बालोतरा में तेंदुए का आतंक: एक महीने में दूसरी बार ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत
बालोतरा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में एक महीने में दूसरी बार तेंदुआ घुसने से दहशत फैल गई है। ताजा घटना में कल्याणपुर के रोडवा कला गांव में तेंदुए ने दो-तीन लोगों को घायल किया। इससे पहले पचपदरा रिफाइनरी में तेंदुआ देखा गया था। वन विभाग और पुलिस तेंदुए को पकड़ने में जुटी है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली। ग्रामीण डर के माहौल में लाठियां लेकर तलाश कर रहे हैं। घटना ने वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

बालोतरा जिले के ग्रामीण इलाकों में एक बार फिर तेंदुए ने दस्तक दी है, जिससे पूरे क्षेत्र में डर का माहौल व्याप्त हो गया है। यह दूसरी बार है जब पिछले एक महीने में तेंदुआ ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया है। करीब एक माह पहले पचपदरा में बन रही रिफाइनरी के परिसर में तेंदुआ घुस गया था, और अब ताजा घटना में कल्याणपुर के पास रोडवा कला गांव में तेंदुए ने न केवल दहशत फैलाई बल्कि दो-तीन लोगों को घायल भी कर दिया। इस घटना ने स्थानीय लोगों को सतर्क कर दिया है, और वन विभाग की टीमें तेंदुए को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं।
घटना :
कल रात, रोडवा कला गांव में अचानक तेंदुआ घुस आया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, तेंदुआ रिहायशी इलाके में घुसा और उसने दो-तीन लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। घायलों को तत्काल स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। इस घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग तुरंत हरकत में आए और पुलिस के साथ-साथ वन विभाग को सूचित किया।
सूचना मिलने पर वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंची और तेंदुए की तलाश शुरू की। हालांकि, खबर लिखे जाने तक तेंदुआ पकड़ा नहीं जा सका है और वह अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं आसपास घूम रहा है। स्थानीय लोगों में डर का माहौल है, और सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण गाड़ियों में सवार होकर और हाथों में लाठियां लेकर तेंदुए की तलाश में जुटे हैं, ताकि वह किसी को और नुकसान न पहुंचाए।
एक महीने में दूसरी घटना
यह पहली बार नहीं है जब बालोतरा जिले में तेंदुआ दहशत का कारण बना है। करीब एक महीने पहले पचपदरा में बन रही रिफाइनरी के परिसर में तेंदुआ घुस गया था। उस दौरान तेंदुआ कई दिनों तक आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में देखा गया था, जिससे लोग डर के साए में जी रहे थे। उस समय भी वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वह जंगल की ओर भाग गया था। अब एक बार फिर तेंदुए की मौजूदगी ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है।
ग्रामीणों में आक्रोश और डर
तेंदुए की लगातार मौजूदगी और वन विभाग की ओर से उसे पकड़ने में असफलता ने ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। रोडवा कला और आसपास के गांवों में लोग रात में घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि वे दिन ढलने से पहले ही अपने खेतों का काम खत्म कर गांव लौट आते हैं।
स्थानीय निवासी रामलाल ने कहा, "हमारे गांव में तेंदुआ घुस आया है, और हम डर के मारे रात को सो नहीं पा रहे। वन विभाग को जल्द से जल्द इसे पकड़ना चाहिए, नहीं तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।" ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
वन विभाग का प्रयास
वन विभाग की टीमें तेंदुए को पकड़ने के लिए दिन-रात प्रयास कर रही हैं। ड्रोन और ट्रैप कैमरों की मदद से तेंदुए की लोकेशन का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, पिंजरे लगाकर तेंदुए को फंसाने की योजना भी बनाई गई है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "हमारी टीमें लगातार क्षेत्र में कांबिंग कर रही हैं। तेंदुआ गन्ने के खेतों या जंगल में छिपा हो सकता है। हम ग्रामीणों से अपील करते हैं कि वे सतर्क रहें और अकेले जंगल की ओर न जाएं।"
हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की कार्यशैली में कमी है, क्योंकि एक महीने पहले भी तेंदुआ पकड़ा नहीं जा सका था। कुछ ग्रामीणों ने वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठाए और मांग की कि तेंदुए को पकड़ने के लिए विशेषज्ञों की टीम बुलाई जाए।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि तेंदुए का ग्रामीण क्षेत्रों में घुसना असामान्य नहीं है। जंगलों की कटाई और मानव अतिक्रमण के कारण तेंदुओं का प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहा है, जिसके चलते वे भोजन और आश्रय की तलाश में गांवों की ओर आ रहे हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि वन विभाग तेंदुए को सुरक्षित पकड़कर जंगल में छोड़ना चाहिए, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।
बालोतरा जिले में तेंदुए की दहशत ने ग्रामीणों की जिंदगी को प्रभावित कर दिया है। एक महीने में दूसरी बार हुई इस घटना ने प्रशासन और वन विभाग की तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। वन विभाग को चाहिए कि वह तेंदुए को जल्द से जल्द पकड़े और ग्रामीणों को राहत प्रदान करे। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जंगल और गांवों के बीच एक सुरक्षित दूरी बनाए रखने की रणनीति पर काम करना होगा।