कोटा में दिल दहला देने वाली घटना: 6 महीने की मासूम बेटी को मात्र 2000 रुपये में बेचने की कोशिश, चाइल्ड हेल्पलाइन ने समय रहते बचाया
कोटा के एमबीएस अस्पताल में 6 महीने की बच्ची को मां ने 2000 रुपये में बेचने की कोशिश की; चाइल्ड हेल्पलाइन ने बचाया, दोनों को अस्थायी आश्रम भेजा।
राजस्थान के कोटा शहर में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो मानवता को शर्मसार करने वाली है। एक गरीब और मानसिक रूप से परेशान मां ने अपनी मात्र 6 महीने की मासूम बेटी को महज 2000 रुपये में बेचने की कोशिश की। लेकिन सतर्क चाइल्ड हेल्पलाइन टीम ने समय रहते हस्तक्षेप किया और नन्ही बच्ची को उसके मां के चंगुल से बचा लिया। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि बाल सुरक्षा के मुद्दे पर फिर से बहस छेड़ दी है।
घटना का पूरा विवरण; यह दर्दनाक घटना महाराव भीम सिंह चिकित्सा परिसर (एमबीएस अस्पताल) के परिसर में घटी। चाइल्ड हेल्पलाइन कोटा की टीम को एक विश्वसनीय सूचना मिली कि एक महिला अपनी गोद में 6 महीने की बच्ची लिए अस्पताल के आसपास घूम रही है। वह आसपास के लोगों से बातचीत में अपनी बेटी को गोद देने या बेचने की बात कर रही थी। महिला ने खुलेआम कहा था कि वह अपनी बच्ची को मात्र 2000 रुपये में किसी को सौंपना चाहती है। यह बात सुनते ही चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम हरकत में आ गई।टीम में शामिल श्रुति शर्मा, जयवीर सिंह और प्रतीक्षा फाउंडेशन की प्रतिनिधि प्रतीक्षा पारीक ने तुरंत अस्पताल पहुंचकर महिला को घेर लिया। प्रारंभिक पूछताछ में महिला ने अपना नाम और पूरा पता नहीं बताया, लेकिन धीरे-धीरे उसकी कहानी सामने आने लगी। वह मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुकी हुई लग रही थी। आंसू भरी आंखों से उसने बताया कि वह अपने पति को तलाक के बाद खोजने के लिए कोटा शहर पहुंची है। पति का कोई सुराग न मिलने पर वह हताश हो चुकी थी और बच्ची की देखभाल का बोझ उसके ऊपर भारी पड़ रहा था। "मैं अपनी बेटी को भूखा-प्यासा नहीं मरने देना चाहती, इसलिए किसी अच्छे घर में सौंपना चाहती हूं," महिला ने कथित तौर पर कहा।चाइल्ड हेल्पलाइन टीम ने महिला को समझाया और बच्ची को उसके हाथों से सुरक्षित रूप से ले लिया। टीम ने तत्काल एमबीएस अस्पताल के चिकित्सा परिषद को सूचित किया। डॉक्टरों ने बच्ची की प्रारंभिक जांच की, जिसमें वह स्वस्थ पाई गई। लेकिन महिला की मानसिक स्थिति चिंताजनक थी, इसलिए दोनों को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया।
बाल कल्याण समिति का हस्तक्षेप; बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने महिला से विस्तृत बातचीत की और उसके पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। जांच में पता चला कि महिला मूल रूप से राजस्थान के किसी ग्रामीण इलाके की निवासी है। वह अपने पति के साथ रहती थी, लेकिन पारिवारिक कलह के कारण तलाक हो गया। पति के लापता होने के बाद वह अकेली बच्ची को लेकर भटक रही थी। आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव ने उसे ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।राजेंद्र सिंह ने बताया, "यह घटना बाल व्यापार की संभावना को दर्शाती है, लेकिन प्रारंभिक जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला। महिला की स्थिति दयनीय है। हमने बच्ची की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है।" समिति ने तुरंत निर्णय लिया कि बच्ची और महिला दोनों को अस्थायी रूप से आश्रम में रखा जाए। कोटा के एक सरकारी संरक्षित आश्रम में उन्हें भेज दिया गया, जहां बच्ची को उचित चिकित्सा सुविधा और पोषण मिलेगा। महिला को काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान की जा रही है।
प्रतीक्षा फाउंडेशन की भूमिका; इस ऑपरेशन में प्रतीक्षा फाउंडेशन की प्रतीक्षा पारीक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फाउंडेशन बाल सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण पर काम करने वाली एक गैर-सरकारी संस्था है। पारीक ने बताया कि उन्हें स्थानीय सूत्रों से टिप मिली थी, जिसके आधार पर टीम ने त्वरित कार्रवाई की। "ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं, लेकिन हमारी टीम 24x7 अलर्ट पर रहती है। चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कोई भी ऐसी सूचना तुरंत साझा की जा सकती है," उन्होंने अपील की।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना; कोटा जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने चाइल्ड हेल्पलाइन टीम को बधाई दी और कहा कि बाल सुरक्षा के लिए और सख्त निगरानी की जाएगी। पुलिस को भी सूचित किया गया है, जो पति की तलाश में जुटी हुई है। यदि पति का कोई सुराग मिला, तो परिवार को एकजुट करने की कोशिश की जाएगी। अन्यथा, बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।