"ऑपरेशन सिन्दूर के बाद बाड़मेर और कई अन्य राज्यों में होने जा रही है मॉक ड्रिल "

29 मई 2025 को राजस्थान के बाड़मेर जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे क्षेत्रों में एक बड़े स्तर पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य युद्ध, आतंकी हमले या अन्य आपात स्थितियों से निपटने की तैयारियों को परखना और मजबूत करना है। बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक कर तैयारियों को अंतिम रूप दिया और आवश्यक निर्देश जारी किए। यह ड्रिल नागरिक सुरक्षा, प्रशासनिक तत्परता और समन्वय को बढ़ाने पर केंद्रित है।

May 28, 2025 - 16:33
"ऑपरेशन सिन्दूर के बाद  बाड़मेर और कई  अन्य राज्यों में होने जा रही है मॉक ड्रिल "

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले में 29 मई 2025 को एक बड़े स्तर पर मॉक ड्रिल का आयोजन होने जा रहा है। इस मॉक ड्रिल का आयोजन सीमावर्ती इलाकों में युद्ध, आतंकी हमले या किसी अन्य आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों को परखना और मजबूत करना है। बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने इस ड्रिल को लेकर सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में जिला प्रशासन ने मॉक ड्रिल की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए कई अहम निर्देश जारी किए।

मॉक ड्रिल का उद्देश्य और महत्व:
यह मॉक ड्रिल भारत-पाक सीमा से सटे राज्यों जैसे राजस्थान, गुजरात, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में एक साथ आयोजित की जाएगी। केंद्र सरकार के आदेश पर होने वाली इस ड्रिल का मुख्य उद्देश्य प्रशासन, सेना, पुलिस और नागरिकों की आपसी समन्वय को जांचना है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी आपात स्थिति में लोग सुरक्षित रहें और प्रशासन तुरंत कार्रवाई कर सके। बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिले में यह ड्रिल इसलिए और महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र भारत-पाक सीमा के बेहद करीब है और पहले भी ड्रोन गतिविधियों और अन्य सुरक्षा खतरों का सामना कर चुका है।

पहले की घटनाएं और ऑपरेशन सिंदूर:
इससे पहले 7 मई 2025 को भी भारत-पाक सीमा से सटे 244 जिलों में एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया था। उसी दिन भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया था, जिसमें पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। इस ऑपरेशन के दौरान बाड़मेर, जैसलमेर और अन्य सीमावर्ती इलाकों में कई दिनों तक ब्लैकआउट लागू किया गया था। ब्लैकआउट का मतलब था कि रात के समय बिजली और संचार सेवाएं बंद रखी गईं, ताकि दुश्मन की किसी भी गतिविधि को रोका जा सके। इस दौरान स्थानीय लोगों ने पुराने युद्ध के दिनों की यादें ताजा कीं, जब ऐसी सावधानियां आम थीं।

जिला कलेक्टर टीना डाबी ने सभी विभागों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे मॉक ड्रिल को पूरी गंभीरता से लें। इस ड्रिल में पुलिस, अग्निशमन विभाग, स्वास्थ्य सेवाएं, सिविल डिफेंस और अन्य आपातकालीन सेवाएं शामिल होंगी। नागरिकों को भी इस ड्रिल के बारे में पहले से सूचित किया गया है, ताकि वे घबराएं नहीं और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजाए जाएंगे, जिससे लोगों को आपात स्थिति में क्या करना है, इसका अभ्यास हो सके। साथ ही, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी विशेष तैयारियां की जा रही हैं।

नागरिकों से अपील:
जिला प्रशासन ने बाड़मेर के नागरिकों से अपील की है कि वे मॉक ड्रिल के दौरान शांत रहें और प्रशासन के साथ सहयोग करें। लोगों को सलाह दी गई है कि वे सायरन सुनते ही सुरक्षित स्थान पर जाएं और अफवाहों पर ध्यान न दें। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह ड्रिल केवल एक अभ्यास है, लेकिन इसे गंभीरता से लेना जरूरी है, क्योंकि यह भविष्य में किसी वास्तविक खतरे से निपटने की तैयारी है।

सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव का माहौल:
भारत-पाक सीमा पर हाल के महीनों में ड्रोन गतिविधियों और अन्य संदिग्ध गतिविधियों की खबरें सामने आई हैं। बाड़मेर और जैसलमेर जैसे इलाकों में पहले भी कई बार ड्रोन देखे गए हैं, जिसके बाद सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया गया। मॉक ड्रिल का आयोजन इस बात का संकेत है कि भारत अपनी सीमाओं पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

बाड़मेर में 29 मई को होने वाली यह मॉक ड्रिल न केवल प्रशासन की तैयारियों को परखेगी, बल्कि नागरिकों में भी जागरूकता बढ़ाएगी। ऑपरेशन सिंदूर और पहले की मॉक ड्रिल की सफलता ने दिखाया है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कितना सजग है। बाड़मेर के लोग एक बार फिर इस ड्रिल के जरिए अपनी एकजुटता और तैयारियों को प्रदर्शित करेंगे।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ