संसद में रवि किशन का समोसे वाला बयान, क्यों हो रहा है वायरल?
रवि किशन ने लोकसभा में ढाबों-होटलों में खाद्य पदार्थों की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा के मानकीकरण के लिए कानून की मांग की।

गोरखपुर के भाजपा सांसद और भोजपुरी सिनेमा के मशहूर अभिनेता रवि किशन का एक बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। लोकसभा में शून्य काल के दौरान रवि किशन ने देश भर में ढाबों और होटलों में मिलने वाले खाद्य पदार्थों की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा के मानकीकरण का मुद्दा उठाया। उनके इस बयान का एक हिस्सा, जिसमें उन्होंने समोसे की अलग-अलग कीमतों का उदाहरण दिया, लोगों का ध्यान खींच रहा है।
समोसे का उदाहरण देकर उठाया सवाल
रवि किशन ने अपने बयान में कहा, "समोसा कहीं बड़ा मिलता है, कहीं छोटा मिलता है। इतना बड़ा बाजार है, करोड़ों ग्राहक हैं। पिछले 11 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई युगांतकारी परिवर्तन किए, लेकिन यह क्षेत्र अभी तक अछूता है।" उन्होंने छोटे ढाबों से लेकर फाइव-स्टार होटलों तक खाद्य पदार्थों की कीमत और गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए एक कानून बनाने की मांग की। उनका कहना था कि इससे देशवासियों को उचित मूल्य पर सही मात्रा में गुणवत्तायुक्त भोजन मिल सकेगा।
खाद्य पदार्थों की मात्रा का मानकीकरण जरूरी
सांसद ने अपने भाषण में बताया कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा आबादी वाला देश है, जहां छोटे कस्बों से लेकर महानगरों तक लाखों ढाबे और होटल हैं। इनमें हर दिन करोड़ों लोग खाना खाते हैं। लेकिन, इन ढाबों और होटलों में खाद्य पदार्थों की मात्रा का कोई मानकीकरण नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक छोटे ढाबे में तड़का दाल की कीमत 100 से 120 रुपये हो सकती है, जबकि किसी अच्छे ढाबे में यही दाल 250 से 400 रुपये और फाइव-स्टार होटल में 1,000 से 1,200 रुपये तक हो सकती है।
उन्होंने कहा, "ग्राहकों को मेनू कार्ड के जरिए कीमत तो बता दी जाती है, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि एक प्लेट दाल, सब्जी या चावल में कितनी मात्रा होगी। इस वजह से ग्राहकों को अंदाजा नहीं होता कि कितना ऑर्डर करना चाहिए। कई बार ज्यादा खाना ऑर्डर हो जाता है, जिससे खाने की बर्बादी होती है, और कई बार कम मात्रा होने से ग्राहक असंतुष्ट रहते हैं।"
मेनू कार्ड में मात्रा और तेल की जानकारी अनिवार्य हो
रवि किशन ने सुझाव दिया कि मेनू कार्ड में खाद्य पदार्थों की मात्रा का विवरण देना अनिवार्य किया जाए। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, "कई बार होटल में छोटी सी बाल्टी में दाल सर्व की जाती है। देखने में लगता है कि उसमें आधा लीटर दाल होगी, लेकिन बाल्टी की बनावट ऐसी होती है कि उसमें सिर्फ 250 मिलीलीटर दाल ही निकलती है।"
उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह बिस्किट, ब्रेड या दूध के पैकेट पर उसकी मात्रा लिखी होती है, उसी तरह ढाबों और होटलों में परोसे जाने वाले खाद्य पदार्थों की मात्रा भी स्पष्ट रूप से लिखी जानी चाहिए। इसके अलावा, खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेल, जैसे सरसों का तेल, रिफाइंड तेल, मूंगफली का तेल या देसी घी की जानकारी भी मेनू कार्ड में देना ग्राहकों के हित में होगा।
लोगों ने की सराहना, सोशल मीडिया पर चर्चा
रवि किशन के इस बयान को सोशल मीडिया पर खूब सराहना मिल रही है। लोग इसे आम आदमी से जुड़ा एक व्यावहारिक मुद्दा मान रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि खाद्य पदार्थों की मात्रा और गुणवत्ता का मानकीकरण होने से न केवल ग्राहकों को फायदा होगा, बल्कि खाने की बर्बादी भी कम होगी। कुछ लोगों ने उनके समोसे वाले उदाहरण को मजेदार बताते हुए इसे एक गंभीर मुद्दे को सरल तरीके से पेश करने का बेहतरीन तरीका बताया।
रवि किशन ने अपने भाषण में लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से सरकार से अपील की कि खाद्य पदार्थों की कीमत, गुणवत्ता और मात्रा को नियंत्रित करने के लिए एक कानून बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल ग्राहकों के हित में होगा, बल्कि देश के खाद्य सेवा क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाएगा।