"ट्रंप का 'मैंगो स्ट्राइक': अमेरिका ने क्यों ठुकराए भारत के आम, 4 करोड़ का नुकसान!"

अमेरिका ने भारत से भेजे गए 15 आमों के शिपमेंट को दस्तावेजी गड़बड़ियों (PPQ203 फॉर्म में त्रुटियों) का हवाला देकर वापस लौटा दिया। इससे भारतीय निर्यातकों को लगभग 5 लाख डॉलर (4.2 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ,। यह घटना भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव का कारण बनी है, हालांकि 2023-24 में भारत से अमेरिका को आमों का निर्यात 130% बढ़ा है।

May 26, 2025 - 17:40
"ट्रंप का 'मैंगो स्ट्राइक': अमेरिका ने क्यों ठुकराए भारत के आम, 4 करोड़ का नुकसान!"

अमेरिका ने हाल ही में भारत से भेजे गए 15 आम के जहाजों को वापस लौटा दिया, जिससे भारतीय निर्यातकों को करीब 5 लाख डॉलर (लगभग 4.2 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ। इस घटना ने भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में एक नया तनाव पैदा कर दिया है। 

क्या थी वजह?

अमेरिकी अधिकारियों ने इन 15 शिपमेंट्स को लौटाने का कारण दस्तावेजों में गड़बड़ी और विकिरण प्रक्रिया (Irradiation Process) में कमी बताया। यह प्रक्रिया फलों में कीटों को मारने और उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए जरूरी होती है। यह प्रक्रिया नवी मुंबई के एक अधिकृत केंद्र में अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के अधिकारियों की निगरानी में की जाती है। अमेरिकी सीमा शुल्क अधिकारियों ने दावा किया कि इन शिपमेंट्स के साथ जरूरी दस्तावेज (PPQ203 फॉर्म) में त्रुटियां थीं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि आमों पर उचित विकिरण प्रक्रिया हुई है।

हालांकि, भारतीय निर्यातकों का कहना है कि विकिरण प्रक्रिया सही ढंग से की गई थी और बिना PPQ203 दस्तावेज के माल को हवाई अड्डे पर लोड ही नहीं किया जा सकता था। इसके बावजूद, अमेरिकी अधिकारियों ने लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा हवाई अड्डों पर इन खेपों को रोक दिया।

क्या है विकिरण प्रक्रिया का विवाद?

भारत और अमेरिका के बीच 'कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण' (APEDA) और USDA के बीच एक सहकारी सेवा समझौता है, जिसके तहत आमों का निर्यात होता है। इस समझौते के अनुसार, आमों को कीट-मुक्त करने के लिए विकिरण प्रक्रिया अनिवार्य है। 8 और 9 मई को मुंबई के विकिरण केंद्र में डेटा रिकॉर्डिंग में तकनीकी गड़बड़ी हुई, जिसे अमेरिकी अधिकारियों ने आधार बनाकर इन शिपमेंट्स को खारिज कर दिया।

हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने दावा किया कि 10 मई से यह गड़बड़ी ठीक कर ली गई थी और निर्यात प्रक्रिया सामान्य रूप से चल रही थी। फिर भी, इन 15 खेपों को लौटाने का फैसला लिया गया, जिससे निर्यातकों को भारी नुकसान हुआ। खेपों को वापस भारत लाना महंगा पड़ता और आम खराब होने का खतरा था, इसलिए निर्यातकों ने इन्हें समुद्र में फेंकने का फैसला किया।

ट्रंप की नीतियों का असर?

कई मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में इस घटना को डोनाल्ड ट्रंप की भारत विरोधी नीतियों से जोड़ा गया है। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में भारत के साथ व्यापारिक और आव्रजन नीतियों में सख्ती बरती है। उदाहरण के लिए:

  • टैरिफ वॉर: ट्रंप ने भारत सहित कई देशों पर उच्च आयात शुल्क लगाने की घोषणा की, क्योंकि उनका मानना है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाता है।

  • अवैध प्रवासियों की वापसी: ट्रंप प्रशासन ने 205 से अधिक भारतीय अवैध प्रवासियों को सैन्य विमानों से वापस भारत भेजा, जिसे भारत के लिए अपमानजनक बताया गया।

  • अन्य व्यापारिक कदम: ट्रंप ने टेस्ला और एप्पल जैसी कंपनियों को भारत में विनिर्माण न करने की सलाह दी, जिसे भारत के निवेश पर हमले के रूप में देखा गया।

कुछ एक्स पोस्ट्स में इस घटना को "मैंगो स्ट्राइक" के रूप में प्रचारित किया गया, जिसमें दावा किया गया कि ट्रंप की नीतियां भारत के खिलाफ हैं। एक पोस्ट में यह भी सवाल उठाया गया कि क्या ट्रंप पाकिस्तानी आमों को प्राथमिकता दे रहे हैं। हालांकि, कोई ठोस सबूत नहीं है कि यह निर्णय ट्रंप की व्यक्तिगत नीति का हिस्सा था। यह अधिकतर नियामक अनुपालन की समस्या प्रतीत होती है।

आर्थिक और राजनैतिक प्रभाव

  • आर्थिक नुकसान: इन 15 खेपों की कीमत 4 करोड़ रुपये से अधिक थी। निर्यातकों को न केवल माल का नुकसान हुआ, बल्कि शिपिंग और अन्य खर्चों का बोझ भी उठाना पड़ा।
  • राजनैतिक तनाव: यह घटना ऐसे समय में हुई जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ताएं चल रही हैं। भारत ने कुछ उत्पादों पर टैरिफ में छूट की मांग की है, जबकि अमेरिका अपने औद्योगिक और डेयरी उत्पादों के लिए राहत चाहता है।
  • सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं: एक्स पर कई यूजर्स ने इसे ट्रंप की भारत विरोधी नीति का हिस्सा बताया और इसे "मोदी सरकार के लिए तमाचा" करार दिया। दूसरी ओर, कुछ ने इसे तकनीकी गड़बड़ी का मामला बताया, न कि नीतिगत फैसला।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बाधा है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है, और 2023-24 में अमेरिका को आम के निर्यात में 130% की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस तरह की घटनाएं निर्यात प्रक्रिया में और सख्ती ला सकती हैं, जिससे भविष्य में निर्यातकों को अधिक सावधानी बरतनी होगी।

अमेरिका द्वारा भारत के आमों की 15 खेपों को लौटाने का कारण आधिकारिक तौर पर दस्तावेजी त्रुटियां और विकिरण प्रक्रिया में कमी बताया गया है। हालांकि, इसे ट्रंप की व्यापारिक नीतियों और भारत के खिलाफ सख्त रुख से जोड़कर देखा जा रहा है। यह घटना न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बनी, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया सवाल भी खड़ा कर गई। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए भारत को अपनी निर्यात प्रक्रियाओं को और मजबूत करना होगा।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ