राजस्थान में स्वास्थ्य विभाग की हकीकत: सरकारी दवाइयां जलतीं, मरीज लुटते, और सिस्टम चुप
राजस्थान के खलीफे की बावड़ी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में लाखों रुपये की दवाइयों को जलाने का मामला सामने आया है। ये दवाइयां न तो एक्सपायरी थीं और न ही अनुपयोगी। कर्मचारी कथित तौर पर कागजों में दवाइयां बांटने के झूठे दावे कर रहे हैं

बाड़मेर, 5 जून 2025: राजस्थान सरकार और स्वास्थ्य विभाग जहां एक ओर राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण और नवीनीकरण के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली और भ्रष्टाचार की तस्वीरें सामने आ रही हैं। ताजा मामला ग्राम पंचायत खलीफे की बावड़ी के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया है, जहां लाखों रुपये की सरकारी दवाइयों को आग के हवाले किया जा रहा है और कर्मचारी कथित तौर पर निजी धंधों के जरिए मरीजों को लूट रहे हैं।
दवाइयां जलाने का चौंकाने वाला मामला
खलीफे की बावड़ी के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में 5 जून 2025 को रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है। वीडियो में दिखाया गया है कि स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी मरीजों के लिए मुफ्त बांटी जाने वाली दवाइयों को आग में जला रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि ये दवाइयां न तो एक्सपायरी डेट की हैं और न ही उपयोग के लिए अनुपयुक्त। बताया जा रहा है कि कागजों पर इन दवाइयों को मरीजों को वितरित दिखाया जाता है, जबकि हकीकत में इन्हें नष्ट किया जा रहा है। यह सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग और जनता के साथ विश्वासघात का गंभीर मामला है।
जल रही दवाइयों से निकलने वाला धुआं आसपास के रहवासी गांवों में फैल रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। स्वास्थ्य केंद्र से महज 100 मीटर की दूरी पर बसे गांव के लोगों ने इस धुएं से होने वाले नुकसान की शिकायत की है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
निजी धंधों की आड़ में मरीजों की लूट
आरोप है कि खलीफे की बावड़ी के स्वास्थ्य केंद्र में तैनात कर्मचारी अपने निजी धंधों को बढ़ावा देने के लिए मरीजों को लूट रहे हैं। मरीजों को मुफ्त मिलने वाली सरकारी दवाइयों के बजाय निजी मेडिकल स्टोरों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह स्थिति न केवल सरकारी योजनाओं की विफलता को दर्शाती है, बल्कि गरीब और जरूरतमंद मरीजों के साथ अन्याय को भी उजागर करती है।
सरकार के दावों और हकीकत का अंतर
राजस्थान सरकार ने हाल के वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान (दवा) योजना और ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटलीकरण शामिल हैं। सरकार का दावा है कि इन योजनाओं से मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और प्रतीक्षा समय कम होगा। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति इन दावों की हकीकत बयां करती है।
भ्रष्टाचार और कार्रवाई का अभाव
खलीफे की बावड़ी के मामले में स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के चलते ऐसे मामले दबा दिए जाते हैं। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पैसा सब पर भारी है। अधिकारी जानते हैं कि क्या हो रहा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है।”