नौकरी के लिए फर्जीवाड़ा: अनुभव और दस्तावेजों में हेराफेरी
अलवर जिला परिषद की ढाई साल पुरानी लिपिक भर्ती में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, जिसमें अभ्यर्थियों ने फर्जी शपथ पत्र, गलत विवाह और संतान जानकारी, और अवैध ऑफ-कैंपस कंप्यूटर प्रमाण पत्र जमा किए। हाल के मामलों में अनुभव ओवरलैप सहित बड़ी धांधली सामने आई, जिससे जांच की मांग उठ रही है।

अलवर जिला परिषद में ढाई साल पहले हुई 134 लिपिकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। हाल ही में सामने आए सात नए मामलों में अभ्यर्थियों द्वारा फर्जी शपथ पत्र, गलत विवाह और संतान संबंधी जानकारी, और अवैध कंप्यूटर प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। कुछ लोगों ने स्वतंत्र रूप से सत्यापन कर इस फर्जीवाड़े की रिपोर्ट सरकार को सौंपी है।
फर्जी शपथ पत्र और गलत सूचनाएं
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केस-1: एक महिला लिपिक ने 2013 में आवेदन करते समय खुद को अविवाहित बताया। नौकरी मिलने पर 2015 में शादी होने का शपथ पत्र दिया, लेकिन संतान संबंधी घोषणा में अपने पहले पुत्र का जन्म 2007 में, यानी शादी से आठ साल पहले, होने का दावा किया। यह लिपिक 2009 से 2015 तक सर्व शिक्षा अभियान में संविदा पर कार्यरत थी और 2010 में एक डीम्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर प्रमाण पत्र भी लिया।
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केस-2: लिपिक सिंह ने शपथ पत्र में दावा किया कि उनकी पहली पुत्री का जन्म 20 मार्च 2007 को और दूसरी का 11 मार्च 2007 को हुआ, यानी 9 दिन में दो संतान। यह असंभव दावा सत्यापन में पकड़ा गया।
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केस-3: एक अन्य महिला लिपिक, जो 2008 से 2013 तक भरतपुर जिला परिषद में संविदा पर थी, ने 2013 में महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, मेघालय से कंप्यूटर डिग्री का दावा किया। सत्यापन में आपत्ति पर नेशनल काउंसिलिंग इंडिया स्किल की डिग्री दी, और अंततः श्रम विभाग फरीदाबाद की तीसरी डिग्री प्रस्तुत कर नौकरी हासिल की।
ऑफ कैंपस कंप्यूटर प्रमाण पत्र में गड़बड़ी
सरकार के अगस्त 2017 के आदेश के अनुसार, ऑफ कैंपस स्टडी सेंटर से प्राप्त कंप्यूटर प्रमाण पत्र मान्य नहीं हैं। इसके बावजूद, कई लिपिकों ने संविदा नौकरी के दौरान ऐसे प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए। इन प्रमाण पत्रों के कारण उनका अनुभव अवधि भी ओवरलैप हुई, जिसे जिला परिषद ने नजरअंदाज किया। पहले भी परिषद ने अनुभव ओवरलैप के आधार पर कई आवेदन खारिज किए थे, लेकिन इन मामलों में अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है।