हनुमान बेनीवाल का सनसनीखेज कदम: सुरक्षा लौटाने के पीछे बड़ा राज? भाई नारायण ने भी दिखाया सरकार को ठेंगा!"

Apr 29, 2025 - 13:22
हनुमान बेनीवाल का सनसनीखेज कदम: सुरक्षा लौटाने के पीछे बड़ा राज? भाई नारायण ने भी दिखाया सरकार को ठेंगा!"

नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के मुखिया हनुमान बेनीवाल ने एक बार फिर सुर्खियां बटोर ली हैं। उन्होंने अपनी सुरक्षा लौटाकर सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि उनके भाई और पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल ने भी सुरक्षा ठुकरा दी है। क्या यह सिर्फ प्रशासन के खिलाफ बगावत है या इसके पीछे कोई गहरी सियासी चाल? आइए, इस सनसनीखेज कहानी के पीछे का सच जानते हैं, जहां हथियारों का लाइसेंस, खतरे का इनपुट और सरकारी लापरवाही की गुत्थी उलझती नजर आ रही है!

नागौर के चर्चित सांसद हनुमान बेनीवाल ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपनी सुरक्षा व्यवस्था को ठुकरा दिया है। इतना ही नहीं, उनके भाई और पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल ने भी सरकार की ओर से दी गई सुरक्षा को लौटा दिया है। इस कदम ने राजस्थान की सियासत में हलचल मचा दी है। बेनीवाल का दावा है कि सरकार और प्रशासन उनकी जान की कीमत पर सियासी खेल खेल रहे हैं, जबकि पुलिस और जिला प्रशासन इसे रूटीन मामला बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।

हथियारों का लाइसेंस: 11 साल की उलझन

हनुमान बेनीवाल का कहना है कि 2014 में एक मामले के चलते उन्होंने अपनी लाइसेंसी पिस्टल और बंदूक थाने में जमा करवा दी थी। 2017 में उस मामले में अंतिम रिपोर्ट (FR) लगने के बावजूद, प्रशासन ने उनके हथियारों का लाइसेंस बहाल नहीं किया। बेनीवाल ने सवाल उठाया, "11 साल से मेरे पास कोई हथियार नहीं है। अगर मुझ पर हमला होता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?" उन्होंने प्रशासन पर जानबूझकर टालमटोल करने और सियासी बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया।

बेनीवाल के मुताबिक, 2013 में लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदन के दौरान एक पुराना मुकदमा छुपाने का इल्जाम उन पर लगाया गया था। यह मामला उनके छात्रसंघ के दिनों का था, जिसमें पूर्व मंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा के साथ उन्हें सजा सुनाई गई थी। 2014 में बीजेपी सरकार के समय यह मामला दर्ज हुआ, और उनके हथियार जमा करवा लिए गए। 2017 में जब मामला बेबुनियाद साबित हुआ, तब भी जिला कलेक्टर ने लाइसेंस बहाली से इनकार कर दिया।

संभागीय आयुक्त से लेकर कलेक्टर तक: लटकी फाइल

बेनीवाल ने बताया कि उन्होंने अजमेर संभागीय आयुक्त को लाइसेंस बहाली के लिए अर्जी दी, लेकिन गहलोत सरकार में भी कोई फैसला नहीं हुआ। छह महीने पहले संभागीय आयुक्त ने नागौर जिला कलेक्टर को लाइसेंस बहाली के निर्देश दिए, लेकिन कलेक्टर की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। बेनीवाल का कहना है कि कलेक्टर ने एसपी को पत्र लिखा, तो जवाब मिला कि "कोई खतरा ही नहीं है।" सांसद ने इसे सरकार की लापरवाही करार देते हुए कहा कि एक सांसद के पास लाइसेंसी हथियार और रेड पासपोर्ट होना सरकार की जिम्मेदारी है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है।

खतरे का इनपुट और सुरक्षा का ड्रामा

जनवरी 2024 में पुलिस इंटेलिजेंस को इनपुट मिला था कि हनुमान बेनीवाल की जान को खतरा है और उन पर हमला हो सकता है। इसके बाद 25 अप्रैल 2025 को नागौर एसपी नारायण टोगस ने बेनीवाल की सुरक्षा बढ़ाने के लिए दो अतिरिक्त गनमैन और एक हथियारबंद क्विक रिएक्शन टीम (QRT) तैनात करने का आदेश दिया था। लेकिन बेनीवाल ने 27 अप्रैल को यह सुरक्षा लौटा दी। उनका कहना था कि सरकार ने खतरे का इनपुट स्पष्ट नहीं किया, और यह सिर्फ दिखावटी कदम था।

बेनीवाल ने सवाल उठाया, "चार दिन पहले खतरे का इनपुट था, लेकिन सुरक्षाकर्मी नहीं भेजे गए। अगर इस दौरान कोई हमला हो जाता, तो जिम्मेदार कौन होता?" उनके भाई नारायण बेनीवाल, जिन्हें एक गनमैन की सुरक्षा दी गई थी, ने भी इसे लौटा दिया। नारायण का कहना है कि सरकार की ओर से दी गई सुरक्षा "नाममात्र की" थी और इसमें कोई गंभीरता नहीं थी।

एसपी का जवाब: जांच जारी, कोई FR नहीं

नागौर एसपी नारायण टोगस ने बेनीवाल के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उनके हथियार पुलिस थाने में जमा हैं, और लाइसेंस सस्पेंशन का मामला अभी चल रहा है। एसपी ने स्पष्ट किया कि 2017 में कोई FR नहीं लगी, और मामला अभी विभागीय जांच के दायरे में है। कलेक्टर ने कुछ बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट मांगी थी, जो पुलिस ने भेज दी है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ