SMS ट्रॉमा सेंटर में ICU में भयंकर आग: 8 मरीजों की दर्दनाक मौत, धुएं की मार ने छीनी सांसें... 5 अब भी जिंदगी से जूझ रहे!
जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में रविवार देर रात शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने 8 मरीजों की जान ले ली। जहरीले धुएं से दम घुटने के कारण यह हादसा हुआ, जिसमें 24 मरीजों में से 5 की हालत गंभीर है। तीमारदारों और कर्मचारियों ने बेड समेत मरीजों को सड़क पर खींचकर बचाया। वायरल वीडियो ने मचाई सनसनी। सरकार ने जांच और 5 लाख की सहायता राशि का ऐलान किया। फायर सेफ्टी पर सवाल।

जयपुर, 6 अक्टूबर 2025: राजस्थान की राजधानी जयपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मान सिंह (एसएमएस) मेडिकल कॉलेज में रविवार देर रात एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर स्थित आईसीयू वार्ड में अचानक शॉर्ट सर्किट से भड़की आग ने महज कुछ मिनटों में जहरीली धुएं का गुबार पैदा कर दिया, जिससे 8 मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई। हादसे के वक्त वार्ड में 24 गंभीर मरीज भर्ती थे, जिनमें से कई बेहोशी की हालत में थे। बाकी बचे मरीजों को तो कर्मचारियों और तीमारदारों ने जान पर खेलकर बाहर निकाला, लेकिन 5 मरीजों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। यह घटना न सिर्फ मरीजों और उनके परिवारों के लिए सदमे की है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही पर सवाल खड़े कर रही है।
आग कैसे भड़की? शॉर्ट सर्किट ने ली कई जिंदगियां
ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि रात करीब 11:20 बजे न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर रूम में शॉर्ट सर्किट हो गया। यहां कागज, ब्लड सैंपल ट्यूब और अन्य आईसीयू सामग्री रखी हुई थी, जो आग का शिकार बन गई। आग की लपटें तेजी से फैलीं और जहरीली गैसें निकलने लगीं, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो गई। ट्रॉमा सेंटर में दो आईसीयू हैं - एक ट्रॉमा आईसीयू (11 मरीज) और दूसरा सेमी-आईसीयू (13 मरीज)। आग मुख्य रूप से ट्रॉमा आईसीयू को अपनी चपेट में ले लिया, जहां ज्यादातर मरीज वेंटिलेटर पर थे और होश में नहीं थे। डॉ. धाकड़ ने कहा, "हमारी टीम ने ट्रॉलियों पर मरीजों को लादकर बाहर निकाला। सीपीआर से कई को बचाने की कोशिश की, लेकिन 6 मरीजों को तुरंत होश में नहीं लाया जा सका। बाद में एक और मौत हुई।"मृतकों में दो महिलाएं और छह पुरुष शामिल हैं। उनकी पहचान सीकर के पिंटू, आंधी के दिलीप, भरतपुर के श्रीनाथ और रुक्मणि, सांगानेर के बहादुर, भरतपुर की खुशमा, जयपुर के रामलाल और टोंक के विक्रम के रूप में हुई है। ये सभी सड़क हादसों या अन्य गंभीर चोटों के कारण भर्ती थे।
अफरा-तफरी के बीच सड़क पर बेड समेत भागे मरीज, वायरल वीडियो ने बढ़ाई सनसनी
हादसे के तुरंत बाद अस्पताल परिसर में हड़कंप मच गया। आईसीयू के बाहर मौजूद तीमारदारों ने बेड समेत ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर कनेक्ट करके मरीजों को बाहर खींच लिया। कई मरीजों को सड़क पर ही लिटा दिया गया, जहां वे धुएं से बचने की जद्दोजहद करते नजर आए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सड़क पर बिखरे बेड, चीखते तीमारदार और भागते कर्मचारी दिखाई दे रहे हैं, जो दृश्य देखकर रूह कांप जाती है। एक तीमारदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "डॉक्टर और कंपाउंडर धुएं फैलते ही भाग निकले। हमने खुद मरीजों को घसीटा। फायर सेफ्टी का कोई इंतजाम ही नहीं था।"दमकल विभाग की 4 गाड़ियां सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचीं, लेकिन धुएं की वजह से आग पर काबू पाने में करीब 2 घंटे लग गए। फायर अधिकारी ने कहा, "वार्ड धुएं से इतना भर गया था कि एंट्री ही मुश्किल हो गई। स्मोक डिटेक्टर काम नहीं कर रहे थे।"
नेताओं ने लिया जायजा, सीएम ने दिए जांच के सख्त निर्देश
सूचना मिलते ही राजस्थान के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस विधायक रफीक खान देर रात अस्पताल पहुंचे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार सुबह खुद अस्पताल का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "यह घटना अत्यंत दुखद है। प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदनाएं। त्वरित राहत के निर्देश दिए हैं और उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिए।" पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी लापरवाही का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत खींवसर से जयपुर रवाना हो चुके हैं।
फायर सेफ्टी की जांच शुरू, परिवारों में गुस्सा भड़का
हादसे के बाद पूरे एसएमएस अस्पताल में फायर सेफ्टी सिस्टम की जांच शुरू हो गई है। मरीजों के परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। एक परिजन ने कहा, "मां को खाना खिलाने नीचे आया था, ऊपर आग लग चुकी थी। स्टाफ भाग गया, फायर अलार्म तक नहीं बजा।" एसएमएस अस्पताल राजस्थान का सबसे पुराना और प्रमुख चिकित्सा संस्थान है, जहां 6,250 बेड हैं और सभी प्रमुख बीमारियों का इलाज होता है। लेकिन यह घटना सवाल उठाती है कि क्या पुरानी इमारतों में आधुनिक सुरक्षा उपाय हैं?अभी 5 मरीजों को दूसरे वार्डों में शिफ्ट किया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। यह हादसा न सिर्फ एक चेतावनी है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग को तेज कर रहा है।