पंत का शतक, भारत की हार: क्या है इस अनचाहे संयोग का राज?
लीड्स टेस्ट में इंग्लैंड ने भारत को 5 विकेट से हराकर सीरीज में 1-0 की बढ़त ली। भारत ने 371 रनों का लक्ष्य रखा, लेकिन बेन डकेट के 149 रनों की बदौलत इंग्लैंड ने इसे हासिल कर लिया।

लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट में इंग्लैंड ने भारत को पांच विकेट से हराकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली। भारत ने इस मैच में 371 रनों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा था, लेकिन बेन डकेट की 149 रनों की शानदार शतकीय पारी और इंग्लैंड की मजबूत बल्लेबाजी ने भारत के गेंदबाजों को बेबस कर दिया। भारत की कमजोर गेंदबाजी और फील्डिंग ने इस हार को और गहरा कर दिया। इस मैच में भारत की ओर से पांच शतक लगे, फिर भी यह टेस्ट इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड बन गया, जहां इतने शतकों के बावजूद कोई टीम हारी।
ऋषभ पंत का 'मनहूस' शतक: विदेश में जीत का सपना अधूरा
भारत के उपकप्तान और विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने इस टेस्ट में दोनों पारियों में शतक (134 और 118) जड़कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। लेकिन उनके इस शानदार प्रदर्शन के बावजूद भारत को हार का सामना करना पड़ा। पंत का विदेशी सरजमीं पर शतक और भारत की जीत का न मिलना अब एक दुर्भाग्यपूर्ण संयोग बन चुका है। आंकड़े बताते हैं कि जब-जब पंत ने विदेश में टेस्ट शतक बनाया, भारत या तो हारा या मैच ड्रॉ रहा।
पंत के विदेशी शतकों का लेखा-जोखा
2018, इंग्लैंड: 118 रन, भारत हारा।
2019, ऑस्ट्रेलिया: नाबाद 159 रन, मैच ड्रॉ।
2022, दक्षिण अफ्रीका: नाबाद 100 रन, भारत हारा।
2022, इंग्लैंड: 146 रन, भारत हारा।
2025, इंग्लैंड: 134 और 118 रन, भारत हारा।
पंत की ये पारियां निस्संदेह शानदार रही हैं, लेकिन इनका जीत में तब्दील न होना भारतीय प्रशंसकों के लिए निराशाजनक है। उनके शतक न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि हैं, बल्कि टीम के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनते हैं, फिर भी नतीजे भारत के पक्ष में नहीं रहे।
भारत का अनचाहा रिकॉर्ड: पांच शतकों के बावजूद हार
इस टेस्ट में भारत ने यशस्वी जायसवाल (101), शुभमन गिल (147), रजत पाटीदार (137), और ऋषभ पंत (134, 118) के शतकों की बदौलत कुल 835 रन बनाए। यह टेस्ट इतिहास में किसी भी हारी हुई टीम का चौथा सबसे बड़ा स्कोर है। इसके अलावा, भारत पहली ऐसी टीम बन गई, जिसने एक ही टेस्ट में पांच शतक लगाने के बावजूद मैच गंवाया। यह आंकड़ा भारतीय क्रिकेट के लिए एक अनोखा, लेकिन दुखद रिकॉर्ड बन गया।
क्या रही हार की वजह?
भारत की हार का सबसे बड़ा कारण उनकी गेंदबाजी और फील्डिंग रही। इंग्लैंड के बल्लेबाजों, खासकर बेन डकेट, ने भारतीय गेंदबाजों पर दबाव बनाए रखा। डकेट की 149 रनों की पारी ने इंग्लैंड को 371 रनों के लक्ष्य को आसानी से हासिल करने में मदद की। भारतीय गेंदबाज न तो विकेट ले पाए और न ही रन गति पर अंकुश लगा सके। इसके अलावा, फील्डिंग में कई मौकों पर चूक ने इंग्लैंड को खेल में बनाए रखा।
आगे की राह: बर्मिंघम में वापसी की चुनौती
एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट अब बर्मिंघम के एजबैस्टन में खेला जाएगा। शुभमन गिल की कप्तानी वाली भारतीय टीम के सामने अब सीरीज में बने रहने के लिए जीत ही एकमात्र विकल्प है। भारत पिछले 9 टेस्ट मैचों में 7 हार झेल चुका है, और यह आंकड़ा टीम के लिए चिंता का विषय है। गिल और उनकी टीम को गेंदबाजी और फील्डिंग में सुधार के साथ-साथ बल्लेबाजी की मजबूती को भुनाना होगा।
पंत का जज्बा: हार में भी चमक
ऋषभ पंत की दोनों पारियां इस टेस्ट की सबसे बड़ी खासियत रहीं। उनकी आक्रामक और नन्हेंपन वाली बल्लेबाजी ने भारतीय पारी को संभाला, लेकिन टीम का साथ न मिलने से उनकी मेहनत पर पानी फिर गया। प्रशंसकों को उम्मीद है कि पंत का यह 'मनहूस' शतक का सिलसिला जल्द टूटेगा और उनकी शानदार पारियां भारत को जीत की राह पर ले जाएंगी।
क्या भारत तोड़ेगा हार का सिलसिला?
लीड्स में मिली हार ने भारतीय टीम के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या भारत अपनी गेंदबाजी और फील्डिंग को दुरुस्त कर पाएगा? क्या पंत का शतक कभी भारत को विदेश में जीत दिला पाएगा? इन सवालों के जवाब बर्मिंघम टेस्ट में मिल सकते हैं। फिलहाल, भारतीय प्रशंसकों की निगाहें अगले मुकाबले पर टिकी हैं, जहां टीम इंडिया वापसी की पूरी कोशिश करेगी।