ट्रम्प का यू-टर्न: भारत-पाक सीजफायर पर मध्यस्थता के दावे से पलटे, बोले- "सिर्फ मदद की, कराया नहीं"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई 2025 को हुए सीजफायर को लेकर अपने दावे से पलट लिया। पहले उन्होंने कहा था कि उनकी मध्यस्थता से युद्धविराम हुआ, लेकिन अब दावा किया कि उन्होंने सिर्फ "मदद" की। भारत ने शुरू से ही ट्रम्प की मध्यस्थता के दावे को खारिज करते हुए इसे द्विपक्षीय बातचीत का नतीजा बताया। सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान की ओर से ड्रोन हमलों की कोशिशें हुईं, जिसे भारत ने नाकाम किया। ट्रम्प की कश्मीर मध्यस्थता की पेशकश को भारत ने ठुकरा दिया, जबकि पाकिस्तान ने स्वागत किया। यह यू-टर्न ट्रम्प की कूटनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।

नई दिल्ली, 15 मई 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई 2025 को हुए सीजफायर को लेकर अपने बयान में बड़ा यू-टर्न लिया है। पहले उन्होंने दावा किया था कि उनकी मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच युद्धविराम संभव हुआ, लेकिन अब ट्रम्प ने कहा है कि उन्होंने सीजफायर नहीं कराया, बल्कि केवल "मदद" की थी। इस बयान ने दक्षिण एशिया की कूटनीति और ट्रम्प की राजनयिक रणनीति पर नई बहस छेड़ दी है।
10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा से पहले ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर दावा किया था कि अमेरिका की मध्यस्थता में रातभर चली बातचीत के बाद दोनों देश तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए। उन्होंने इसे "ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय" करार देते हुए कहा था कि उनकी सरकार ने दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच संभावित युद्ध को टालकर लाखों लोगों की जान बचाई। ट्रम्प ने यह भी कहा था कि उन्होंने व्यापार को हथियार बनाकर दोनों देशों को सीजफायर के लिए राजी किया। उनके इस बयान ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं, लेकिन भारत ने तुरंत इस दावे का खंडन किया।
भारत का स्पष्ट रुख: कोई मध्यस्थता नहीं
भारत ने ट्रम्प के दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सीजफायर द्विपक्षीय बातचीत का नतीजा था, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 13 मई को प्रेस ब्रीफिंग में स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी 10 मई को बताया था कि दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के बीच दोपहर 3:35 बजे हुई बातचीत के बाद शाम 5 बजे से सीजफायर लागू हुआ। भारत ने जोर देकर कहा कि यह फैसला उसकी शर्तों पर लिया गया।"
15 मई 2025 को ट्रम्प ने अपने पिछले बयानों से पलटते हुए कहा, "मैं यह नहीं कह रहा कि मैंने मध्यस्थता की, लेकिन मैंने पिछले सप्ताह भारत और पाकिस्तान के बीच समस्या को सुलझाने में निश्चित रूप से मदद की।" यह बयान उनके उस दावे से पूरी तरह उलट है, जिसमें उन्होंने सीजफायर को अपनी कूटनीतिक जीत बताया था। ट्रम्प ने यह भी कहा कि वह यह नहीं कह रहे कि उन्होंने सीजफायर "कराया", बल्कि उनकी भूमिका सहायक थी। इस यू-टर्न ने उनके शुरुआती बयानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। जवाब में पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन बुनयान-उल-मरसूस' के तहत मिसाइल और ड्रोन हमले किए। चार दिनों तक चली इस सैन्य टकराव के बाद 10 मई को सीजफायर की घोषणा हुई।
ट्रम्प ने सीजफायर के बाद कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने "हजार साल पुराना विवाद" बताया। उन्होंने कहा कि वह दोनों देशों के साथ मिलकर इसका दीर्घकालिक समाधान तलाशेंगे। हालांकि, भारत ने कश्मीर को अपना आंतरिक मामला बताते हुए किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को साफ तौर पर खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने ट्रम्प की इस पेशकश का स्वागत किया, लेकिन भारत के कड़े रुख के चलते इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई।
सीजफायर का उल्लंघन और चुनौतियां
सीजफायर के बावजूद, पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों में जम्मू-कश्मीर में ड्रोन हमलों की कोशिश की, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया। इसके चलते पंजाब, गुजरात और राजस्थान में फिर से ब्लैकआउट लागू करना पड़ा। भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि वह स्थिति की गंभीरता को समझे। इन घटनाओं ने सीजफायर की नाजुकता को उजागर किया।