गाजा में झकझोर देने वाली घटना खाने बांटने के दौरान मची भगदड़
भूख क्या होती हैं यह गाजा के लोग जानते हैं, भूख की भगदड़ क्या होती हैं यह गाजा के लोग जानते हैं। भूख से कैसी तड़प होती हैं यह गाजा के मासूम बच्चे जानते हैं बीमार लोग जानते हैं। युद्ध की आग में झुलस रहे गाजा में एक और हृदयविदारक घटना ने मानवता को झकझोर दिया है। खाद्य सामग्री वितरण के दौरान हुई भगदड़ में तीन लोगों की जान चली गई, जबकि 46 से अधिक लोग घायल हो गए।
भूख क्या होती हैं यह गाजा के लोग जानते हैं, भूख की भगदड़ क्या होती हैं यह गाजा के लोग जानते हैं। भूख से कैसी तड़प होती हैं यह गाजा के मासूम बच्चे जानते हैं बीमार लोग जानते हैं। युद्ध की आग में झुलस रहे गाजा में एक और हृदयविदारक घटना ने मानवता को झकझोर दिया है। खाद्य सामग्री वितरण के दौरान हुई भगदड़ में तीन लोगों की जान चली गई, जबकि 46 से अधिक लोग घायल हो गए। इसराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष ने गाजा को भुखमरी के कगार पर ला खड़ा किया है, और यह त्रासदी उस पीड़ा की एक और दर्दनाक तस्वीर पेश करती है, जिससे यहाँ की जनता गुजर रही है।सुबह के उजाले में, जब भूख से बेहाल लोग खाने की एक उम्मीद लेकर वितरण केंद्र की ओर दौड़े, तो अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई। भूख और बेबसी की इस दौड़ में लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े। चीखें, आंसुओं और अफरा-तफरी के बीच तीन परिवारों ने अपने प्रियजनों को हमेशा के लिए खो दिया। घायलों में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया, लेकिन वहाँ भी दवाइयों और संसाधनों की कमी ने उनकी तकलीफ को और बढ़ा दिया।
गाजा में युद्ध ने न सिर्फ घरों को तबाह किया है, बल्कि लोगों के जीवन को भी भुखमरी और निराशा के अंधेरे में धकेल दिया है। एक स्थानीय निवासी, 40 वर्षीय फातिमा, ने रोते हुए कहा, "हम सिर्फ एक रोटी के लिए तरस रहे हैं। मेरे बच्चे भूख से बिलख रहे हैं, लेकिन यहाँ हर दिन जिंदगी और मौत का जंग है।"
संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों ने गाजा में तत्काल सहायता की अपील की है, लेकिन युद्ध और अवरुद्ध रास्तों ने राहत कार्यों को मुश्किल बना दिया है। भगदड़ की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि उस मानवीय संकट की चीख है, जो गाजा के हर कोने में गूंज रही है।जब तक युद्ध की यह आग ठंडी नहीं होती, गाजा की धरती पर भूख और दर्द की ऐसी कहानियाँ लिखी जाती रहेंगी। सवाल यह है कि आखिर कब तक मासूम जिंदगियां इस तरह भूख और हिंसा की बलि चढ़ती रहेंगी?