हवाला देते हुए गहलोत ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते जर्जर भवनों की पहचान और मरम्मत नहीं की गई तो भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने अपनी विधानसभा सरदारपुरा (जोधपुर) के जर्जर स्कूल भवनों की एक सूची तैयार कर जिला कलेक्टर को सौंप दी है और सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील की है।
जर्जर स्कूल भवनों पर गहलोत का जोर
गहलोत ने कहा कि स्कूल बच्चों के भविष्य का आधार हैं, लेकिन जर्जर भवनों में पढ़ाई करना उनके लिए खतरे से खाली नहीं है। झालावाड़ के पीपलोदी गांव में 27 जुलाई 2025 को सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की दुखद मृत्यु और जैसलमेर में इसी तरह की घटनाओं ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है। इन हादसों ने स्कूल भवनों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। गहलोत ने जोर देकर कहा कि सरकार को बिना देरी के सभी स्कूल भवनों का सर्वे करवाना चाहिए ताकि जर्जर भवनों की पहचान कर उनकी मरम्मत या पुनर्निर्माण किया जा सके।
सरदारपुरा से शुरूआत, कलेक्टर को सौंपी सूची
अपने गृह जिले जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा से इस मुहिम की शुरुआत करते हुए गहलोत ने क्षेत्र के जर्जर स्कूल भवनों की एक विस्तृत सूची तैयार की है। उन्होंने इस सूची को जोधपुर के जिला कलेक्टर को सौंपकर तत्काल सर्वे और कार्रवाई की मांग की है। गहलोत ने कहा, "मैंने अपने क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति देखी है। कई भवन इतने जर्जर हैं कि उनमें बच्चों का पढ़ना जोखिम भरा है। मैंने कलेक्टर से आग्रह किया है कि सर्वे जल्द शुरू हो और इन भवनों को सुरक्षित किया जाए।"
सरकार पर निशाना, राजनीतिक विवाद से परे मांग
गहलोत ने मौजूदा भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा राजनीति से ऊपर होना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि उनके कार्यकाल में भी स्कूल भवनों के लिए बजट स्वीकृत किया गया था, जैसे कि जोधपुर के पहाड़गंज में 1.64 करोड़ रुपये की लागत से बने स्कूल भवन का उदाहरण। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहते। गहलोत ने कहा, "मैं विवाद नहीं चाहता, बस बच्चों की सुरक्षा चाहता हूं। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत कदम उठाए।"
हालिया घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे के बाद राज्य सरकार ने जर्जर भवनों की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन गहलोत का कहना है कि यह कार्रवाई नाकाफी है। उन्होंने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने भी जर्जर स्कूल भवनों के उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं, फिर भी कई स्कूलों में बच्चे जोखिम भरे भवनों में पढ़ने को मजबूर हैं। गहलोत ने मांग की कि सरकार एक व्यापक सर्वे करवाए, जिसमें तकनीकी समिति द्वारा जर्जर भवनों को चिह्नित कर उन्हें ध्वस्त या मरम्मत किया जाए। इसके लिए उन्होंने 150 करोड़ रुपये की विशेष योजना की भी वकालत की।
शिक्षा विभाग और सरकार की जवाबदेही
गहलोत ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रिंसिपल्स और शिक्षा अधिकारियों को जर्जर भवनों की जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंचानी चाहिए। जोधपुर में हाल ही में एक स्कूल के उद्घाटन को लेकर हुए विवाद का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार ने स्कूलों के लिए धन स्वीकृत किया था, लेकिन मौजूदा सरकार इसे राजनीतिक मुद्दा बना रही है। फिर भी, उन्होंने जोर दिया कि वह इस मामले को राजनीति से जोड़ना नहीं चाहते और केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं।
जनता और अभिभावकों का समर्थन
गहलोत की इस मांग को स्थानीय लोगों और अभिभावकों का समर्थन मिल रहा है। सरदारपुरा के कई अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चे जर्जर भवनों में पढ़ रहे हैं, जिससे हर दिन डर बना रहता है। गहलोत ने सरकार से अपील की कि वह अभिभावकों की चिंताओं को गंभीरता से ले और स्कूलों को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाए।
अशोक गहलोत की यह मांग न केवल सरदारपुरा विधानसभा के लिए, बल्कि पूरे राजस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाती है। बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। गहलोत की इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही जर्जर स्कूल भवनों का सर्वे शुरू करेगी और आवश्यक कदम उठाएगी ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा टाला जा सके।