महिला सांसद ने भरी संसद में दिखाया अपना न्यूड फोटो, पूरा सदन स्तब्ध, बोली- ये डिपफेक है इस पर सख्त कानून बने

न्यूज़ीलैंड की सांसद लॉरा मैक्लर ने संसद में AI डीपफेक तकनीक से बनी अपनी फर्जी न्यूड तस्वीर दिखाकर डीपफेक के खतरों को उजागर किया। उन्होंने डीपफेक के दुरुपयोग, खासकर युवा लड़कियों पर इसके प्रभाव, और इसे रोकने के लिए कठोर कानून की आवश्यकता पर जोर दिया। यह घटना डिजिटल युग में निजता और नैतिकता की रक्षा के लिए एक चेतावनी है।

Jun 4, 2025 - 22:44
महिला सांसद ने भरी संसद में दिखाया अपना न्यूड फोटो, पूरा सदन स्तब्ध, बोली- ये डिपफेक है इस पर सख्त कानून बने
X पर वायरल फोटो जो सांसद ने सदन में दिखाया

न्यूज़ीलैंड की संसद में उस समय सन्नाटा छा गया, जब सांसद लॉरा मैक्लर ने एक तस्वीर दिखाते हुए कहा, "यह मेरी न्यूड फोटो है।" यह सुनते ही सभी सांसद स्तब्ध रह गए। लेकिन अगले ही पल, लॉरा ने खुलासा किया कि यह तस्वीर वास्तविक नहीं, बल्कि AI जनरेटेड डीपफेक तकनीक से महज पांच मिनट में बनाई गई थी। इस चौंकाने वाले प्रदर्शन का मकसद था संसद और समाज का ध्यान डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग की गंभीरता की ओर खींचना। 

लॉरा मैक्लर ने संसद में अपने भाषण के दौरान कहा, "आज के डिजिटल युग में, किसी का भी डीपफेक फोटो या वीडियो बनाना इतना आसान हो गया है कि यह चंद मिनटों का काम है। लेकिन इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।" उन्होंने बताया कि डीपफेक तकनीक का शिकार ज्यादातर युवा लड़कियां हो रही हैं, जिनकी निजता और गरिमा को गहरी ठेस पहुंच रही है। यह तकनीक न केवल व्यक्तिगत जीवन को नष्ट कर रही है, बल्कि सामाजिक विश्वास को भी कमजोर कर रही है।

डीपफेक: एक बढ़ता खतरा

डीपफेक तकनीक, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके किसी व्यक्ति की छवि या वीडियो को हेरफेर करती है, अब एक वैश्विक चिंता का विषय बन चुकी है। यह तकनीक किसी की तस्वीर या वीडियो को इतनी कुशलता से बदल सकती है कि उसे असली समझना मुश्किल हो जाता है। न्यूज़ीलैंड में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं, जहां युवा लड़कियों को बदनाम करने, ब्लैकमेल करने या उनकी छवि खराब करने के लिए डीपफेक का दुरुपयोग किया जा रहा है।

लॉरा ने अपने भाषण में कई दिल दहलाने वाले उदाहरण साझा किए। एक मामले में, एक 17 साल की स्कूली छात्रा का डीपफेक वीडियो ऑनलाइन वायरल हो गया, जिसके बाद उसे मानसिक तनाव और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा। एक अन्य मामले में, एक युवा महिला को ब्लैकमेल करने के लिए उसके डीपफेक न्यूड वीडियो का इस्तेमाल किया गया। ये घटनाएं न केवल पीड़ितों के लिए दर्दनाक हैं, बल्कि समाज में डर और अविश्वास का माहौल भी पैदा कर रही हैं।

नया कानून: डीपफेक के खिलाफ सख्ती

लॉरा मैक्लर उस नए विधेयक का समर्थन कर रही हैं, जो डीपफेक सामग्री बनाने और साझा करने वालों के लिए कठोर सजा का प्रावधान करता है। इस बिल में डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसमें सात साल तक की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है। लॉरा ने कहा, "हमें इस तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। यह न केवल व्यक्तिगत निजता का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे समाज की नींव को हिला रहा है।"

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि डीपफेक का दुरुपयोग केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी खतरनाक हो सकता है। फर्जी वीडियो के जरिए नेताओं की छवि खराब करना, जनता को गुमराह करना या सामाजिक तनाव पैदा करना अब असंभव नहीं रहा।

समाज के लिए एक चेतावनी

लॉरा मैक्लर का यह कदम न केवल न्यूज़ीलैंड, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग एक ऐसी चुनौती है, जिसके लिए न केवल कानूनी उपाय, बल्कि सामाजिक जागरूकता और तकनीकी समाधान भी जरूरी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डीपफेक को पहचानने वाली तकनीकों को विकसित करने और आम लोगों को डिजिटल साक्षरता के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।

लॉरा ने अपने भाषण के अंत में कहा, "आज मैंने अपनी तस्वीर का डीपफेक बनाकर दिखाया, ताकि आप समझ सकें कि यह कितना आसान और कितना खतरनाक है। अगर मेरे जैसे एक सांसद की तस्वीर इतनी आसानी से बदली जा सकती है, तो सोचिए कि आम लोगों, खासकर युवा लड़कियों के साथ क्या हो सकता है। हमें मिलकर इस खतरे का सामना करना होगा।"

एक संदेश

लॉरा मैक्लर का यह कदम न केवल न्यूज़ीलैंड की संसद में एक ऐतिहासिक क्षण था, बल्कि यह डिजिटल युग में निजता और नैतिकता की रक्षा के लिए एक जोरदार संदेश भी है। डीपफेक तकनीक का दुरुपयोग एक ऐसी आग है, जो अगर समय रहते नहीं बुझाई गई, तो यह समाज को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। यह समय है कि हम इस खतरे को गंभीरता से लें, कानून बनाएं, और तकनीक का उपयोग जिम्मेदारी से करें।

न्यूज़ीलैंड की संसद में लॉरा मैक्लर का यह कदम एक साहसी पहल है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वाकई उस डिजिटल दुनिया के लिए तैयार हैं, जहां सच और झूठ के बीच का फर्क मिटता जा रहा 

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ