"खाटूश्यामजी की राह में बिखरा मातम:जयपुर हाईवे पर दर्दनाक हादसे ने निगली तीन जिंदगियां"
जयपुर के मनोहरपुर-दौसा नेशनल हाईवे (NH-148) पर गठवाड़ी मोड़ के पास रविवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसे में तेज रफ्तार ट्रोले ने श्रद्धालुओं की कार को कुचल दिया। इस हादसे में तीन लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। यह घटना हाईवे पर सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है।

जयपुर, 27 मई 2025: राजधानी जयपुर से सटे मनोहरपुर-दौसा नेशनल हाईवे (NH-148) एक बार फिर खून से लथपथ हो गया। रविवार की सुबह गठवाड़ी मोड़ के पास हुए एक दिल दहला देने वाले सड़क हादसे रिवारों की खुशियों को पलभर में मातम में बदल दिया। खाटूश्यामजी के दर्शन के लिए निकले श्रद्धालुओं की कार एक तेज रफ्तार ट्रोले की चपेट में आ गई, जिसमें तीन लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि दो अन्य जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि हाईवे पर सुरक्षा के खोखले दावों की पोल भी खोलता है।
सुबह का उजाला अभी पूरी तरह फैला भी नहीं था कि गठवाड़ी मोड़ पर मौत ने अपना क्रूर खेल खेला। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खाटूश्यामजी की ओर जा रही एक स्विफ्ट कार तेज रफ्तार में थी। ओवरटेक करने की कोशिश में कार सामने से आ रहे ट्रोले से जा टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। कार में सवार लोग सीटों से चिपक गए, और क्षत-विक्षत शवों ने मौके पर मौजूद लोगों की रूह कंपा दी। एक ग्रामीण ने बताया, “ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा। किसी का भाई, किसी का बेटा... सब कुछ पल में खत्म हो गया।”ग्रामीण बने पहले रक्षक, पुलिस की देरी पर गुस्सा
हादसे के बाद घटनास्थल पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। स्थानीय लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर कार में फंसे शवों और घायलों को बाहर निकाला। कुछ ने एंबुलेंस बुलाई, तो कुछ घायलों को संभालते रहे। लेकिन पुलिस और हाईवे चेतक की टीम करीब आधे घंटे बाद मौके पर पहुंची, जिससे गुस्साए ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया। एक स्थानीय निवासी ने गुस्से में कहा, “हर बार हादसा होता है, लेकिन न पुलिस समय पर पहुंचती है, न ही सड़कों पर सुरक्षा के इंतजाम हैं। आखिर कब तक लोग यूं मरते रहेंगे?”
मृतकों और घायलों की पहचान
हादसे में मारे गए तीनों लोग उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के रहने वाले थे। मृतकों की पहचान राहुल (36), उनके छोटे भाई पारुल (32), और उनकी मां ललिता देवी के रूप में हुई है। राहुल की पत्नी विद्या देवी (29), उनका चार साल का बेटा सात्विक, और एक अन्य स्वजन रणजीत गंभीर रूप से घायल हैं। घायलों को ग्रामीणों की मदद से निम्स अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। परिवार खाटूश्यामजी के दर्शन के लिए निकला था, लेकिन उनकी यह आध्यात्मिक यात्रा अधूरी रह गई।
पुलिस जांच और हादसे की वजह
रायसर थाना प्रभारी रघुवीर सिंह राठौड़ ने बताया कि हादसे की प्रारंभिक जांच में तेज रफ्तार और ओवरटेक के दौरान नियंत्रण खोना सामने आया है। कुछ सूत्रों के अनुसार, ट्रक का टायर फटने से वह अनियंत्रित होकर कार से टकरा गया। पुलिस ने ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है, जो हादसे के बाद फरार हो गया। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है, और जांच जारी है।
हाईवे पर बार-बार क्यों टूटती हैं सांसें?
मनोहरपुर-दौसा हाईवे पर यह कोई पहला हादसा नहीं है। पिछले कुछ महीनों में NH-148 पर कई दर्दनाक हादसों ने दर्जनों जिंदगियां छीन ली हैं। अप्रैल 2025 में इसी हाईवे पर नेकावाला टोल प्लाजा के पास एक परिवार के पांच लोगों की मौत हुई थी। मार्च 2025 में कोटपूतली के पास एक अन्य हादसे में तीन श्रद्धालुओं की जान गई थी। इन हादसों का कारण अक्सर तेज रफ्तार, ओवरटेकिंग, और भारी वाहनों पर नियंत्रण की कमी बताया जाता है। फिर भी, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और सड़क सुरक्षा के अपर्याप्त इंतजाम इस हाईवे को मौत की सड़क बनाए हुए हैं।
सवाल जो बिना जवाब के गूंज रहे हैं
- भारी वाहनों की बेलगाम रफ्तार पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही?
- हाईवे पर नियमित गश्त और चेकिंग की व्यवस्था कब होगी?
- क्या खाटूश्यामजी जैसे धार्मिक स्थानों की ओर जाने वाली सड़कों को सुरक्षित नहीं किया जा सकता?
- हर हादसे के बाद जांच का ढोंग क्यों, और ठोस कदम कब?
मातम में डूबा परिवार, बचीं सिर्फ यादें
जो परिवार सुबह भक्ति और उम्मीदों के साथ खाटूश्यामजी की ओर निकला था, वह शाम तक मातम में डूब गया। राहुल और पारुल दोनों भाई बिजनेस करते थे और अपने परिवार का सहारा थे। उनकी मां ललिता देवी की ममता और आशीर्वाद उनके बच्चों का आधार थे। लेकिन अब उनके घर में सिर्फ सन्नाटा और अधूरी मन्नतें बची हैं। एक परिजन ने रोते हुए कहा, “हम बाबा के दरबार जाने की खुशी मना रहे थे, लेकिन बाबा ने हमें पहले ही बुला लिया।”
एक अपील: सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दें
यह हादसा सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। जब तक हाईवे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम नहीं होंगे, जब तक ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन नहीं होगा, तब तक ऐसी त्रासदियां रुकने वाली नहीं हैं। खाटूश्यामजी की राह पर निकले श्रद्धालु अपने बाबा के दर्शन को तरस गए, और उनके परिवार अब उनकी यादों के सहारे जी रहे हैं। क्या हमारी व्यवस्था इतनी संवेदनहीन है कि यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?