9 मई: पीएम मोदी की तीनों सेनाध्यक्षों, सीडीएस, एनएसए और रक्षा मंत्री के साथ अहम बैठक
9 मई 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच दिल्ली में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजित डोभाल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, और तीनों सेनाध्यक्ष शामिल हुए। चर्चा का मुख्य फोकस हाल के ड्रोन हमलों, ऑपरेशन सिंदूर, और भारत की रक्षा तैयारियों पर रहा।

नई दिल्ली, 9 मई 2025: भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह अपने आधिकारिक आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) के प्रमुख शामिल हुए।इस बैठक में ही भारत द्वारा पाकिस्तान पर आक्रमण और मिसाइल हमले को विफल करने के कुछ चौथाई बाद हुई, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
बैठक महत्व:
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर स्थिति अत्यंत संवेदनशील बनी हुई है। 8 और 9 मई की रात को पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट, और उधमपुर में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिन्हें भारतीय सेना ने तुरंत नाकाम कर दिया। इसके अलावा, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हो गई थी, ने भारत को कड़ा जवाब देने के लिए मजबूर किया है। इस हमले के बाद भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिसमें 100 आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है।
पिछले कुछ दिनों में पीएम मोदी ने लगातार सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की है। इससे पहले 5 मई को उन्होंने रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की थी, जिसमें एनएसए अजित डोभाल भी मौजूद थे। 8 मई को डोभाल ने पीएम को सीमा पर बढ़ते तनाव और भारत की रक्षात्मक तैयारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी थी। इन बैठकों से यह स्पष्ट है कि भारत सरकार स्थिति को गंभीरता से ले रही है और किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
बैठक का उद्देश्य
शुक्रवार की बैठक में मुख्य रूप से भारत की रक्षा तैयारियों और पाकिस्तान की ओर से बढ़ती आक्रामकता पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पीएम मोदी को सैन्य तैयारियों और चल रहे अभियानों के बारे में जानकारी दी। सीडीएस जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाध्यक्षों ने अपनी-अपनी सेनाओं की तैनाती, रणनीति, और तत्काल कार्रवाई की योजनाओं पर विस्तृत ब्योरा पेश किया। एनएसए अजित डोभाल ने सीमा पार के घटनाक्रमों और खुफिया जानकारी के आधार पर भारत की रणनीतिक स्थिति पर प्रकाश डाला।
इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसे भारत ने "मापा हुआ और गैर-उत्तेजक" कदम बताया है। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से जवाबी हमलों ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। बैठक में भारतीय सेनाओं को पूरी स्वतंत्रता देने की बात दोहराई गई, ताकि वे समय, लक्ष्य, और कार्रवाई के तरीके को स्वयं तय कर सकें।
रक्षा मंत्री का दृढ़ रुख
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल के दिनों में कई बार दोहराया है कि भारत उन लोगों को "मुंहतोड़ जवाब" देगा जो देश की शांति और संप्रभुता को चुनौती देते हैं। 4 मई को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, जो आप चाहते हैं, वह निश्चित रूप से होगा।" इस बयान ने जनता और सेना में जोश भरा और यह संदेश दिया कि सरकार और सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले और उसके बाद की कार्रवाइयों ने देश में व्यापक बहस छेड़ दी है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने "ऑपरेशन सिंदूर" की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह नया भारत है, जो दुश्मन के घर में घुसकर जवाब देता है।" वहीं, कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी भारत की जवाबी कार्रवाई का समर्थन किया, लेकिन साथ ही सरकार से सतर्कता बढ़ाने की मांग की।
हालांकि, कुछ विपक्षी नेताओं ने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने पहलगाम हमले को "सुरक्षा चूक" करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। इसके बावजूद, सरकार ने सभी दलों को एकजुट करने की कोशिश की और 8 मई को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
सीमा पर तनाव और जनजीवन पर असर
भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव का असर सीमावर्ती राज्यों में साफ दिख रहा है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और बिहार जैसे राज्यों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। पंजाब के फिरोजपुर कैंटोनमेंट में 4 मई को ब्लैकआउट की रिहर्सल की गई, ताकि युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार रहा जा सके।
जम्मू-कश्मीर में भी स्थिति तनावपूर्ण है। 8 मई को उरी में पाकिस्तानी गोलाबारी में एक महिला की मौत हो गई, और एक अन्य व्यक्ति घायल हो गया। राजौरी में नियंत्रण रेखा के पास विस्फोटों की खबरें भी सामने आई हैं। इन घटनाओं ने स्थानीय लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है, लेकिन भारतीय सेना ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भी भारत-पाकिस्तान के तनाव पर टिकी हैं। अमेरिका ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। भारतीय दूतावास ने वॉशिंगटन में स्पष्ट किया कि भारत की कार्रवाइयां केवल आतंकी ठिकानों तक सीमित थीं, और कोई भी पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक लक्ष्य प्रभावित नहीं हुआ।
निष्कर्ष
9 मई की बैठक भारत की रक्षा और सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल भारत की सैन्य तैयारियों को दर्शाता है, बल्कि सरकार के दृढ़ संकल्प को भी उजागर करता है कि वह देश की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगी। पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजित डोभाल, और सैन्य नेतृत्व के बीच यह समन्वय यह संदेश देता है कि भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।