परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़: दो साल में नौ जिंदगियां खोईं

खेड़ी साध गांव के दीपांशु, उनकी मां प्रमिला, और बहन साक्षी की दौसा सड़क हादसे में मौत; दो साल में परिवार ने खोए नौ लोग।

Jul 1, 2025 - 16:35
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़: दो साल में नौ जिंदगियां खोईं

हरियाणा के रोहतक जिले के खेड़ी साध गांव में एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। राजस्थान के दौसा में हुए एक भीषण सड़क हादसे में गांव के निवासी दीपांशु (20), उनकी मां प्रमिला देवी (40), और बहन साक्षी (16) की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे में एक अन्य महिला, पारो देवी (60), जिनका परिवार के साथ दूर का रिश्ता था, ने भी अपनी जान गंवाई। यह हादसा शुक्रवार देर रात (27 जून 2025) करीब 12:15 बजे जयपुर-आगरा हाईवे पर दौसा के कलेक्ट्रेट चौराहे के पास हुआ, जब इनकी कार एक खड़े कैंटर से टकरा गई। इस त्रासदी ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव को सदमे में डाल दिया है, क्योंकि इस परिवार ने पिछले दो साल में नौ लोगों को खो दिया है।

पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब परिवहन विभाग (RTO) की टीम हाईवे पर चेकिंग कर रही थी और एक कैंटर को सड़क किनारे रोका गया था। दीपांशु द्वारा चलाई जा रही कार, जो तेज गति में थी, इस कैंटर से जा टकराई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए, और कार में सवार चारों लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद हाईवे पर जाम लग गया, जिसे पुलिस ने वाहनों को हटाकर सुचारू करवाया। पुलिस ने कैंटर चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया है और शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।

परिवार के अनुसार, दीपांशु और उनके परिवार के 12 अन्य सदस्य तीन अलग-अलग गाड़ियों में सवार होकर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के दर्शन के लिए शुक्रवार शाम को घर से निकले थे। दीपांशु की कार रास्ता भटक गई और जयपुर की ओर चली गई, जबकि बाकी लोग मंदिर पहुंच गए थे। रात के समय हुए इस हादसे ने परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया।

दो साल में नौ मौतें: परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

खेड़ी साध गांव के इस परिवार की कहानी दिल दहला देने वाली है। परिवार के सदस्य राहुल ने बताया कि उनके चाचा राजेंद्र का परिवार पहले खुशहाल जीवन जी रहा था। करीब दो साल पहले राजेंद्र एक ट्रक से गिर गए, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई। इस हादसे ने उन्हें बिस्तर पर ला दिया, और परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी। इलाज के बावजूद, दो महीने पहले राजेंद्र की मृत्यु हो गई। इस दौरान परिवार ने सात अन्य परिजनों को भी खोया, जिनमें बीमारी और अन्य कारण शामिल थे। अब इस सड़क हादसे में दीपांशु, उनकी मां, और बहन की मौत ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया है।

राहुल ने बताया कि दीपांशु ने 12वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और परिवार का खर्च चलाने के लिए रोहतक के औद्योगिक क्षेत्र (IMT) में एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू की। उसने एयर कंडीशनर सर्विसिंग का काम भी सीखा और ओवरटाइम करके घर की जिम्मेदारियां संभालीं। पिता के इलाज के लिए उसने दिन-रात मेहनत की, लेकिन वह उन्हें नहीं बचा सका। दीपांशु की मेहनत और जिम्मेदारी ने गांव में उसे सभी का प्रिय बना दिया था, और उसकी मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।

गांव में मातम, परिवार डर के साए में

हादसे की खबर मिलते ही खेड़ी साध गांव में मातम छा गया। शवों के गांव पहुंचने पर अंतिम संस्कार के दौरान तीन चिताओं को एक साथ जलते देख हर किसी की आंखें नम हो गईं। गांववाले बार-बार यही कह रहे थे कि इस परिवार पर "कठिन समय" आ गया है। परिवार के लोग लगातार हो रही मौतों से डरे हुए थे, और इस हादसे ने उनके डर को और गहरा कर दिया।

स्थानीय निवासियों और रिश्तेदारों का कहना है कि परिवार पहले आर्थिक रूप से स्थिर था, लेकिन राजेंद्र की दुर्घटना के बाद से हालात बिगड़ते चले गए। दीपांशु ने परिवार को संभालने की पूरी कोशिश की, लेकिन इस त्रासदी ने सब कुछ छीन लिया। गांव के लोग अब परिवार के बचे हुए सदस्यों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं।

Yashaswani Journalist at The Khatak .